ये वक्त का पहिया है जनाब घूम कर जरूर आता है. एक समय था जब ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर 200 सालों तक शासन रहा और आज उसी ब्रिटेन ने अपने देश के मूल निवासी ऋषि सुनक (Rishi Sunak) को प्रधानमंत्री बनाया है. असल में ऋषि सुनक हिंदू धर्म को मानते हैं. वे भले ही विदेश में रहे, लेकिन अपने धर्म को गर्व के साथ अपनाए हुए हैं.
हमने और आपने कुछ लोगों को देखा होगा जिन्हें अपनी संस्कृति औऱ अपने रीति-रिवाजों से शर्म आती हैं. इसलिए वे वेस्टर्न कल्चर को अपनाने का दिखावा करते हैं. वे अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते हैं. उन्हें लगता है कि उनके देश और धर्म की वजह से उन्हें शर्मिंदगाी का सामना करना पड़ेगा. विदेश में रहने वाले लोगों की बात छोड़ो, यहां भारत में रहने वाले लोग ही अपने धर्म, तीज, त्योहार और संस्कृति का खुद मजाक बनाते हैं. वे खुद को हाई-फाई दिखाने के चक्कर में अपने ही कल्चर से दूर भागते हैं.
ऐसे लोगों को ऋषि सुनक से कुछ सीखने और समझने की जरूरत है. आइए जानते हैं कि वे कौन से मौके हैं जब ऋषि सुनक ने अपनी संस्कृति को दुनिया के सामने जगजाहिर किया है.
- चुनाव जीतने के बाद ऋषि सुनक ने ब्रिटेन प्रधानमंत्री आवास पर जब पहला भाषण दिया तो उनकी कलाई पर रक्षासूत्र (कलावा) बंधा हुआ नजर आया. हिंदू धर्म में पूजा या कोई धार्मिक काम करने के बाद सबके हाथ पर कलावा बाधना शुभ माना जाता है. इससे समझ आता है कि ऋषि सुन भले ही वेस्ट में रहे हों मगर उन्होंने अपनी संस्कृति छोड़ी नहीं है, इससे समझ आता है कि उन्हें अपने धर्म पर कितना विश्वास है.
- ऋषि सुनक को साल 2017 में जब ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा ने अपने...
ये वक्त का पहिया है जनाब घूम कर जरूर आता है. एक समय था जब ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर 200 सालों तक शासन रहा और आज उसी ब्रिटेन ने अपने देश के मूल निवासी ऋषि सुनक (Rishi Sunak) को प्रधानमंत्री बनाया है. असल में ऋषि सुनक हिंदू धर्म को मानते हैं. वे भले ही विदेश में रहे, लेकिन अपने धर्म को गर्व के साथ अपनाए हुए हैं.
हमने और आपने कुछ लोगों को देखा होगा जिन्हें अपनी संस्कृति औऱ अपने रीति-रिवाजों से शर्म आती हैं. इसलिए वे वेस्टर्न कल्चर को अपनाने का दिखावा करते हैं. वे अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते हैं. उन्हें लगता है कि उनके देश और धर्म की वजह से उन्हें शर्मिंदगाी का सामना करना पड़ेगा. विदेश में रहने वाले लोगों की बात छोड़ो, यहां भारत में रहने वाले लोग ही अपने धर्म, तीज, त्योहार और संस्कृति का खुद मजाक बनाते हैं. वे खुद को हाई-फाई दिखाने के चक्कर में अपने ही कल्चर से दूर भागते हैं.
ऐसे लोगों को ऋषि सुनक से कुछ सीखने और समझने की जरूरत है. आइए जानते हैं कि वे कौन से मौके हैं जब ऋषि सुनक ने अपनी संस्कृति को दुनिया के सामने जगजाहिर किया है.
- चुनाव जीतने के बाद ऋषि सुनक ने ब्रिटेन प्रधानमंत्री आवास पर जब पहला भाषण दिया तो उनकी कलाई पर रक्षासूत्र (कलावा) बंधा हुआ नजर आया. हिंदू धर्म में पूजा या कोई धार्मिक काम करने के बाद सबके हाथ पर कलावा बाधना शुभ माना जाता है. इससे समझ आता है कि ऋषि सुन भले ही वेस्ट में रहे हों मगर उन्होंने अपनी संस्कृति छोड़ी नहीं है, इससे समझ आता है कि उन्हें अपने धर्म पर कितना विश्वास है.
- ऋषि सुनक को साल 2017 में जब ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा ने अपने कैबिनेट में शामिल किया था तब ऋषि सुनक ने अपने धर्म को लेकर कहा था कि 'मैं गर्व से कहता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है.'
-साल 2020 में ऋषि सुनक जब ब्रिटेन के वित्त मंत्री बने थे तब उन्होंने भगवद्गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी.
- ऋषि सुनक ने नवंबर 2020 में दिवाली पर 11 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर दीये जलाए थे, वे इस पल को उनकी जिंदगी का अहम क्षण मानते हैं.
- ऋषि सुनक साल 2022 के अगस्त महीने में लंदन में गौ पूजन करते हुए नजर आ चुके हैं, जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था.
- ऋषि सुनक ने भारतीय महिला अक्षता मूर्ति हिंदू रीति-रिवाजों से शादी की थी. उनकी ससुराल भारत में है.
- चुनाव प्रचार से पहले ऋषि सुनक के माता-पिता मन्नत मांगने माता वैष्णो देवी के दरबार में आए थे.
तो जिन लोगों को अपने धर्म अपनी संस्कृति से परेशानी होती है. जो लोग हिंदू रीति-रिवाजों में पश्चिमी सभ्यता को शामिल करने लगे हैं. कम से कम उन्हें एक बार ऋषि सुनक के बारे में जरूर जानना चाहिए कि कैसे एक इंसान विदेश में रहकर भी अपनी सभ्यता को बिना शर्म के कायम किए हुए है. शायद आपको भी ऋषि सुनक पर गर्व होने लगे...क्योंकि हम जो हैं, जैसे भी हैं वही हमारी असली पहचान है, बाकी सब तो दिखावा है.
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