राफेल विमानों की पहली खेप फ्रांस में भारत के सुपुर्द कर दी गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्र पूजा कर इन विमानों को ग्रहण किया. उन्होंने विमान पर ओम् लिखा, कुछ फूल चढ़ाए और एक नारियल उस पर रखा. लेकिन देखने वालों की नजर में सबसे ज्यादा चर्चा दो नींबुओं की हुई, जो राफेल विमानों के पहिये के आगे रखे गए थे. दरअसल, ऐसा अकसर किसी नए वाहन या कोई नया काम शुरू करने से पहले आमतौर पर किया जाता है. तो सवाल ये है कि ऐसा क्यों?
खाने में स्वाद और चटकारे लाने वाली नींबू मिर्ची कहने को तो सब्जी है. लेकिन अगर उसे धागे में बांधकर कहीं लटका दिया जाए तो वो वही सब्जी टोटका बन जाती है. कोई कहता है कि धागे में बंधी नींबू-मिर्ची बुरी नजर से बचाती है. कोई कहता है कि इससे समृद्धि आती है. इसे नजर बट्टू या नजरबंद भी कहा जाता है. और हाल ही में ये नजरबट्टू हमें सोनम कपूर की फिल्म The Zoya Factor के पोस्टर पर भी लटका दिखा है.
राजनाथ सिंह ने राफेल की पूजा के दौरान उसके पहियों के आगे नींबू भी रखा.
आप बाहर निकल जाइए आपको ट्रैफिक सिंगनल पर बच्चे नींबू मिर्ची की लड़ी 10-10 रुपए में बेचते हुए दिख जाएंगे. बाजार की तरफ जाएंगे तो दुकानों के बाहर- शटर पर नींबू-मिर्ची टंगी हुई जरूर दिखेगी. कुछ लोग अपने घरों के बाहर भी इसे टांग देते हैं. कोई नया गाड़ी खरीदकर लाता है तो उसपर भी नींबू मिर्ची लटका देता है. लेकिन नींबू-मिर्ची से जुड़े इस विश्वास को बहुत से लोग टोटका कहते हैं जिसे नाकारात्मक रूप में देखा जाता है. वहीं भारत के लोग सबसे ज्यादा इसी पर विश्वास करते हैं. यूं कहिए कि ये भारत का नंबर 1 टोटका है.
नींबू मिर्च टोटका है या विश्वास??
लेकिन इस नीबूं मिर्ची के साथ कुछ सवाल भी लटके हुए हैं जिन्हें जानने की आज कोशिश की जाएगी. ये सवाल हैं कि लोग इसपर इतना विश्वास क्यों करते हैं, ये टोटका है या विश्वास, विश्वास है या अंधविश्वास, ये काम कैसे करता है, इसके पीछे क्या मान्यता है और इसके वैज्ञानिक कारण क्या हैं?
नीबूं मिर्ची का लक्ष्मी से संबंध है
हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था जिसमें बहुत सी चीजें निकली थीं. इन चीजों को उन्होंने आपस में बांट लिया था. कहा जाता है कि इस मंथन में सुख समृद्धि की देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुईं थीं लेकिन लक्ष्मी से पहले उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी प्रकट हुईं. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, अलक्ष्मी यानी लक्ष्मी की उलट. अलक्ष्मी दुख और दरिद्रता की देवी हैं. लक्ष्मी जहां निवास करती हैं वहां सुख समृद्धि होती है और अलक्ष्मी जहां निवास करती हैं वहां दरिद्रता.
लक्ष्मी को मीठा पसंद है तो अलक्ष्मी को तीखा और खट्टा. इसलिए लोग लक्ष्मी को मीठी चीजों को भोग लगाते हैं जिससे वो घर आएं और प्रसन्न हों. लेकिन अलक्ष्मी घर न आएं इसके लिए वो घर के बाहर ही उनकी पसंदीदा नींबू-मिर्ची टांग देते हैं जिससे वो बाहर से ही उन्हें खाकर चली जाएं.
सुख समृद्धि की देवी लक्ष्मी और दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी
नींबू-मिर्ची का वैज्ञानिक कारण
नींबू मिर्ची का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है. ये रिवाज की तरह है. इसमें 7 मिर्ची, एक नींबू और धागे का इस्तेमाल किया जाता है. नींबू प्राकृतिक कीटाणुनाशक या disinfectant होता है. जो कीटाणुओं से लड़ता है. इसकी खट्टी खुशबू से मक्खी-मच्छर भी दूर भागते हैं. और वातावरण शुद्ध होता है. नींबू से बदबू भी दूर भागती है.
मिर्ची में capsaicin नाम का कैमिकल होता है, ये भी कीड़ों को दूर रखने में मदद करता है. बाजार में मिलने वाले कीटनाशकों में यही कैमिकल इस्तेमाल किया जाता है.
सूती धागे में जब नींबू मिर्ची को पुरोया जाता है तो नींबू और मिर्च के अंदर पाए जाने वाले रस धागे में आ जाते हैं. बिल्कुल बत्ती की तरह जो उन रसों को अपने भीतर सोखकर रखती है. वो कैमिकल धागे के जरिए ही हवा में मिल जाते हैं. ये वातावरण को शुद्ध भी रखते हैं और कीटाणुओं और कीटों से बचाते भी हैं.
कीटाणु और कीटों से बचाती है नींबू मिर्ची
कथा कहानियों में नींबू मिर्ची की कहानी
नींबू मिर्च को लेकर किस्से कहानियां भी हैं. कहा जाता है कि सदियों पहले जब दूर जाने के साधन नहीं होते थे तब लोग पैदल ही यात्रा किया करते थे. उस वक्त वो अपने पास नींबू और मिर्च रखते थे.पादल चलकर लोग थक जाते और सांप बिच्छुओं के काटने का भी डर बना रहता था. ऐसे में नींबू लोगों को हाइड्रेटेड रखता था. लेकिन मिर्च वो इसलिए रखते थे जिससे पता लगा सकें कि अगर किसी को कोई सांप काट ले तो वो जहरीला सांप था या नहीं. सांप के काट लेने पर अगर व्यक्ति मिर्ची खाता और उसे मिर्च का स्वाद पता नहीं चलता तो मतलब ये होता कि सांप जहरीला था जिससे व्यक्ति के sense और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित किया है.
टोटके मीठी गोलियों की तरह होते हैं
ये नींबू मिर्ची का टोटका उन मीठी गोलियों की ही तरह है जो व्यक्ति के मन पर मनोजवैज्ञानिक रूप से असर करती है. यानी गोलियों में कुछ नहीं होता सिर्फ लोगों का भ्रम होता है कि वो ठीक हो रहे हैं. इस पर जैन मुनि प्रमाणसागर कहते हैं कि टोटके से केवल लोगों का विश्वास जगता है. उन्हें ये महसूस होता है कि अब उनका बुरा नहीं होगा. उसी विश्वास के साथ जब वो व्यक्ति काम करता है तो उसे सफलता मिलती है.
नींबू मिर्च को लेकर सबकी अपनी अपनी समझ और मान्यता है. कोई मानता है, कोई बहुत ज्यादा मानता है और कोई इनपर यकीन ही नहीं करता. जो लोग ये समझते हैं कि नींबू मिर्ची टोटका है- इससे नजर नहीं लगती, अला-बला दूर रहती है वो अपने इसी विश्वास के साथ चल सकते हैं. क्योंकि इससे किसी का बुरा नहीं हो रहा, टांगने वालों का अच्छा हो रहा है. लेकिन वैज्ञानिक कारण साफ-साफ बताते हैं कि नींबू मिर्ची उस जमाने के insect repellent हैं जब लोग प्राकृतिक चीजों से ही उपचार किया करते थे. इसलिए इसे टोटका या अंधविश्वास कहकर नकार देना सरासर गलत है.
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