एक दुनिया से दूसरी दुनिया में जाने का रास्ता इतना दुखदाई क्यों होता है? कोई अपना जब हमसे छिन जाए तो हमेशा रोते क्यों हैं हम? क्या किसी को खुशी-खुशी विदा नहीं किया जा सकता? ये सारे सवाल तब बहुत ज्यादा परेशान करते हैं जब किसी हंसते-खेलते बच्चे की मौत हो जाती है. वो जिंदगी जिसने अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी होती है वो हमारे सामने से चली जाती है. खास तौर पर तब जब उस बच्चे ने अपनी पूरी जिंदगी में खुशी का कोई खास पल न देखा हो.
ऐसे ही एक 5 साल के बच्चे की कहानी दुनिया के सामने आई है जिसने अपने मरने से पहले शोक संदेश खुद ही लिख दिया. मरने के बाद वो क्या बनना चाहता है और मरने से पहले वो क्या करना चाहता है ये सब कुछ उसने अपने ही शब्दों में बयान किया.
ये कहानी है जेरेट माइकल मैथियस (Garrett Michael Matthias) की. वो पांच साल का बच्चा जिसे स्टेज 4 का Alveolar Fusion Negative Rhabdomyosarcoma (ARMS) कैंसर हो गया था. पिछले साल सितंबर में उसे इस बीमारी ने अपनी चपेट में लिया था और 9 महीने के अंदर ही उसकी मृत्यु हो गई.
जो शोक संदेश उसने अपने लिए चुना उसे सुनकर लोगों को हंसी आ रही है, लेकिन साथ ही दुख भी हो रहा है कि इतना जिंदादिल बच्चा आखिर क्यों इतनी जल्दी दुनिया से चला गया.
वो कैंसर जेरेट के दिमाग से बढ़कर उसकी नसों और कान तक पहुंच गया था. जैसे ही डॉक्टरों ने जेरेट के माता-पिता एमिली और रायन को ये बताया कि जेरेट के बचने की कोई उम्मीद नहीं है वैसे ही माता-पिता ने जेरेट से कई तरह के सवाल पूछने शुरू कर दिए थे ताकि उनका बच्चा मरने के बाद भी अपने ही शब्दों से याद किया जा सके.
अब आयोवा में लोकल अखबार उसके शब्दों को छाप रहे हैं और कुछ दिनों के अंदर ही वो एक इंटरनेट स्टार बन गया है. लोग उसकी ऑबिचुअरी को 'See ya later, suckas!' लिखकर साइन कर रहे...
एक दुनिया से दूसरी दुनिया में जाने का रास्ता इतना दुखदाई क्यों होता है? कोई अपना जब हमसे छिन जाए तो हमेशा रोते क्यों हैं हम? क्या किसी को खुशी-खुशी विदा नहीं किया जा सकता? ये सारे सवाल तब बहुत ज्यादा परेशान करते हैं जब किसी हंसते-खेलते बच्चे की मौत हो जाती है. वो जिंदगी जिसने अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी होती है वो हमारे सामने से चली जाती है. खास तौर पर तब जब उस बच्चे ने अपनी पूरी जिंदगी में खुशी का कोई खास पल न देखा हो.
ऐसे ही एक 5 साल के बच्चे की कहानी दुनिया के सामने आई है जिसने अपने मरने से पहले शोक संदेश खुद ही लिख दिया. मरने के बाद वो क्या बनना चाहता है और मरने से पहले वो क्या करना चाहता है ये सब कुछ उसने अपने ही शब्दों में बयान किया.
ये कहानी है जेरेट माइकल मैथियस (Garrett Michael Matthias) की. वो पांच साल का बच्चा जिसे स्टेज 4 का Alveolar Fusion Negative Rhabdomyosarcoma (ARMS) कैंसर हो गया था. पिछले साल सितंबर में उसे इस बीमारी ने अपनी चपेट में लिया था और 9 महीने के अंदर ही उसकी मृत्यु हो गई.
जो शोक संदेश उसने अपने लिए चुना उसे सुनकर लोगों को हंसी आ रही है, लेकिन साथ ही दुख भी हो रहा है कि इतना जिंदादिल बच्चा आखिर क्यों इतनी जल्दी दुनिया से चला गया.
वो कैंसर जेरेट के दिमाग से बढ़कर उसकी नसों और कान तक पहुंच गया था. जैसे ही डॉक्टरों ने जेरेट के माता-पिता एमिली और रायन को ये बताया कि जेरेट के बचने की कोई उम्मीद नहीं है वैसे ही माता-पिता ने जेरेट से कई तरह के सवाल पूछने शुरू कर दिए थे ताकि उनका बच्चा मरने के बाद भी अपने ही शब्दों से याद किया जा सके.
अब आयोवा में लोकल अखबार उसके शब्दों को छाप रहे हैं और कुछ दिनों के अंदर ही वो एक इंटरनेट स्टार बन गया है. लोग उसकी ऑबिचुअरी को 'See ya later, suckas!' लिखकर साइन कर रहे हैं.
क्या लिखा था उस मृत्युसंदेश में..
मुझे क्या चीज़े सबसे ज्यादा पसंद हैं? मेरी बहन के साथ खेलना, मेरा नीला खरगोश, मेटल की आवाज़, लीगोस, मेरे डेकेयर के दोस्त, बैटमैन और मेरे पोर्ट को हाथ लगाने से पहले जब मुझे सुलाया जाता है तब पसंद आता है (पोर्ट एक तरह की डिस्क होती है जो कीमोथेरिपी करवा रहे मरीजों के शरीर में लगाई जाती है. इसके बाद इंजेक्शन की मदद से पोर्ट में दवाई डाली जाती है जो सीधे नसों तक पहुंचती है. इसमें मरीज को दर्द होता है)
मुझे क्या बुरा लगता है? मुझे पैंट बुरी लगती हैं, गंदा बेवकूफ कैंसर बहुत बुरा लगता है और जब उसके पोर्ट को कोई छूता है तो उसे बहुत तकलीफ होती है, उसे इंजेक्शन बहुत बुरे लगते हैं.
ऐड्रेस.. मैं एक बुलडॉग हूं.
नाम.. Garrett Michael Boofias
(जेरेट ने अपना सरनेम बोफियास रखा क्योंकि उससे अपना असली सरनेम बोलते नहीं बनता था.)
जब मैं मरूंगा तो मुझे जलाना (जैसे थॉर की मां को जलाया गया था.) मैं मरूंगा तब एक पेड़ लगाना जिसपर मैं गोरिल्ला बनकर रहूंगा और पापा पर पॉटी फेकूंगा.
मेरे मरने पर रोना नहीं मुझे 5 बाउंसी हाउस चाहिए (बच्चों के कूदने के लिए बनाए गए टेंट हाउस). 5 इसलिए क्योंकि मैं 5 साल का हूं. मैं चाहता हूं कि बैटमैन आए और हां स्नो कोन भी चाहिए.
मेरे पसंदीदा लोगों में बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, मां-पापा, कजन और बैटमैन है.''
जेरेट के माता-पिता बिलकुल वैसा ही अंतिम संस्कार करने का सोच रहे हैं जैसा जेरेट ने कहा था. वो वाकई जेरेट की अस्थियों के आगे एक पेड़ लगाएंगे और उसे बचा कर रखेंगे. वो अंतिम संस्कार में थीम बैटमैन ही रखेंगे.
किसी ने सच ही कहा है. सबसे छोटे आकार के ताबूत सबसे ज्यादा भारी होते हैं. शायद इसलिए क्योंकि इनमें बच्चों के साथ उनकी खुशियां भी होती हैं. जेरेट जाते-जाते लोगों को सिखा गया कि जिंदगी को अंतिम पड़ाव तक जीना चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए. इस जिंदादिल बच्चे की जिंदगी को सलाम..
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