एक लड़की के लिए कितना मुश्किल है पीरियड्स के समय दिन काटना ये सिर्फ वही जान सकती है. इससे पहले कि कुछ फेमिनिस्ट मुझे ये कहें कि मेरा सोचना गलत है और लड़कियां अपना काम उन दिनों में भी ठीक तरह से करती हैं और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती, ये बायोलॉजिकल है और दुनिया भर के तर्क दें मैं उन्हें ये बता दूं कि यकीनन लड़कियों की क्रिएटिविटी में और उनके काम में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मेरा मानना ये है कि हर लड़की कभी न कभी ये जरूर सोचती है कि उसे पीरियड्स क्यों आए. और यहां उनसे जुड़ी दिक्कतों की बात करने जा रही हूं.
समस्या सिर्फ पेट दर्द की या काम करने की ही नहीं होती बल्कि पीरियड्स के समय कुछ अन्य तरह की समस्याएं भी होती हैं जिन्हें शायद कोई और नहीं समझ सकता...
1. ऑफिस में AC का तेज चलना..
दरअसल, मॉर्डन ऑफिस जिस तरह की एयरकंडीशनिंग का इस्तेमाल करते हैं वो पुरुषों के हिसाब से है. एक 40 साल के पुरुष का मेटाबॉलिजम रेट महिलाओं की तुलना में 30% तेज होता है. ऑफिस का AC उस हिसाब से महिलाओं को कम से कम 2.5 से 4 डिग्री सेल्सियस temperature ज्यादा चाहिए होता है. ये आंकड़ा दिया है दो डच साइंटिस्ट ने जिन्होंने इस पूरे मामले में एक रिसर्च की थी.
अगर ऐसे देखा जाए तो पीरियड्स के समय कुछ लड़कियों को बहुत ज्यादा ठंड लगती है. ये दिक्कत भले ही छोटी सी लगती हो, लेकिन पीरियड्स के समय बहुत कष्टकारी साबित हो सकती है.
2. घर पर मैफ्टलस्पास भूल जाना
यकीनन अगर ऑफिस में डिस्पेंसरी नहीं है तो पीरियड्स थोड़े और दुखदाई हो जाते हैं. एक छोटी सी सफेद गोली जो पीरियड्स के दौरान लड़कियों की साथी होती है अगर वो घर पर भूल गए तो दिक्कत हो सकती है.
3. बात-बात पर गुस्सा करना
'दैट टाइम ऑफ द मंथ'.....
एक लड़की के लिए कितना मुश्किल है पीरियड्स के समय दिन काटना ये सिर्फ वही जान सकती है. इससे पहले कि कुछ फेमिनिस्ट मुझे ये कहें कि मेरा सोचना गलत है और लड़कियां अपना काम उन दिनों में भी ठीक तरह से करती हैं और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती, ये बायोलॉजिकल है और दुनिया भर के तर्क दें मैं उन्हें ये बता दूं कि यकीनन लड़कियों की क्रिएटिविटी में और उनके काम में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मेरा मानना ये है कि हर लड़की कभी न कभी ये जरूर सोचती है कि उसे पीरियड्स क्यों आए. और यहां उनसे जुड़ी दिक्कतों की बात करने जा रही हूं.
समस्या सिर्फ पेट दर्द की या काम करने की ही नहीं होती बल्कि पीरियड्स के समय कुछ अन्य तरह की समस्याएं भी होती हैं जिन्हें शायद कोई और नहीं समझ सकता...
1. ऑफिस में AC का तेज चलना..
दरअसल, मॉर्डन ऑफिस जिस तरह की एयरकंडीशनिंग का इस्तेमाल करते हैं वो पुरुषों के हिसाब से है. एक 40 साल के पुरुष का मेटाबॉलिजम रेट महिलाओं की तुलना में 30% तेज होता है. ऑफिस का AC उस हिसाब से महिलाओं को कम से कम 2.5 से 4 डिग्री सेल्सियस temperature ज्यादा चाहिए होता है. ये आंकड़ा दिया है दो डच साइंटिस्ट ने जिन्होंने इस पूरे मामले में एक रिसर्च की थी.
अगर ऐसे देखा जाए तो पीरियड्स के समय कुछ लड़कियों को बहुत ज्यादा ठंड लगती है. ये दिक्कत भले ही छोटी सी लगती हो, लेकिन पीरियड्स के समय बहुत कष्टकारी साबित हो सकती है.
2. घर पर मैफ्टलस्पास भूल जाना
यकीनन अगर ऑफिस में डिस्पेंसरी नहीं है तो पीरियड्स थोड़े और दुखदाई हो जाते हैं. एक छोटी सी सफेद गोली जो पीरियड्स के दौरान लड़कियों की साथी होती है अगर वो घर पर भूल गए तो दिक्कत हो सकती है.
3. बात-बात पर गुस्सा करना
'दैट टाइम ऑफ द मंथ'.. कई बार लोगों के मुंह से सुना होगा. ये एक भोगा हुआ सच है. असल में उस दौरान जो गुस्सा आता है उसे बता पाना मुश्किल होता है. किसी को खरी-खोटी सुनाने का दिल करता है, लेकिन ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि सबकी सुनना भी जरूरी है.
4. छोटी सी बात पर इमोशनल हो जाना
ये भी हार्मोन्स के कारण ही होता है. उस समय छोटी से छोटी बात भी दुखदाई हो सकता है और ये दूसरों को समझाना मुश्किल होता है.
5. बहुत सारा चॉकलेट या आईस्क्रीम खाने का मन करना
अब हर समय तो ये उपलब्ध नहीं होता, लेकिन इसे खाने का मन जरूर करता है.
6. सोते समय करवट लेना..
ये एक अलग तरह की दिक्कत है जिसे सिर्फ एक लड़की ही समझ सकती है. सोते समय करवट लेना कई बार अनचाहे दर्द को दावत दे सकता है.
7. मेट्रो में दो घंटे का ट्रैवल करना
पीरियड्स के दौरान सीट न मिलने पर भी मेट्रो में दो घंटे ट्रैवल करने वाली हर लड़की अपने आप में एक योद्धा होती है. सिर्फ मेट्रो में ट्रैवल ही नहीं बिना मन के चलना और टैक्सी या ऑटो का इंतजार करना भी काफी अझेल होता है.
8. लोगों को झेलना..
वैसे तो कुछ लोग हमेशा इरिटेटिंग रहते हैं, लेकिन पीरियड्स के समय उन्हें झेलना कुछ ज्यादा ही मुश्किल काम होता है.
ये भी पढ़ें-
पीरियड्स को लेकर शास्त्रों में दी गई है ये अजीबो-गरीब वजह..
खून का रंग लाल ही होता है...समझ तो आया!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.