इस कहानी में योगीराज में गरीबों की मजबूरियां हैं, एक औरत की बेबसी है, समाज की हवस और उत्तर प्रदेश का भ्रष्टाचार है. इस कहानी को रोचक कहा जाए. दुखद कहा जाए, अफसोस जनक कहा जाए, शर्मनाक या सभ्य समाज का कलंक कहा जाए?
गोरखपुर जिले में एक भटहट गांव है. वहां 13 लोगों को एड्स हो गया है. 13 का पता चल चुका है, उनकी पत्नियों और अन्य लोगों की जांच चल रही है. इन सबके एड्स की एक ही वजह है. रिश्वत.
खबर मजबूरी से शुरू होती है. बात 6 साल पुरानी है. यहां गोरखपुर के भटहट गांव में एक 24 बरस की दुल्हन ब्याह कर आई थी. पति मुंबई में रहता था. वहां किसी कारखाने में काम करता था. शादी के तीन साल बाद ही उसकी मौत हो गई. बीमार रहता था. कौन देखता-दिखवाता. कोई बच्चा हुआ नहीं था. मदद करने वाला भी कोई नहीं था. उसने सोचा कि राशन कार्ड और विधवा पेंशन मिल जाए, तो बड़ी सहूलियत हो जाएगी.
इन सुविधाओं को पाने के लिए जैसे ही इस विधवा ने घर से कदम बाहर निकाला. गांव के बुजुर्ग और इज्जतदार लोग उसकी इज्जत के पीछे हो लिए. महिला ने गांव के काका से मदद मांगी. काका रोजगार सेवक था. रोजगार सेवक महिला को प्रधान के पास ले गया. प्रधान ने उसे सेक्रेटरी से मिलवाया. इन तीनों के अलावा नौ बिचौलियों से भी एक अदद राशन कार्ड के लिए उसका पाला पड़ा. गरीब थी इसलिए सबने रिश्वत के बदले उसके तन का सौदा कर लिया. एक तो गरीब ऊपर से बेसहारा, क्या करती. हिम्मत ही नही हुई कि कुछ कह पाती. उसने सबसे संबंध बना लिया.
ये सब करीब तीन साल तक चलता रहा. ये 13 लोग उससे ‘रिश्वत’ लेते रहे. उसका शोषण करते रहे. फिर करीब तीन महीने पहले वो औरत बीमार हो गई. उसने प्रधान को बताया. प्रधान ने किसी झोला छाप डॉक्टर से दवा दिलवा दी, फायदा कुछ हुआ नहीं. फिर एक...
इस कहानी में योगीराज में गरीबों की मजबूरियां हैं, एक औरत की बेबसी है, समाज की हवस और उत्तर प्रदेश का भ्रष्टाचार है. इस कहानी को रोचक कहा जाए. दुखद कहा जाए, अफसोस जनक कहा जाए, शर्मनाक या सभ्य समाज का कलंक कहा जाए?
गोरखपुर जिले में एक भटहट गांव है. वहां 13 लोगों को एड्स हो गया है. 13 का पता चल चुका है, उनकी पत्नियों और अन्य लोगों की जांच चल रही है. इन सबके एड्स की एक ही वजह है. रिश्वत.
खबर मजबूरी से शुरू होती है. बात 6 साल पुरानी है. यहां गोरखपुर के भटहट गांव में एक 24 बरस की दुल्हन ब्याह कर आई थी. पति मुंबई में रहता था. वहां किसी कारखाने में काम करता था. शादी के तीन साल बाद ही उसकी मौत हो गई. बीमार रहता था. कौन देखता-दिखवाता. कोई बच्चा हुआ नहीं था. मदद करने वाला भी कोई नहीं था. उसने सोचा कि राशन कार्ड और विधवा पेंशन मिल जाए, तो बड़ी सहूलियत हो जाएगी.
इन सुविधाओं को पाने के लिए जैसे ही इस विधवा ने घर से कदम बाहर निकाला. गांव के बुजुर्ग और इज्जतदार लोग उसकी इज्जत के पीछे हो लिए. महिला ने गांव के काका से मदद मांगी. काका रोजगार सेवक था. रोजगार सेवक महिला को प्रधान के पास ले गया. प्रधान ने उसे सेक्रेटरी से मिलवाया. इन तीनों के अलावा नौ बिचौलियों से भी एक अदद राशन कार्ड के लिए उसका पाला पड़ा. गरीब थी इसलिए सबने रिश्वत के बदले उसके तन का सौदा कर लिया. एक तो गरीब ऊपर से बेसहारा, क्या करती. हिम्मत ही नही हुई कि कुछ कह पाती. उसने सबसे संबंध बना लिया.
ये सब करीब तीन साल तक चलता रहा. ये 13 लोग उससे ‘रिश्वत’ लेते रहे. उसका शोषण करते रहे. फिर करीब तीन महीने पहले वो औरत बीमार हो गई. उसने प्रधान को बताया. प्रधान ने किसी झोला छाप डॉक्टर से दवा दिलवा दी, फायदा कुछ हुआ नहीं. फिर एक डॉक्टर के पास ले गए. खून की जांच हुई. रिपोर्ट आई तो प्रधान की पेंट गीली हो गई. महिला को एड्स था. घबराए प्रधान ने गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में दोबारा जांच करवाई गई. वहां भी जांच का नतीजा वही आया.
एड्स था तो निकला भी एड्स ही. फिर इन सब ‘रिश्वत’ लेने वालों ने एक-एक करके अपनी जांच करवाई. सबको एड्स निकला. जितने भी लोगों ने मदद के बहाने उसके साथ सेक्स किया था, सबने अपना-अपना टेस्ट कराया. तेरह लोग एचआईवी पॉजीटिव पाए गए. एड्स की बीमारी ने रिश्वतखोरों को सज़ा तो दी ही इस बात का भी खुलासा हो गया कि एक अकेली औरत को राशन कार्ड और विधवा पेंशन जैसी जरूरी सरकारी मदद पाने के लिए कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. साथ ही ये सामने आया कि यूपी में करप्शन किस स्तर पर है.
सरकारी योजनाएं जरूरतमंदों की मदद के लिए होती हैं. अगर उसे पाने के लिए किसी जरूरतमंद को ये सब करना पड़े, तो समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचार ने हमें कितना लील लिया है. लोग कह रहे हैं कि जिन्होंने जैसा किया, वैसी सजा मिली. कह रहे हैं कि कर्म का फल तो इसी जीवन में मिल जाता है. हो सकता है कि उन 13 लोगों के मामले में ये बात सही लगे. मगर उस औरत की क्या गलती थी कि उसे अपने पति से एड्स मिला? फिर इतने लोगों के हाथों शोषण हुआ उसका. और इन 13 लोगों ने इस बीच में जब अपनी पत्नियों के साथ संबंध बनाया होगा, तो क्या कॉन्डम पहना होगा? वो औरतें भी एड्स का शिकार हो गई हैं? और जो इस बीच इनमें से कोई प्रेगनेंट हुई हो, तो? उस बच्चे का क्या हुआ होगा? इसे कर्मफल कहना भी ठीक नहीं है.
अभीतक ये पता नहीं चल सका है कि गांव में कितने लोग एड्स के शिकार हो चुके हैं. लेकिन इतना पता ज़रूर चल गया है कि यूपी का सिस्टम और योगी की सरकार एड्स से भी ज्यादा लाइलाज, करप्शन की बीमारी से पीड़ित है.
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