जीत के बाद अक्सर लोग पर्दे के पीछे रहने वाले उन चेहरों को भूल जाते हैं, जो हर कदम पर उनका साथ देते हैं. जिनकी छोटी-छोटी भूमिकाएं रहती हैं, जो हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाते हैं और जीत की दुआ मांगते हैं. लोग कहते हैं कि आज के जमाने में छोटे लोगों को कौन पूछता है, लेकिन मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने समाज की इस सोच को गलत साबित कर दिया है.
इस मामले में मीराबाई काफी अलग निकलीं, भारत की इस खिलाड़ी ने उन सभी लोगों को दिल से आभार और सम्मान व्यक्त किया, उन्हें अपनी जीत का क्रेडिट दिया, उन चेहरों को दुनियां के सामने लेकर आईं. चाहें वे उनके माता-पिता हों, कोच हों या फिर ट्रक ड्राइवर. मीराबाई ने जिस अंदाज में दिल से अपनी जीत के पीछे के लोगों का सम्मान किया, उसने लोगों का दिल एकबार फिर जीत लिया.
मीराबाई चानू आखिर क्यों अलग पहचान रखती हैं...इनकी सादगी की इतनी चर्चा क्यों हो रही है. मीराबाई के अंदर वे कौन से गुण हैं जो लोग उन्हें महान बता रहे हैं. क्या बात है इस महिला खिलाड़ी में...जिसने सबका दिल जीत लिया है. चलिए आपको बताते हैं.
हाल ही में एक खबर सामने आई कि देश के लिए वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीतने वाली मीराबाई चानू ने उन ट्रक ड्राइवर का सम्मान किया है जिन्होंने उन्हें मुफ्त में लिफ्ट दी. भारत की यह खिलाड़ी इतनी बड़ी जीत के बाद भी अपना वादा नहीं भूलीं. आज के जमाने में मंजिल मिलने के बाद कहां लोग छोटे-मोटे लोगों को याद रखते हैं लेकिन मीराबाई ने अपना वादा निभाते हुए उन सभी लोगों का सम्मान किया, जिन्होंने इस यात्रा में उनकी मदद की है.
दरअसल, मणिपुर की रहने वाली युवा एथलीट चानू कोस ट्रेनिंग के लिए अपने गांव से 30 किलोमीटर दूर इम्फाल...
जीत के बाद अक्सर लोग पर्दे के पीछे रहने वाले उन चेहरों को भूल जाते हैं, जो हर कदम पर उनका साथ देते हैं. जिनकी छोटी-छोटी भूमिकाएं रहती हैं, जो हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाते हैं और जीत की दुआ मांगते हैं. लोग कहते हैं कि आज के जमाने में छोटे लोगों को कौन पूछता है, लेकिन मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने समाज की इस सोच को गलत साबित कर दिया है.
इस मामले में मीराबाई काफी अलग निकलीं, भारत की इस खिलाड़ी ने उन सभी लोगों को दिल से आभार और सम्मान व्यक्त किया, उन्हें अपनी जीत का क्रेडिट दिया, उन चेहरों को दुनियां के सामने लेकर आईं. चाहें वे उनके माता-पिता हों, कोच हों या फिर ट्रक ड्राइवर. मीराबाई ने जिस अंदाज में दिल से अपनी जीत के पीछे के लोगों का सम्मान किया, उसने लोगों का दिल एकबार फिर जीत लिया.
मीराबाई चानू आखिर क्यों अलग पहचान रखती हैं...इनकी सादगी की इतनी चर्चा क्यों हो रही है. मीराबाई के अंदर वे कौन से गुण हैं जो लोग उन्हें महान बता रहे हैं. क्या बात है इस महिला खिलाड़ी में...जिसने सबका दिल जीत लिया है. चलिए आपको बताते हैं.
हाल ही में एक खबर सामने आई कि देश के लिए वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीतने वाली मीराबाई चानू ने उन ट्रक ड्राइवर का सम्मान किया है जिन्होंने उन्हें मुफ्त में लिफ्ट दी. भारत की यह खिलाड़ी इतनी बड़ी जीत के बाद भी अपना वादा नहीं भूलीं. आज के जमाने में मंजिल मिलने के बाद कहां लोग छोटे-मोटे लोगों को याद रखते हैं लेकिन मीराबाई ने अपना वादा निभाते हुए उन सभी लोगों का सम्मान किया, जिन्होंने इस यात्रा में उनकी मदद की है.
दरअसल, मणिपुर की रहने वाली युवा एथलीट चानू कोस ट्रेनिंग के लिए अपने गांव से 30 किलोमीटर दूर इम्फाल के ट्रेनिंग एकेडमी जाना पड़ता था. जो मीराबाई के घर से करीब 30 किलोमीटर दूर था.
इसके लिए मीरा को रोजाना कई ट्रक ड्राइवरों से लिफ्ट लेनी पड़ती थी. ये सभी ट्रक ड्राइवर युवा खिलाड़ी को लिफ्ट देने के लिए पैसे नहीं लेते थे यानी मुफ्त में यात्रा करवाते थे. ये वही ड्राइवर थे जो रोज मीराबाई को उनके ट्रेनिंग एकेडमी जाने में मदद करत थे. मेडल जीतकर इतनी उंचाई पर पहुंचने के बाद भी चानू उन्हें नहीं भूलीं, क्योंकि उनकी जड़ें जमीन से जुड़ी हुई हैं. हमारा समाज किसी के काम के हिसाब से उसे हीन समझता है, जबकि कोई काम छोटा नहीं होता.
मीराबाई ने ट्रक चालकों को सम्मानित करने के लिए बकायदा इवेंट किया और अपनी जीत में उनके योगदान की सराहना करते हुए उन्हें सम्मान दिया. ये वो दौर था जब मीराबाई अपने ट्रेवल का खर्च नहीं उठा सकती थीं, ऐसे में इन ट्रक चालकों ने उनकी काफी मदद की. मीराबाई तो उन रेत ढोने वाले ट्रक वालों पर निर्भर थीं, जो उसी मार्ग से यात्रा करते थे. मीराबाई से मिले इस सम्मान के बाद वे हर ऐसी लड़की की सहायता करने से नहीं हिचकिचाएंगे...
मीराबाई ने ट्रक चालकों को खाना खिलाया और उनके साथ भोजन किया. चानू ने उन सभी को एक शर्ट और एक मणिपुरी दुपट्टा उपहार में दिया और सभी ट्रक ड्राइवरों के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया. इसके बाद एक बार फिर मीराबाई ने लोगों का दिल जीत लिया है.
एक ने लिखा है कि, ‘मीराबाई चानू हैं उन ट्रक ड्राइवरों को खाना खिला रही और उनसे पैर छूकर आशीर्वाद ले रही हैं जिनसे लिफ्ट लेकर वह अपने ट्रेनिंग सेंटर जाती थीं. हर जीत के पीछे कई चेहरे ऐसे होते हैं जिन्हें हम याद नहीं करते लेकिन मीराबाई नही भूली. यह एक बात उन्हें महान बनाती है…
मीराबाई की कुछ खास बातें
मीराबाई को अपने देश, गांव और संस्कृति से बहुत प्यार है. जब भी वे विदेश दौरे पर होती हैं तो अपने देश की मिट्टी अपने बैग में साथ रखती हैं. वे अपने यहां का चावल भी लेकर जाती हैं. बचपन में वो लकड़ी के ऐसे वजनदार गट्ठर उठा लिया करती थीं, जो उनका भाई भी नहीं उठा पाता था. रियो ओलंपिक में क्वालिफाई नहीं करने पर वे बुरी तरह टूट गईं थीं, लेकिन इसके बाद चानू ने अपनी कड़ी मेहनत और जिद्द की बदौलत शानदार वापसी की.
एक बात और मीराबाई चानू भगवान शिव और हनुमान भक्त हैं. उन्हें हनुमान चालीसा जुबानी याद है. कुछ दिनों पहले ही उनकी एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वे जमीन पर बैठकर खाना खा रही थीं. मीराबाई चानू ने आशीर्वाद के रूप में अपनी मां की दी हुई कान की बाली टोक्यो ओलंपिक में पहनी थी.
चानू, ओलपिंक में आइडल वेट का क्रेडिट अपने कोच विजय शर्मा को देती हैं. कोच ने ही चानू से कहा था कि जो हुआ उसे भूल जाओ और भविष्य की तैयारी करो. चानू का कहना है कि उनकी वजह से वे यहां पहुंची हैं. इसके साथ ही चानू अपने माता-पिता के संघर्ष, अपनी गरीबी को कभी नहीं भूलतीं, यही वजह है कि उनकी इतनी तारीफ हो रही है.
जो लड़की ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए दो दिन भूखी रह सकती है, वह अपने मेडल के पीछे के चेहरों को कैसे भूल सकती है? देश को चानू पर गर्व है मीराबाई चानू, आपने ना जाने कितने लोगों को प्रेरणा दे दी है...सिर्फ मेडल जीतने की नहीं बल्कि अपने नेक कामों से दिल जीतने की, छोटे-बड़े सभी लोगों का सम्मान करने की...उंचाई पर पहुंचकर भी अपनी जमीन को याद रखने की, शुक्रिया मीराबाई चानू...बड़े लोग अक्सर झुककर रहते हैं, विनम्र रहते हैं...इस कथन को आपने सबित किया है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.