वसंत ऋतु का एक-एक दिन नई चेतना प्रदान करने वाला होता है. शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी भी कहा गया है. वसंत पंचमी तो हर साल आती है हमारे जीवन में खुशी, आनंद और उमंग भरने के लिए, हमें उन्नति का रास्ता दिखाने के लिए. लेकिन क्या हम वसंत पंचमी से सही सीख लेकर अपने जीवन को संवार पाते हैं? इस पर विचार करने की जरूरत है आखिर हम वसंत पंचमी से क्या सीखें:
1. वसंत पंचमी के दिन धैर्य की जीत हुई
सबसे पहले हम बात करते हैं त्रेता युग की. रावण के द्वारा सीताजी को हरण कर ले जाने के बाद सीता जी की खोज करते-करते जब भगवान राम दंडकारण्य पहुंचे तो वहां शबरी नाम की भीलनी की कुटिया में गए. बहुत सारे ऋषि मुनी राह देखते रहे लेकिन श्रीराम उनके आश्रम नहीं गए. शबरी की कुटिया पहुंचे. जब शबरी ने श्रीराम को देखा तो अपने होश खो बैठी और चख-चख कर मीठे बेर श्री राम जी को खिलाने लगी. प्रेम में पके बेर श्रीराम खाने लगे. वसंत पंचमी के दिन ही श्रीराम वहां गए थे. गुजरात के डांग जिले में आज भी वो स्थान है. वहां शबरी माता का मंदिर है और लोग वहां एक शिला की पूजा करते हैं.
वसंत पंचमी के दिन भगवान राम का शबरी की कुटिया में जाना और जूठे बेर खाना हमें बहुत कुछ सीख देता है. पहली बात तो ये की शबरी की तरह हम धैर्य रख कर अपना कार्य करते रहें. चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम पीछे ना हटें. धैर्य से अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करते रहें. एक ना एक दिन हमें लक्ष्य अवश्य मिल जाएगा. इसलिए वसंत पंचमी के दिन अपना धैर्य बढ़ाने का संकल्प लें.
दूसरा श्री राम ने अपने वियोग भरे समय में भी अपनी भक्त शबरी का उद्धार किया. यानी हम परेशानी भरे समय में ही क्यों ना हों, लेकिन अपने मन को स्थिर रख कर अपने कर्तव्य का पालन करें. अपने चाहने वालों का, अपने करीबी लोगों का भला करने की कोशिश करें. सबसे प्रेम भाव रखें. सब को समान समझें. सबके साथ अच्छा व्यवहार करें. समाज में, परिवार में तिरस्कार को भुलकर प्रेम बढ़ाने का संकल्प लें.
2. विकट परिस्थिति...
वसंत ऋतु का एक-एक दिन नई चेतना प्रदान करने वाला होता है. शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी भी कहा गया है. वसंत पंचमी तो हर साल आती है हमारे जीवन में खुशी, आनंद और उमंग भरने के लिए, हमें उन्नति का रास्ता दिखाने के लिए. लेकिन क्या हम वसंत पंचमी से सही सीख लेकर अपने जीवन को संवार पाते हैं? इस पर विचार करने की जरूरत है आखिर हम वसंत पंचमी से क्या सीखें:
1. वसंत पंचमी के दिन धैर्य की जीत हुई
सबसे पहले हम बात करते हैं त्रेता युग की. रावण के द्वारा सीताजी को हरण कर ले जाने के बाद सीता जी की खोज करते-करते जब भगवान राम दंडकारण्य पहुंचे तो वहां शबरी नाम की भीलनी की कुटिया में गए. बहुत सारे ऋषि मुनी राह देखते रहे लेकिन श्रीराम उनके आश्रम नहीं गए. शबरी की कुटिया पहुंचे. जब शबरी ने श्रीराम को देखा तो अपने होश खो बैठी और चख-चख कर मीठे बेर श्री राम जी को खिलाने लगी. प्रेम में पके बेर श्रीराम खाने लगे. वसंत पंचमी के दिन ही श्रीराम वहां गए थे. गुजरात के डांग जिले में आज भी वो स्थान है. वहां शबरी माता का मंदिर है और लोग वहां एक शिला की पूजा करते हैं.
वसंत पंचमी के दिन भगवान राम का शबरी की कुटिया में जाना और जूठे बेर खाना हमें बहुत कुछ सीख देता है. पहली बात तो ये की शबरी की तरह हम धैर्य रख कर अपना कार्य करते रहें. चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम पीछे ना हटें. धैर्य से अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करते रहें. एक ना एक दिन हमें लक्ष्य अवश्य मिल जाएगा. इसलिए वसंत पंचमी के दिन अपना धैर्य बढ़ाने का संकल्प लें.
दूसरा श्री राम ने अपने वियोग भरे समय में भी अपनी भक्त शबरी का उद्धार किया. यानी हम परेशानी भरे समय में ही क्यों ना हों, लेकिन अपने मन को स्थिर रख कर अपने कर्तव्य का पालन करें. अपने चाहने वालों का, अपने करीबी लोगों का भला करने की कोशिश करें. सबसे प्रेम भाव रखें. सब को समान समझें. सबके साथ अच्छा व्यवहार करें. समाज में, परिवार में तिरस्कार को भुलकर प्रेम बढ़ाने का संकल्प लें.
2. विकट परिस्थिति में हुनर का सही इस्तेमाल करें
हम सब जानते हैं पृथ्वी राज चौहान ने मोहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध में हराया था और उसे जीवित छोड़ दिया था. 17वीं बार वो मोहम्मद गौरी से हार गए और गौरी उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और पृथ्वीराज चौहान की आंखे फोड़ दी. मोहम्मद गौरी मृत्युदंड देने से पहले पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहता था. पृथ्वीराज के दोस्त कवि चंदबरदाई भी वहां मौजूद थे. मौहम्मद गौरी ऊंचे स्थान पर बैठा था. उसने तवे पर चोट मारकर बाण चलाने का संकेत दिया गया. चंदबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को कविता के माध्याम से बताया-
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चुको चौहान।।
जैसे ही तवे पर चोट हुई पृथ्वीराज चौहान ने ऐसा शब्दभेदी बाण मारा जो सीधे मोहम्मद गौरी को लगा. ये घटना भी वसंत पंचमी के दिन हुई थी. दुश्मनों से घिरे पृथ्वीराज चौहान ने अपने सबसे कठिन समय में भी अपने हुनर के जरिए अपना उद्देश्य पूरा किया. दुश्मन से बदला लिया.
इस घटना से हम सीख ले सकते हैं कि यदि विकट परिस्थिति हमारे सामने हो तो हम अपने हुनर का सही तरीके से इस्तेमाल कर जीत हासिल कर सकते हैं. सफलता मिल सकती है. हम अपने दुखों से छुटकारा पा सकते हैं. यदि हम जीवन में धैर्य धारण करना सीख लें, और किसी एक चीज में महारत हासिल कर लें, हुनरवान बन जाएं, तो हमारे सपने फूलों की तरह खिल सकते हैं. हमारे जीवन में वसंत आ सकता है.
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