अभी कुछ दिनों पहले ही ईसाइयों के त्योहार गुड फ्राइडे और ईस्टर को पूरी दुनिया में मनाया गया. ईसा मसीह को गुड फ्राइडे के दिन ही सलीब पर चढ़ाया गया था और ईस्टर के दिन वो पुनर्जीवित हो उठे थे. इस्लाम की मान्यता के अनुसार ईसा मसीह कयामत तक चिरंजीवी रहेंगे. कुछ ऐसा ही हनुमान जी के साथ भी है. दोनों के जन्म की कथाओं में भी अद्भुत समानता है. महावीर हनुमान जी के जन्म की कथा जिस प्रकार से अद्भुत और दिव्य है, उसी प्रकार से ईसा मसीह के जन्म की कथा भी अद्भुत, दिव्य और रहस्यमय है. दोनों ही ईश्वरीय सत्ता के महान स्वरुप के रूप में पूजित होते हैं. महावीर हनुमान जी के जन्म की कथा जहां प्रामाणिक रुप से वाल्मीकि रामायण में मिलती है, वहीं ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट के जन्म की कथा पवित्र बाइबल और पवित्र क़ुरआन शरीफ दोनों में ही थोड़े अंतर के साथ मिलती है.
जीसस और हनुमान जी के जन्म की कथा
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि जहां महावीर हनुमान जी का जन्म ईसा मसीह के जन्म के हजारों साल पहले हुआ था, वहीं इन दोनों के जन्म की कथाओं में आश्चर्यजनक समानताएं भी नज़र आती हैं. जीसस और हनुमान जी दोनों ही ईश्वरीय सत्ता के पुत्र हैं. वाल्मीकि रामायण के अनुसार जहां महावीर हनुमान जी पवन पुत्र हैं वहीं ईसा मसीह को पवित्र बाइबल के मुताबिक परमेश्वर का पुत्र माना जाता है.
हनुमान जी की मां एक अप्सरा थीं
वाल्मीकि रामायण की कथा के अनुसार महावीर हनुमान जी की माता अंजना पहले स्वर्ग में पुंजकस्थली नामक अप्सरा थी, जिन्हें एक श्राप (लोकश्रुतिओं के अनुसार ये शाप दुर्वासा ऋषि ने दिया था) की वजह से धरती पर एक वानरी के रुप में जन्म लेना पड़ता है जो कभी भी अपना रुप एक इंसान की...
अभी कुछ दिनों पहले ही ईसाइयों के त्योहार गुड फ्राइडे और ईस्टर को पूरी दुनिया में मनाया गया. ईसा मसीह को गुड फ्राइडे के दिन ही सलीब पर चढ़ाया गया था और ईस्टर के दिन वो पुनर्जीवित हो उठे थे. इस्लाम की मान्यता के अनुसार ईसा मसीह कयामत तक चिरंजीवी रहेंगे. कुछ ऐसा ही हनुमान जी के साथ भी है. दोनों के जन्म की कथाओं में भी अद्भुत समानता है. महावीर हनुमान जी के जन्म की कथा जिस प्रकार से अद्भुत और दिव्य है, उसी प्रकार से ईसा मसीह के जन्म की कथा भी अद्भुत, दिव्य और रहस्यमय है. दोनों ही ईश्वरीय सत्ता के महान स्वरुप के रूप में पूजित होते हैं. महावीर हनुमान जी के जन्म की कथा जहां प्रामाणिक रुप से वाल्मीकि रामायण में मिलती है, वहीं ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट के जन्म की कथा पवित्र बाइबल और पवित्र क़ुरआन शरीफ दोनों में ही थोड़े अंतर के साथ मिलती है.
जीसस और हनुमान जी के जन्म की कथा
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि जहां महावीर हनुमान जी का जन्म ईसा मसीह के जन्म के हजारों साल पहले हुआ था, वहीं इन दोनों के जन्म की कथाओं में आश्चर्यजनक समानताएं भी नज़र आती हैं. जीसस और हनुमान जी दोनों ही ईश्वरीय सत्ता के पुत्र हैं. वाल्मीकि रामायण के अनुसार जहां महावीर हनुमान जी पवन पुत्र हैं वहीं ईसा मसीह को पवित्र बाइबल के मुताबिक परमेश्वर का पुत्र माना जाता है.
हनुमान जी की मां एक अप्सरा थीं
वाल्मीकि रामायण की कथा के अनुसार महावीर हनुमान जी की माता अंजना पहले स्वर्ग में पुंजकस्थली नामक अप्सरा थी, जिन्हें एक श्राप (लोकश्रुतिओं के अनुसार ये शाप दुर्वासा ऋषि ने दिया था) की वजह से धरती पर एक वानरी के रुप में जन्म लेना पड़ता है जो कभी भी अपना रुप एक इंसान की तरह कर सकती थीं –
अप्सर अप्सरसाम् श्रेष्ठा विख्याता पुंजिकस्थला,
अंजना इति परिख्याता पत्नी केसरिणो हरेः.. 4.66.8
विख्याता त्रिषु लोकेषु रूपेणा अप्रतिमा भुवि,
अभिशापात् अभूत् तात कपित्वे काम रूपिणी.. 4.66.9
(जाम्बवंत जी यहां हनुमान जी से उनकी माता अंजना के विषय में बताते हुए कह रहे हैं कि उनकी माता अंजना स्वर्ग की श्रेष्ठ अप्सरा पुंजिकस्थला थी और वानर राज केसरी की पत्नी हैं. पुंजिकस्थला जो तीनों लोकों में अपनी सुंदरता के लिए विख्यात थीं, उन्हें एक शाप की वजह से पृथ्वी पर एक वानरी के रुप में जन्म लेना पड़ा जो कि कभी भी अपना रुप बदल सकती थीं.)
हनुमान जी की मां को पवन देव का वरदान
इसके बाद वाल्मीकि जी माता अंजना का परिचय देने के बाद अचानक उनके पिता और उनके मायके की तरफ चल पड़ते हैं और उनके बारे में विस्तार से कथा कहते हैं -
दुहिता वानर इन्द्रस्य कुंजरस्य महात्मनः,
मानुषम् विग्रहम् कृत्वा रूप यौवन शालिनी.. 4-66-10
विचित्र माल्य आभरणा कदाचित् क्षौम धारिणी,
अचरत् पर्वतस्य अग्रे प्रावृड् अंबुद सन्निभे..4-66-11
( जाम्बवंत कहते हैं कि हे हनुमान - अंजना कुंजर नामक वानर राज की पुत्री के रुप में जन्म लेती हैं . एक बार जब वो गहने और जेवर और सुंदर मालाएं पहन कर एक पर्वत की चोटी की तरफ जा रही थी )
तस्या वस्त्रम् विशालाक्ष्याः पीतम् रक्त दशम् शुभम्,
स्थितायाः पर्वतस्य अग्रे मारुतो अपहरत् शनैः. . 4-66-12
(तब अचानक उनके वस्त्रों को पवन (मारुत या हवा) ने उड़ा दिया.
स ददर्श ततः तस्या वृत्तौ ऊरू सुसंहतौ,
स्तनौ च पीनौ सहितौ सुजातम् चारु च आननम्.. 4-66-13
(और पवन उनके आंतरिक अंगो में प्रवेश कर गए)
सा तु तत्र एव संभ्रांता सुवृत्ता वाक्यम् अब्रवीत्,
एक पत्नी व्रतम् इदम् को नाशयितुम् इच्छति. . 4-66-16
पवन के इस प्रकार उनके आंतरिक अंगो में प्रवेश करने पर अंजना ने पूछा कि कौन वो अदृश्य शक्ति है जो उनके एक पतिव्रत होने की इच्छा को तोड़ रहा है )इस पर पवन देव ने कहा कि 'मैंने आपका अपमान नहीं किया है. मैं सभी में प्रवेश करने वाला पवन देव हूं. मैंने आपके अंदर दैविक रुप से प्रवेश किया है जिससे आपको एक महान और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होगी. हनुमान जी का जन्म एक गुफा में हुआ था.
एवम् उक्ता ततः तुष्टा जननी ते महाकपेः,
गुहायाम् त्वाम् महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभ. . 4-66-20
( हे हनुमान! पवन देव के ऐसा कहने पर आपकी माता को संतोष हुआ और इसके बाद आपको आपकी मां ने एक गुफा में पाया)
यहां ‘प्रजज्ञ’ शब्द के गहरे अर्थ है. ‘प्रजज्ञ’ और ‘प्रजनन’ में अंतर होता है. ‘प्रजज्ञ’ का अर्थ होता है पाया जाना. यानि हनुमान जी का जन्म नहीं हुआ था वो पाये गए थे या प्रगट हुए थे या फिर दैविक रुप से उनका आगमन हुआ था.
हनुमान जी की तरह ईसा मसीह( जीसस) भी चिरंजीवी हैं !
महावीर हनुमान जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वो चिरंजीवी हैं. पवित्र क़ुरआन शरीफ के अनुसार ईसा उल इस्लाम या फिर ईसा मसीह को भी सलीब पर चढ़ाने से पहले ही अल्लाह ने उठा लिया था. ईसा मसीह के बारे में कहा जाता है कि वो कयामत के रोज़ वापस आएंगे. इसका अर्थ ये भी हो सकता है कि ईसा मसीह भी चिरंजीवी हैं.
ईसा मसीह और हनुमान जी के जन्म में समानताएं
अब वापस आते हैं ईसा मसीह के जन्म की दैविक कथा पर. यह कथा कई मायनों में कैसे महावीर हनुमान जी के दैविक जन्म की कथा से मिलती है यह देख कर आश्चर्य होता है. पवित्र बाइबल के सुसमाचार लूका 1. 28 से 1.55 के बीच जो कथा दी गई है उसके मुताबिक मरियम की मंगनी यूसूफ से हो गई थी, लेकिन उसके विवाह के पूर्व ही जिब्राइल नामक फरिश्ता मरियम के पास आता है. मरियम उस फरिश्ते को देख कर घबरा जाती है. इसके बाद फरिश्ता कहता है कि डरो मत मुझे तुम्हारे पास परमेश्वर ने भेजा है. फरिश्ता कहता है कि देख तू गर्भवती होगी और तेरे एक पुत्र होगा जिसका नाम तू यीशू रखना.लूका 1.31
मरियम ने उस दूत से कहा कि मै तो पुरुष को जानती ही नहीं . (अर्थात मैने किसी पुरष का स्पर्श भी नहीं किया है ) लूका 1. 34
स्वर्गदूत ने कहा कि 'पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा और परम प्रधान की शक्ति तुझ पर छाया करेगी. इसलिए वह जो पवित्र उत्पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा. लूका - 1.37
पवित्र क़ुरआन शरीफ में ईसा मसीह के जन्म की कथा
पवित्र क़ुरआन शरीफ में भी ईसा मसीह के जन्म की दिव्य कथा है. पवित्र क़ुरआन शरीफ में ईसा मसीह को ‘इब्न-ए-मरियम’ कहा गया है. पवित्र क़ुरआन शरीफ में उन्हें परमेश्वर का पुत्र नहीं बताया गया है ,लेकिन उनका सम्मान एक महान नबी के रुप मे जरुर किया गया है और पवित्र क़ुरआन में भी ईसा मसीह के जन्म की कहानी को दिव्य तरीके से ही दिखाया गया है.
पवित्र क़ुरआन शरीफ में एक पूरा अध्याय ही ‘मदर मैरी’ या फिर ‘मरियम’ के नाम पर है जिसे ‘सूरह मरियम’ भी कहा जाता है . इस अध्याय में ईसा मसीह के दिव्य जन्म की कहानी दी गई है.
‘सूरह मरियम’ में दी गई कथा के मुताबिक अल्लाह ने मरियम के पास अपनी रुह भेजी जो एक फरिश्ते में बदल गई . मरियम ने उस फरिश्ते को देख कर कहा कि वो उससे अल्लाह की शरण मांगती है. फरिश्ते ने कहा कि उसे अल्लाह ने ही मरियम के पास भेजा है, ताकि वो उसे एक बच्चा दे सके. यहां मरियम कहती हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है जब उन्होंने आज तक किसी पुरुष का स्पर्श भी नहीं किया है?
मरियम के इस सवाल पर फरिश्ते ने कहा कि अल्लाह के लिए ऐसा करना सरल है . इसके बाद मरियम गर्भवती हो जाती हैं . पवित्र क़ुरआन शरीफ के अनुसार अल्लाह मरियम को संतान देते हैं लेकिन वो उसके पिता नहीं हैं और न ही ईसा मसीह अल्लाह के पुत्र हैं. जबकि बाइबल में ईसा मसीह को परमेश्वर का पुत्र कहा गया है और ईसा मसीह परमेश्वर को पिता कह कर बुलाते हैं.
पवित्र क़ुरआन शरीफ और बाइबिल की कथाओं में अंतर
पवित्र बाइबल की कथा के मुताबिक मरियम और यूसूफ की सगाई हो चुकी है और इसके बाद मरियम दिव्य शक्ति के द्वारा गर्भवती की जाती हैं. पवित्र क़ुरआन शरीफ में यूसूफ का कोई जिक्र नहीं है. मरियम अल्लाह की शक्ति के द्वारा गर्भवती की जाती है और वो कुंवारी मां ही बनती हैं. बाइबल के मुताबिक यूसूफ को पता है कि यीशू परमेश्वर के द्वारा भेजा जाने वाला है और इस लिए वो उसे अपनाता है.
लेकिन पवित्र क़ुरआन शरीफ के मुताबिक यीशू को अपने जन्म के बाद खुद ही अपनी दिव्यता के बारे में बताना पड़ता है और अपनी मां पर लगे कुंवारी मां के कलंक को दूर करना पड़ता है.
माता अंजना और मदर मरियम का दिव्य शक्ति से गर्भधारण
अब महावीर हनुमान जी की मां और मरियम की कथा की तुलना करें तो दोनों ही दिव्य और अदृश्य शक्तियों के द्वारा गर्भवती की जाती हैं. बाइबल के मुताबिक मरियम के गर्भवती होने में यूसूफ का कोई लेना देना नहीं था और सगाई के बाद परमेश्वर अपनी शक्ति से मरियम को गर्भवती करते हैं. वाल्मिकी जी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि पवन देव के द्वारा जिस वक्त माता अंजना को पुत्र प्राप्ति का वरदान मिला था, उस वक्त माता अंजना का विवाह हुआ था या नहीं. वाल्मीकि ने यह भी स्पष्ट नहीं लिखा है कि क्या विवाह के बाद माता अंजना को पुत्र के रुप में हनुमान जी की प्राप्ति हुई थी.
लेकिन माता अंजना के आंतरिक अंगो में ठीक उसी प्रकार पवनदेव प्रविष्ट करते हैं जैसे मरियम के अंदर रुह को भेजा जाता है और ईश्वर उन पर अपनी छाया कर देते हैं. तीसरी बात, महावीर हनुमान जी एक गुफा में पाये जाते हैं. यानी उनका जन्म वाल्मीकि के मुताबिक आम तौर पर प्रसव के द्वारा नहीं हुआ बल्कि वो दिव्य रुप से एक गुफा में पाए गए. मरियम गर्भवती होती हैं, लेकिन यीशू का जन्म भी एकांत स्थान पर वहां होता है जहां मरियम के अलावा और कोई नहीं होता है.
सारांश यही निकलता है कि वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के जन्म की कथा जिस प्रकार से दैविक और दिव्य है तथा रहस्यात्मक है, उसी प्रकार बाइबल में दी गई यीशू मसीह के जन्म की कथा भी ठीक उसी प्रकार रहस्यात्मक है. माता अंजना और मदर मैरी दोनों ही एक अदृश्य शक्ति के द्वारा गर्भ धारण करती हैं. दोनों के ही पुत्रों का जन्म प्रसव पीड़ा से हुआ या नही ये रहस्य है और दोनो के ही जगत पिता यूसूफ और केसरी वास्तव में यीशू और हनुमान जी के जैविक पिता नहीं थे.
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