सांवला रंग, लंबे बाल और बड़ी-बड़ी आंखों वाली रीना काफी होनहार छात्रा थी. आवाज इतनी तेज कि क्लास में गूंजने लगती थी. वह 9वीं कक्षा में थी और बाकी लड़कियों से थोड़ी लंबी थी. उसने अपने विषय में गृहविज्ञान नहीं बल्कि विज्ञान विषय चुना था. स्कूल के बाद उसे अपनी सहेली गरिमा के साथ खेलना बहुत पसंद था. यह बात करीब 12-13 साल पहले की है.
गरिमा ने देखा कि कुछ दिनों से रीना का स्वाभाव बदला हुआ था. पूरी कक्षा में उधम मचाने वाली चंचल लड़की थोड़ी शांत रहने लगी थी. गरिमा ने एक दिन पूछ लिया, रीना तू मेरे से नाराज है क्या? मेरे साथ खेलती भी नहीं है और बात भी नहीं करती.
रीना ने पहले तो कहा कि मेरी तबियत ठीक नहीं है. फिर वह रोने लगी. इसके बाद उसने गरिमा को बताया कि मेरी चाची ने मुझे स्कूल में खेलने से मना किया है. उनका कहना है कि अब मैं बड़ी हो रही हूं और मुझे शांत रहना चाहिए. स्कूल की मैडम में भी मुझे यही कहा है. मैं जो भी करना चाहती हूं सब मना कर देते हैं. इससे अच्छा है मैं स्कूल ही ना आऊं.
रीना ने बताया कि जिस चाची के साथ वह रहती है उन्होंने उसे एक टाइट समीज दी है, जिसे स्कूल ड्रेस के नीचे पहनने को कहा है ताकि उसके स्तन उभरे ना दिखे. उसने कहा कि मुझे भी बहुत शर्म आती है लेकिन मैं वह समीज नहीं पहनना चाहती क्योंकि उससे मुझे दर्द होता है.
हालांकि उसे पहनने के बाद मेरे स्तन सपाट दिखने लगते हैं लेकिन वह बहुत ही ज्यादा टाइट है. मेरे साइकिल चलाने पर मुझे टोका जाता है. मैं परेशान हो गई हूं कि क्या करूं. गरिमा ने कहा कि क्या करें यार, हम लड़कियों के साथ ही सारी परेशानियां जुड़ी होती हैं, लेकिन तू...
सांवला रंग, लंबे बाल और बड़ी-बड़ी आंखों वाली रीना काफी होनहार छात्रा थी. आवाज इतनी तेज कि क्लास में गूंजने लगती थी. वह 9वीं कक्षा में थी और बाकी लड़कियों से थोड़ी लंबी थी. उसने अपने विषय में गृहविज्ञान नहीं बल्कि विज्ञान विषय चुना था. स्कूल के बाद उसे अपनी सहेली गरिमा के साथ खेलना बहुत पसंद था. यह बात करीब 12-13 साल पहले की है.
गरिमा ने देखा कि कुछ दिनों से रीना का स्वाभाव बदला हुआ था. पूरी कक्षा में उधम मचाने वाली चंचल लड़की थोड़ी शांत रहने लगी थी. गरिमा ने एक दिन पूछ लिया, रीना तू मेरे से नाराज है क्या? मेरे साथ खेलती भी नहीं है और बात भी नहीं करती.
रीना ने पहले तो कहा कि मेरी तबियत ठीक नहीं है. फिर वह रोने लगी. इसके बाद उसने गरिमा को बताया कि मेरी चाची ने मुझे स्कूल में खेलने से मना किया है. उनका कहना है कि अब मैं बड़ी हो रही हूं और मुझे शांत रहना चाहिए. स्कूल की मैडम में भी मुझे यही कहा है. मैं जो भी करना चाहती हूं सब मना कर देते हैं. इससे अच्छा है मैं स्कूल ही ना आऊं.
रीना ने बताया कि जिस चाची के साथ वह रहती है उन्होंने उसे एक टाइट समीज दी है, जिसे स्कूल ड्रेस के नीचे पहनने को कहा है ताकि उसके स्तन उभरे ना दिखे. उसने कहा कि मुझे भी बहुत शर्म आती है लेकिन मैं वह समीज नहीं पहनना चाहती क्योंकि उससे मुझे दर्द होता है.
हालांकि उसे पहनने के बाद मेरे स्तन सपाट दिखने लगते हैं लेकिन वह बहुत ही ज्यादा टाइट है. मेरे साइकिल चलाने पर मुझे टोका जाता है. मैं परेशान हो गई हूं कि क्या करूं. गरिमा ने कहा कि क्या करें यार, हम लड़कियों के साथ ही सारी परेशानियां जुड़ी होती हैं, लेकिन तू अपनी पढ़ाई कैसे छोड़ सकती है.
कुछ दिनों बाद गरिमा ने देखा कि रीना चुपचाप टाइट समीज पहनने लगी है और धीरे-धीरे उसकी आदत पड़ गई. उसे पता ही नहीं था कि टीनएज गर्ल के लिए भी ब्रा, स्पैगडी ब्रा और स्पोर्ट्स ब्रा भी आती है. घर की महिलाओं को तो बस इससे मतलब रहता था कि लड़कियों का वक्ष कहीं से दिख ना जाए. उन्हें पता ही नहीं था कि लड़कियों को किस उम्र से ब्रा पहनने की सलाह देनी चाहिए ताकि उनका सही ढंग से विकास हो सके.
हो सकता है कि यह सिर्फ रीना की कहानी ना हो, हो सकता है कि रीना जैसी कई लड़कियों के शरीर का प्राकृतिक विकास होना शर्म की बात लगी हो और वे इस तरह गलत फैसला लेने के लिए मजबूर हो गईं हों. असल में महिलाओं और लड़कियों को लेकर समाज काफी पिछड़ा रहा है.
रीना 12वीं तक टाइट समीज ही पहनती रही और उसका शारीरिक विकास सही ढंग से नहीं हो पाया. उसे तो अपनी सहेलियों से ही पता चला कि टीनएज लड़कियों के लिए भी ब्रा होता है, जिससे पहनने से उन्हें परेशानी नहीं होती.
एक दिन रीना को उसकी ट्यूशन दोस्त खुशी ने बताया कि उसकी मम्मी ने उसके लिए ब्रा खरीदा है. वरना रीना तो टाइट समीज को और अधिक टाइट करने के लिए पैंट में खींच लेती थी. रीना ने बताया कि कैसे उसने पहले टाइट समीज पहनी फिर स्पैगडी, फिर शर्ट के उपर वाली स्कर्ट और फिर स्कूल ड्रेस को बदलकर कमीज और पिन के साथ टाइट सेट किया दुप्पटा...उसे इतना कुछ इसलिए करना पड़ा क्योंकि समाज के लोगों को उसके विकसित होते स्तनों ने समस्या थी.
रीना की अब शादीशुदा है और उसकी एक बेटी है. वह कहती है कि मैं सबसे पहले अपनी बेटी के बारे में सोचती हूं उसके बाद समाज के बारे में. जब मेरी बेटी बड़ी होगी तो मैं उसके शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के विकास का पूरा ध्यार रखूंगी. ताकि बड़ी होकर वह एक सुखद बचपन को याद करे और हीन महसूस ना करे.
नोट: लड़कियों की पहचान उजागर ना हो इसलिए इस कहानी में उनके नाम बदल दिए गए हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.