क्या आईफोन (iPhone) जिंदगी से ज्यादा जरूरी हो गया है? कर्नाटक के हासन जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है जो हमें यह सोचने पर मजबूर कर रही है. सोचिए कोई आईफोन खरीदने के लिए क्या कर सकता है? पास में पैसे हैं तो तुरंत शो रूम जाकर आईफोन खरीद सकता है. उतने पैसे एक साथ न हो तो ईएमआई में फोन ले सकता है. उधार ले सकता है. लोन ले सकता है. मगर कुछ लोग आईफोन के पीछे इतने पागल हो गए हैं कि सही गलत के बीच के फर्क को भूल गए हैं. माना कि हंसी मजाक में कहा जाता है कि आईफोन लेने के लिए किडनी बेचनी पड़ेगी मगर 20 साल के हेमंत दत्त ने तो आईफोन के लिए डिलीवरी बॉय का ही खून कर दिया.
असल में हेमंत ने फ्लिपकार्ट से 46 हाजर का सेकेण्ड हैंड आईफोन ऑर्डर किया था. उसने इसके लिए कैश ऑन डिलवरी ऑप्शन सेलेक्ट किया था. वह बेसब्री से फोन आने का इंतजार करने लगा. हालांकि उसके पास पैसे नहीं थे. उसका इंतजार खत्म हुआ औऱ डिलीवरी बॉय फोन लेकर उसके दरवाजे पर आ गया. हेमंत के पास पैसे तो थे नहीं तो उसने डिलवरी बॉय को ही मारने की प्लानिंग कर ली. हेमंत ने डिलवरी बॉय को दरवाजे पर इंतजार करने के लिए कहा. डिलीवरी बॉय को लगा कि वह पैसे लेने गया होगा मगर वह चाकू लेकर लौटा और डिलीवरी बॉय की हत्या कर दी.
इतना ही नहीं हत्या करने के बाद उसने लाश को तीन दिनों तक अपने घर पर ही रखा. इसके बाद उसने लाश को बोरे से ढका और सुबह करीब 5 बजे स्कूटी पर लादकर ठिकाने लगाने निकल पड़ा. वह अंककोप्पल रेलवे स्टेशन पहुंचा और सुनसान इलाके में लाश को जला दिया. पुलिस को इस घटना की जानकारी तब हुई जब जली हुई लाश मिली. इसके बाद सीसीटीवी फुटेज से सारी सच्चाई सामने आ गई. पुलिस की पूछताछ में हेमंत ने बताया कि उसके पास पैसे नहीं थे औऱ उसे आईफोन चाहिए...
क्या आईफोन (iPhone) जिंदगी से ज्यादा जरूरी हो गया है? कर्नाटक के हासन जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है जो हमें यह सोचने पर मजबूर कर रही है. सोचिए कोई आईफोन खरीदने के लिए क्या कर सकता है? पास में पैसे हैं तो तुरंत शो रूम जाकर आईफोन खरीद सकता है. उतने पैसे एक साथ न हो तो ईएमआई में फोन ले सकता है. उधार ले सकता है. लोन ले सकता है. मगर कुछ लोग आईफोन के पीछे इतने पागल हो गए हैं कि सही गलत के बीच के फर्क को भूल गए हैं. माना कि हंसी मजाक में कहा जाता है कि आईफोन लेने के लिए किडनी बेचनी पड़ेगी मगर 20 साल के हेमंत दत्त ने तो आईफोन के लिए डिलीवरी बॉय का ही खून कर दिया.
असल में हेमंत ने फ्लिपकार्ट से 46 हाजर का सेकेण्ड हैंड आईफोन ऑर्डर किया था. उसने इसके लिए कैश ऑन डिलवरी ऑप्शन सेलेक्ट किया था. वह बेसब्री से फोन आने का इंतजार करने लगा. हालांकि उसके पास पैसे नहीं थे. उसका इंतजार खत्म हुआ औऱ डिलीवरी बॉय फोन लेकर उसके दरवाजे पर आ गया. हेमंत के पास पैसे तो थे नहीं तो उसने डिलवरी बॉय को ही मारने की प्लानिंग कर ली. हेमंत ने डिलवरी बॉय को दरवाजे पर इंतजार करने के लिए कहा. डिलीवरी बॉय को लगा कि वह पैसे लेने गया होगा मगर वह चाकू लेकर लौटा और डिलीवरी बॉय की हत्या कर दी.
इतना ही नहीं हत्या करने के बाद उसने लाश को तीन दिनों तक अपने घर पर ही रखा. इसके बाद उसने लाश को बोरे से ढका और सुबह करीब 5 बजे स्कूटी पर लादकर ठिकाने लगाने निकल पड़ा. वह अंककोप्पल रेलवे स्टेशन पहुंचा और सुनसान इलाके में लाश को जला दिया. पुलिस को इस घटना की जानकारी तब हुई जब जली हुई लाश मिली. इसके बाद सीसीटीवी फुटेज से सारी सच्चाई सामने आ गई. पुलिस की पूछताछ में हेमंत ने बताया कि उसके पास पैसे नहीं थे औऱ उसे आईफोन चाहिए था.
ऐसा पहली बार नहीं है कि आईफोन के लिए किसी ने आपराधिक घटना को अंजाम दिया हो. इसके पहले भी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ था जिन्होंने आईफोन खरीदने के लिए क्राइम शो देखकर चोरी की थी. इस गिरोह में कुल तीन लोग थे जिसमें दो की उम्र 18 साल से कम थी. पुलिस को उनके पास से चोरी के सामान और लाखों रूपए कैश बरामद हुए थे. वे चोरी करने से पहले रेकी करते थे और जब दुकान बंद हो जाती थी तो ताला तोड़कर वारदात तो अंजाम देते थे.
आईफोन का किस्सा यही खत्म नहीं हुआ है क्योंकि साल 2011 में चीन के एक शख्स ने सच में अपनी एक किडनी बेचकर आईफोन खरीदा था. वह चीन के अनहुई प्रांत का रहने वाला है. जिसका नाम शांगकुन है. जब वह 17 साल का था तो आईपैड 2 और एक आईफोन खरीदने के लिए अपनी किडनी 3,273 डॉलर में बेच दी थी. उसने उस वक्त कहा था कि मेरे पास जो किडनी की जरूरत नहीं है. हालांकि कुछ सालों बाद उसकी हालत खराब हो गई थी.
हर साल जब आईफोन लॉन्च होता है तो लोगों के सिर इसका जादू चढ़कर बोलता है. लोग दनादन नया आईफोन खरीदने लगते हैं. अब जिसके पास पैसे हैं उनके लिए आईफोन कोई बड़ी बात नहीं है, मगर जिनके पास पैसे नहीं होते हैं वे भी इसे लेने की इच्छा मन में रखते हैं. आईफोन के प्रति उनकी दिवानगी इस कदर बढ़ जाती है कि वे अपराध करने पर उतारु हो जाते हैं, जो गलत है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.