जगद्गुरु परमहंस आचार्य कल जल समाधि लेगें, क्या? कुछ बातें इतनी बोझिल हो जाती हैं कि चाहकर भी हम उनपर भरोसा नहीं कर पाते हैं. जैसे कुलियुग में अगर कोई संत (Jagadguru paramhans acharya maharaj) यह प्रण लें कि मेरी यह बात नहीं मानी तो आने वाली इस तारीख को जल समाधि (Jal Samadhi) ले लूंगा...चलिए बताते हैं कि पूरी बात क्या है?
दरअसल, अयोध्या में भगवान श्री राम भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इसी बीच अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस आचार्य महाराज ने केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी ही अजीब मांग रखी है. महाराज जी का कहना है कि “मैं मांग करता हूं कि दो अक्टूबर तक भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए वरना मैं सरयू नदी में जल समाधि ले लूंगा. साथ ही केंद्र सरकार मुस्लिमों और क्रिश्चियन की नागरिकता ख़त्म करे.”
महाराज का कहना है कि देश की अखंडता और संविधान की रक्षा के लिए यह निर्णय लिया जाना चाहिए नहीं तो संविधान, अदालतें, लोकतंत्र और मानवता कुछ भी नहीं बचेगा. उन्होंने कफन पूजन भी कर लिया है. अब कल ही 2 अक्टूबार है, लेकिन आपको क्या लगता है क्या मोदी सरकार इनकी बात मान लेगी?
सोचिए केंद्र सरकार क्या कर सकती है? लोगों के रोज इतने अलग-अलग डिमांड के बीच इस बात को सुनकर सरकार का सिर वैसे ही चकरा गया होगा. किसानों ने आंदोलन कर वैसे ही सरकार की नाक में दम कर रखा है. जाहिर सी बात है कि सरकार संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य की यह मांग तो पूरी करने से रही.
तो क्या कल संत सच में समाधि ले लेंगे? बिल्कुल नहीं. एक तो जान देने की बात करना ही सबसे पड़ा पाप है. आजकल लोग वैसे ही डिप्रेशन में रहते हैं उपर से ऐसी बातें सुनकर उनकी दिमाग कहीं विचलित ना हो जाए? किसी बात...
जगद्गुरु परमहंस आचार्य कल जल समाधि लेगें, क्या? कुछ बातें इतनी बोझिल हो जाती हैं कि चाहकर भी हम उनपर भरोसा नहीं कर पाते हैं. जैसे कुलियुग में अगर कोई संत (Jagadguru paramhans acharya maharaj) यह प्रण लें कि मेरी यह बात नहीं मानी तो आने वाली इस तारीख को जल समाधि (Jal Samadhi) ले लूंगा...चलिए बताते हैं कि पूरी बात क्या है?
दरअसल, अयोध्या में भगवान श्री राम भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इसी बीच अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस आचार्य महाराज ने केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी ही अजीब मांग रखी है. महाराज जी का कहना है कि “मैं मांग करता हूं कि दो अक्टूबर तक भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए वरना मैं सरयू नदी में जल समाधि ले लूंगा. साथ ही केंद्र सरकार मुस्लिमों और क्रिश्चियन की नागरिकता ख़त्म करे.”
महाराज का कहना है कि देश की अखंडता और संविधान की रक्षा के लिए यह निर्णय लिया जाना चाहिए नहीं तो संविधान, अदालतें, लोकतंत्र और मानवता कुछ भी नहीं बचेगा. उन्होंने कफन पूजन भी कर लिया है. अब कल ही 2 अक्टूबार है, लेकिन आपको क्या लगता है क्या मोदी सरकार इनकी बात मान लेगी?
सोचिए केंद्र सरकार क्या कर सकती है? लोगों के रोज इतने अलग-अलग डिमांड के बीच इस बात को सुनकर सरकार का सिर वैसे ही चकरा गया होगा. किसानों ने आंदोलन कर वैसे ही सरकार की नाक में दम कर रखा है. जाहिर सी बात है कि सरकार संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य की यह मांग तो पूरी करने से रही.
तो क्या कल संत सच में समाधि ले लेंगे? बिल्कुल नहीं. एक तो जान देने की बात करना ही सबसे पड़ा पाप है. आजकल लोग वैसे ही डिप्रेशन में रहते हैं उपर से ऐसी बातें सुनकर उनकी दिमाग कहीं विचलित ना हो जाए? किसी बात को मनवाने के लिए बार-बार अपने जान देने की बात करना कहां से सही हो सकता है?
हां बार-बार, क्योंकि संत जी महाराज इसके पहले भी कई बार समाधि लेने की बात कर चुके हैं. मई में पश्चिम बंगाल हिंसा के समय इन्होंने अपनी चिता सजाते हुए कहा था कि ‘अगर पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा नहीं रुकी, तो मैं आत्मदाह कर लूंगा. हालंकि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था. इतने बड़े संत इतनी ऐसी भूल कर भी नहीं सकते.
आप भरासा रखिए, वे ऐसा कुछ करेंगे नहीं और करना भी नहीं चाहिए. क्योंकि आज के जमाने में यह सबसे बड़ा पाप है. वैसे संत महाराज को सार्वजनिक रूप से आत्महत्या की प्रवृत्ति वाली बातें नहीं करनी चाहिए. आप अपनी मांग रख सकते हैं, इसके लिए आंदोलन कर सकते हैं लेकिन समाधि लेने की बातें लोगों को विचलित कर सकती हैं. कई लोगों का कहना है कि यह मांग बहुत बचकानी है, जैसे कोई बच्चा जिद करता है बिल्कुल वैसी ही.
हमारे संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. ऐसे में किसी को भी धर्म विशेष के लोगों की नागरिकता खत्म करने की मांग नहीं करनी चाहिए. यह संभव नहीं है. ये बात शायद संत महाराज को पता तो होगी फिर क्रेंद्र सरकार से कैसे इनकी बात मांन लेगी? वैसे आप चिंता में अपनी जान मत सुखाइए, क्योंकि कल तो आएगा ही और हमें पूरा विश्वास है कि महाराज जी जल समाधि नहीं लेंगे. वैसे पूछने वाले यह पूछ रहे हैं कि किस साल का 2 अक्टूबर?
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