पंजाब में भू-जल के गिरते लेवल, अनियमित बारिश के बीच सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए मुख्यमंत्री सिंह भगवंत सिंह मान के इनिशिएटिव संजीवनी का काम कर रहे हैं. फाजिल्का का जानीसर गांव जहां पिछले 35 सालों से लोग सीमित भू-जल श्रोत पर ही निर्भर थे, उनके लिए नहर का पानी किसी सपने जैसा था. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की पहल का नतीजा ये निकला कि सूखे नहर में बहते पानी की धार देख किसानों के चेहरे खिल उठे.
पंजाब में कई ऐसी नहरें हैं जहां आजादी के बाद से पानी पूरी तरह गायब है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ऐसी नहरों को जीवंत कर उस क्षेत्र को हरा-भरा कर रही है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का मिशन 'गांव-गांव नहरी पानी' से इस उद्देश्य की पूर्ति सुनिश्चित हो रही है.
पंजाब में गिरता भू-जल का स्तर बड़ी चिंता
पंजाब में 70 फीसदी से ज्यादा सिंचाई ट्यूबवेल पर निर्भर है. केवल 30 फीसदी के आसपास सिंचाई ही नहर से होती है. ऐसे में भू-जल का लेवल तेजी से गिर रहा है, जो किसानों के लिए बहुत बड़ी चुनौती और टेंशन दोनों है. ऐसे में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान प्रदेश के नहरी ढांचे को सुदृढ़ करने के साथ उसका नेटवर्क बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. अब नहरों का पानी ही किसानों के लिए संजीवनी बनेगा. प्रदेश में अभी 1150 मुख्य नहरें हैं जो 14500 किमी में फैली हैं. नहरों पर निर्भरता बढ़ने से भू-जल में भी सुधार होगा.
किसानों के लिए 'मालवा नहर' बड़ी राहत
देखा जाए तो पंजाब को भाखड़ा बांध से अपने हिस्से का केवल 68 फीसदी ही पानी मिलता है, जबकि राजस्थान को 125 फीसदी और हरियाणा को 110 फीसदी से ज्यादा मिलता है. भगवंत सिंह मान सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट 'मालवा नहर' के बन जाने से न केवल पानी का असंतुलन खत्म होगा बल्कि मालवा के श्री मुक्तसर साहिब, गिद्दड़बाहा, बठिंडा, जीरा, अबोहर, फिरोजपुर, फरीदकोट, फाजिल्का को पर्याप्त पानी मिलेगा. इस नहर से पानी की कमी पूरा होते ही कृषि उत्पादकता बढ़ेगी, जिससे किसानों...
पंजाब में भू-जल के गिरते लेवल, अनियमित बारिश के बीच सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए मुख्यमंत्री सिंह भगवंत सिंह मान के इनिशिएटिव संजीवनी का काम कर रहे हैं. फाजिल्का का जानीसर गांव जहां पिछले 35 सालों से लोग सीमित भू-जल श्रोत पर ही निर्भर थे, उनके लिए नहर का पानी किसी सपने जैसा था. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की पहल का नतीजा ये निकला कि सूखे नहर में बहते पानी की धार देख किसानों के चेहरे खिल उठे.
पंजाब में कई ऐसी नहरें हैं जहां आजादी के बाद से पानी पूरी तरह गायब है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ऐसी नहरों को जीवंत कर उस क्षेत्र को हरा-भरा कर रही है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का मिशन 'गांव-गांव नहरी पानी' से इस उद्देश्य की पूर्ति सुनिश्चित हो रही है.
पंजाब में गिरता भू-जल का स्तर बड़ी चिंता
पंजाब में 70 फीसदी से ज्यादा सिंचाई ट्यूबवेल पर निर्भर है. केवल 30 फीसदी के आसपास सिंचाई ही नहर से होती है. ऐसे में भू-जल का लेवल तेजी से गिर रहा है, जो किसानों के लिए बहुत बड़ी चुनौती और टेंशन दोनों है. ऐसे में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान प्रदेश के नहरी ढांचे को सुदृढ़ करने के साथ उसका नेटवर्क बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. अब नहरों का पानी ही किसानों के लिए संजीवनी बनेगा. प्रदेश में अभी 1150 मुख्य नहरें हैं जो 14500 किमी में फैली हैं. नहरों पर निर्भरता बढ़ने से भू-जल में भी सुधार होगा.
किसानों के लिए 'मालवा नहर' बड़ी राहत
देखा जाए तो पंजाब को भाखड़ा बांध से अपने हिस्से का केवल 68 फीसदी ही पानी मिलता है, जबकि राजस्थान को 125 फीसदी और हरियाणा को 110 फीसदी से ज्यादा मिलता है. भगवंत सिंह मान सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट 'मालवा नहर' के बन जाने से न केवल पानी का असंतुलन खत्म होगा बल्कि मालवा के श्री मुक्तसर साहिब, गिद्दड़बाहा, बठिंडा, जीरा, अबोहर, फिरोजपुर, फरीदकोट, फाजिल्का को पर्याप्त पानी मिलेगा. इस नहर से पानी की कमी पूरा होते ही कृषि उत्पादकता बढ़ेगी, जिससे किसानों की आय भी अच्छी होगी. इससे इन इलाकों के किसान भी खुशहाल होंगे.
(इम्पैक्ट फीचर)
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.