हिंदुस्तान में कई रीति रिवाज हैं और ये सदियों से चले आ रहे हैं. कुछ के बारे में तो ये भी नहीं बताया जा सकता कि ये कितने पुराने हैं. कुछ कोरे अंधविश्वास होते हैं ये बिलकुल सही है, लेकिन कुछ रीति रिवाज ऐसे भी हैं जो विज्ञान की दृष्टि से बिलकुल सही हैं और उनसे फायदा ही होता है...
1. क्यों जोड़े जाते हैं हाथ...
शास्त्रों में इसे आदर कहा जाता है और विज्ञान कहता है कि नमस्कार की मुद्र में सभी उंगलियों के प्रेशर प्वाइंट जुड़ते हैं और इससे आंखों, कान और दिमाग के तार जुड़े होते हैं. ऐसे में उस इंसान को याद रखना हमारे लिए ज्यादा आसान होता है. इसके अलावा, हाथ मिलाने से कीटाणु आने का अंदेशा रहता है, लेकिन हाथ जोड़ने से नहीं.
2. पैर में बिछुए क्यों पहने जाते हैं...
पैरों में बिछुए पहनने का रिवाज है और विज्ञान के अनुसार अंगूठे के बगल वाली उंगली में अगर बिछुए पहने जाते हैं तो इससे यूट्रेस और दिल की नसें जुड़ी होती हैं. इससे खून का बहाव शरीर में सही रहता है. साथ ही चांदी जमीन से ध्रुवीय ऊर्जा लेकर शरीर में भेजती है.
3. नदियों में सिक्के फेंकना...
ट्रेन से जाते समय, बस से गुजरते समय या यूं ही पैदल चलते समय ये मान्यता है कि अगर नदी दिखे तो उसमें सिक्के फेंकिए इससे अच्छा समय आएगा. विज्ञान के अनुसार पुराने समय में तांबे या चांदी के सिक्के बनाए जाते थे और तांबा शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है. पुराने समय में नदियां ही एकमात्र पानी का स्त्रोत होती थीं और शायद यही कारण है कि ये प्रथा बनाई गई होगी.
4. माथे पर...
हिंदुस्तान में कई रीति रिवाज हैं और ये सदियों से चले आ रहे हैं. कुछ के बारे में तो ये भी नहीं बताया जा सकता कि ये कितने पुराने हैं. कुछ कोरे अंधविश्वास होते हैं ये बिलकुल सही है, लेकिन कुछ रीति रिवाज ऐसे भी हैं जो विज्ञान की दृष्टि से बिलकुल सही हैं और उनसे फायदा ही होता है...
1. क्यों जोड़े जाते हैं हाथ...
शास्त्रों में इसे आदर कहा जाता है और विज्ञान कहता है कि नमस्कार की मुद्र में सभी उंगलियों के प्रेशर प्वाइंट जुड़ते हैं और इससे आंखों, कान और दिमाग के तार जुड़े होते हैं. ऐसे में उस इंसान को याद रखना हमारे लिए ज्यादा आसान होता है. इसके अलावा, हाथ मिलाने से कीटाणु आने का अंदेशा रहता है, लेकिन हाथ जोड़ने से नहीं.
2. पैर में बिछुए क्यों पहने जाते हैं...
पैरों में बिछुए पहनने का रिवाज है और विज्ञान के अनुसार अंगूठे के बगल वाली उंगली में अगर बिछुए पहने जाते हैं तो इससे यूट्रेस और दिल की नसें जुड़ी होती हैं. इससे खून का बहाव शरीर में सही रहता है. साथ ही चांदी जमीन से ध्रुवीय ऊर्जा लेकर शरीर में भेजती है.
3. नदियों में सिक्के फेंकना...
ट्रेन से जाते समय, बस से गुजरते समय या यूं ही पैदल चलते समय ये मान्यता है कि अगर नदी दिखे तो उसमें सिक्के फेंकिए इससे अच्छा समय आएगा. विज्ञान के अनुसार पुराने समय में तांबे या चांदी के सिक्के बनाए जाते थे और तांबा शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है. पुराने समय में नदियां ही एकमात्र पानी का स्त्रोत होती थीं और शायद यही कारण है कि ये प्रथा बनाई गई होगी.
4. माथे पर तिलक या बिंदी लगाना...
विज्ञान के अनुसार इससे शरीर की जरूरी ऊर्जा शरीर में ही रहती है. माथे के बीच वाले हिस्से को शरीर का केंद्र माना जाता है और कुमकुम लगाने से ध्यान देने की क्षमता भी बढ़ती है.
5. क्यों होती हैं मंदिरों में घंटियां...
अग्मा शास्त्र में लिखा है कि घंटी की आवाज से बुरी ताकतें भागती हैं, लेकिन विज्ञान कहता है कि इससे दिमाग को ध्यान लगाने में मदद मिलती है. घंटी की आवाज से दिमाग का बायां और दाहिना हिस्सा एक साथ काम करने लगते हैं और मन शांत रहता है.
6. हाथ और पैरों में महंदी लगाना...
ये रिवाज तो पता नहीं कितना पुराना है, लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण काफी अहम है. शादी काफी तनाव भरा फैसला हो सकती है. इसके कारण दूल्हे और दुल्हन को बुखार, या थकान भी हो सकती है. महंदी लगाने से हाथ और पैर की नसें ठंडी रहती हैं और इससे शरीर को ठंडा रखने में मदद मिलती है.
7. कान छिदवाना...
लड़कियों के कान छिदवाना भारतीय सभ्यता में काफी अहम है. डॉक्टरों का मानना है कि इससे सोचने की क्षमता का विकास होता है.
8. क्यों लगाया जाता है सिंदूर...
सिंदूर लगाने के भी वैज्ञानिक कारण हैं. अगर अभी कैमिकल वाले सिंदूर को छोड़ दिया जाए तो पहले के सिंदूर (पाउडर वाले) पारा (मर्कुरी), हल्दी और नींबू के मिश्रण से बनाए जाते थे. ये मिश्रण खून के बहाव से लेकर कमोत्तेजना बढ़ाने के भी काम आता था. इसीलिए विधवाओं के लिए सिंदूर वर्जित है. पारे की वजह से तनाव भी दूर होता है.
9. क्यों होती है पीपल की पूजा...
पीपल का पेड़ सिर्फ छाया देने के काम आता है. न इसके फल खाए जाते हैं और न ही इसकी लकड़ी इतनी मजबूत होती है कि इससे कोई काम किया जा सके, फिर भी पीपल का पेड़ पूजा जाता है. वैज्ञानिक कहते हैं कि पीपल का पेड़ ही एक अकेला ऐसा पेड़ है जो रात में भी ऑक्सीजन पैदा कर सकता है. शायद इसे पूजे जाने की ये वजह हो....
10. क्यों पहनी जाती हैं चूड़ियां...
कलाई इंसानी शरीर का एक अभिन्न अंग है. इसे ताकत से भी जोड़कर देखा जाता है और इसे बीमारियों का पता लगाने के लिए भी पकड़ा जाता है. चूड़ियां पहनने से कलाई में हमेशा घर्शण होता रहता है और इससे रक्तचाप बेहतर होता है.
ये भी पढ़ें-
घूमने के नाम पर धार्मिक स्थलों के चक्कर सबसे ज्यादा लगते हैं
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.