आप क्राइम (Crime) के बारे में कहां तक सोच सकते हैं. मार-पीट, रेप-गैंगरेप (Gangrape), हत्या और लूट. एक बच्चे का पहले लिंग बदलवाकर (Sex Change) लड़की बनाना फिर उससे महीनों सामूहिक रेप करना और भीख मंगवाना. यह घटना इन सबसे कहीं ज्यादा है. जो हमें अंदर से झकझोर देती है कि क्या ऐसा भी हो सकता है, वो भी एक बच्चे के साथ. अब आप सोच रहे होंगे कि यह ये कैसे लोग हैं. शायद आपको गुस्सा भी आ रहा हो.
हमारे समाज में ऐसी घटनाओं के बारे ज्यादा बात नहीं की जाती. इसे इस तौर पर देखा जाता है कि हो गया होगा किसी एकाद के साथ. इसे लड़कों के भविष्य के साथ जोड़कर देखा जाता है. इसलिए लड़कों के साथ होने वाले यौन हिंसा पर ना तो घरवाले बात करते हैं ना ही लड़के.
वैसे भी लड़के तो पत्थर दिल के हैं ना जो हर बात को सह सकते हैं, खुलकर रो नहीं सकते, अपनी हार स्वीकार नहीं कर सकते. उन्हें तो बस लड़ना और मजबूत होना सिखाया जाता है. वरना उनकी मर्दानगी का क्या होगा, लोग समाज के बीच में रहना है तो मजबूती से पेश आओ, लड़की की तरह नहीं.
लड़कियों को तो उनकी सुरक्षा के लिए बचपन से ही ट्रेनिंग दे दी जाती है ताकि वे गुड और बैड टच को समझ सकें. अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रह सकें, लेकिन कितने घरों में यह बात लड़कों को सिखाई जाती है...आजकल स्कूल या माता-पिता भले थोड़ी बहुत जानकारी लड़कों को भी दे रहे हैं लेकिन क्या इतना काफी है. जब तक हम बच्चों से खुलकर बात नहीं करेंगे वो कैसे समझेंगे.
जो इस बच्चे के साथ हुआ वो ना कितनों के साथ हुआ होगा, लेकिन ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है. कितने महीनों बाद तो पुलिस को इस बारे में पता चला है वो भी किसी और के द्वारा. जो पुलिस 24 घंटे हमारी...
आप क्राइम (Crime) के बारे में कहां तक सोच सकते हैं. मार-पीट, रेप-गैंगरेप (Gangrape), हत्या और लूट. एक बच्चे का पहले लिंग बदलवाकर (Sex Change) लड़की बनाना फिर उससे महीनों सामूहिक रेप करना और भीख मंगवाना. यह घटना इन सबसे कहीं ज्यादा है. जो हमें अंदर से झकझोर देती है कि क्या ऐसा भी हो सकता है, वो भी एक बच्चे के साथ. अब आप सोच रहे होंगे कि यह ये कैसे लोग हैं. शायद आपको गुस्सा भी आ रहा हो.
हमारे समाज में ऐसी घटनाओं के बारे ज्यादा बात नहीं की जाती. इसे इस तौर पर देखा जाता है कि हो गया होगा किसी एकाद के साथ. इसे लड़कों के भविष्य के साथ जोड़कर देखा जाता है. इसलिए लड़कों के साथ होने वाले यौन हिंसा पर ना तो घरवाले बात करते हैं ना ही लड़के.
वैसे भी लड़के तो पत्थर दिल के हैं ना जो हर बात को सह सकते हैं, खुलकर रो नहीं सकते, अपनी हार स्वीकार नहीं कर सकते. उन्हें तो बस लड़ना और मजबूत होना सिखाया जाता है. वरना उनकी मर्दानगी का क्या होगा, लोग समाज के बीच में रहना है तो मजबूती से पेश आओ, लड़की की तरह नहीं.
लड़कियों को तो उनकी सुरक्षा के लिए बचपन से ही ट्रेनिंग दे दी जाती है ताकि वे गुड और बैड टच को समझ सकें. अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रह सकें, लेकिन कितने घरों में यह बात लड़कों को सिखाई जाती है...आजकल स्कूल या माता-पिता भले थोड़ी बहुत जानकारी लड़कों को भी दे रहे हैं लेकिन क्या इतना काफी है. जब तक हम बच्चों से खुलकर बात नहीं करेंगे वो कैसे समझेंगे.
जो इस बच्चे के साथ हुआ वो ना कितनों के साथ हुआ होगा, लेकिन ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है. कितने महीनों बाद तो पुलिस को इस बारे में पता चला है वो भी किसी और के द्वारा. जो पुलिस 24 घंटे हमारी सुरक्षा में मुस्तैद रहती है उनकी नजर ऐसी घटना पर क्यों नहीं पड़ी.
शायद किसी पुलिस वाले ने सोचा ही नहीं कि ऐसी घटना किसी नाबालिग लड़के (Minor) के साथ भी हो सकती है. यह घटना लक्ष्मीनगर के गीता कॉलोनी की है जहां बहुत से दूसरे राज्यों के लोग किराए पर रहते हैं. जहां रोज हजारों की भाड़ उमड़ी रहती है. अब ये कहने वाले कहां गए कि लड़की है संभल कर रहना चाहिए. लड़कों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए या सुनसान जगह पर नहीं जाना चाहिए. लड़कों के सुरक्षा के बारे में इनकी क्या राय है.
एक 13 साल का बच्चा जिसकी आरोपी से मुलाकात तीन साल पहले लक्ष्मीनगर में एक डांस इवेंट (Dance Event) में हुई. आरोपी ने पहले उससे दोस्ती की और फिर डांस सिखाने के नाम पर मंडावली ले गया. आरोपी ने कहा कि अगर वह पैसे कमाना चाहता है तो उसे डांस करना पड़ेगा. कुछ दिनों बाद बच्चे को अपने पास रहने के लिए कहा.
जिसके बाद बच्चे को नशीला पदार्थ दिया गया और लिंग चेंज करवा दिया गया. यही नहीं इसके बाद पीड़ित को हार्मोनल दवाइयां दी गईं ताकि उसका शरीर लड़की जैसा दिख सके. इसके बाद 6 पुरूषों ने कई महीनों तक उसका बार-बार रेप किया. मामला यहीं नहीं रुका, ग्राहकों से भी उसका सौदा किया. इसके बाद उसे ट्रांसजेंडर (Transgender) के रूप में भीख मांगने पर भी मजबूर किया गया.
बच्चे ने बताया कि कुछ महीनों बाद उसके एक साथी को भी आरोपी लेकर आए और उसका भी रेप किया. हमने भागने की कोशिश की लेकिन फिर पकड़े गए. आरोपियों ने धमकी दी थी कि इनके खिलाफ हमने कुछ किया या कहा तो हमारे परिवार वालों को भी नहीं छोड़ेंगे. एक दिन दोनों भाग गए और दिल्ली स्टेशन पर दिन भर छिपे रहे. जहां एक वकील की नजर इन पर पड़ी.
बच्चों का मन कितना कोमल होता है. खेलने-कूदने की उम्र में एक नाबालिग का इतना कुछ सहना. क्या बीती होगी उस पर, कितना घूटा होगा वह. उसके सपने को किसी ने कैसे कैद कर लिया. हम और आप उस बच्चे के दर्द का अंदाजा भी नहीं लगा सकते. उसे तो खुद ही नहीं समझ आ रहा होगा कि उसके साथ हो क्या रहा है. इस दर्द के साथ वह पूरी उम्र कैसे बीताएगा.
जिसके बाद दिल्ली महिला आयोग ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. पुलिस ने भी आईपीसी की धारा 377, 363, 326, 506, 341 और POCSO के तहत मामला दर्ज किया है. महिला आयोग, पुलिस, समाजसेवी जिन्होंने समाज का ज़िम्मेदारी अपने सिर लिया है. अब देखना है कि ये लोग कैसे इस मासूम की आवाज़ बनते हैं. क्या मामले को उतना ही सीरियस लिया जाता है जितना दूसरी घटनाओं का या फिर बस घटना दो-चार लाइनों तक ही सीमित रह जाएगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.