महिलाओं के साथ छेड़खानी कहां नहीं होती. लेकिन किस हद तक होती है उसका जवाब शायद आपके पास न हो. महिलाओं को घूरना, गंदे इशारे और कमेंट करना, उनसे सटकर निकल जाना, उनके निजी अंगों को छूना तो बेहद आम बाते हैं जो दुनिया की हर महिला को झेलनी ही पड़ती है. लेकिन आप ये सोच नहीं सकते कि एक महिला के साथ ये सब एक दिन में कितनी बार होता होगा.
मनचलों की हरकतों का रिपोर्ट कार्ड
dress for respect नाम के एक प्रोजेक्ट के तहत ब्राजील के कुछ शोधकर्ताओं ने एक शोध किया जिसका मकसद ये जानना था कि एक नाइट आउट के दौरान महिलाओं को कितनी बार गलत तरीके से छुआ या पकड़ा जाता है. और इस शोध के लिए उन्होंने एक स्पर्श संवेदनशील ड्रेस यानी touch-sensitive dress बनाई. इस ड्रेस पर सेंसर्स लगाए गए थे जो हर उस स्पर्श को रिकॉर्ड करते थे जब उस महिला को छुआ जाता था. ये स्मार्ट ड्रेस सिर्फ स्पर्श की संख्या नहीं बल्कि कितनी जोर उन्हें पकड़ा जाता है ये भी बताती है.
एक क्लब में तीन महिलाओं के ये ड्रेस पहनाई गई. और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी गई. पाया गया कि 4 घंटों से भी कम समय अंतराल में, उन तीनों को उनकी मर्जी के खिलाफ 157 बार छुआ गया था. यानी एक महिला को एक घंटे में 40 से भी ज्यादा बार गलत इरादे से पकड़ा गया था.
शोधकर्ता उस पूरी गतिविधि को दूर बैठे एक हीट मैप द्वारा देख सकते थे, जहां महिला को छुआ जाता था उस जगह ड्रेस चमकने लगती थी. आप देख सकते हैं कि महिला को कहां-कहां हाथ लगाया गया.
महिलाओं के साथ छेड़खानी कहां नहीं होती. लेकिन किस हद तक होती है उसका जवाब शायद आपके पास न हो. महिलाओं को घूरना, गंदे इशारे और कमेंट करना, उनसे सटकर निकल जाना, उनके निजी अंगों को छूना तो बेहद आम बाते हैं जो दुनिया की हर महिला को झेलनी ही पड़ती है. लेकिन आप ये सोच नहीं सकते कि एक महिला के साथ ये सब एक दिन में कितनी बार होता होगा.
मनचलों की हरकतों का रिपोर्ट कार्ड
dress for respect नाम के एक प्रोजेक्ट के तहत ब्राजील के कुछ शोधकर्ताओं ने एक शोध किया जिसका मकसद ये जानना था कि एक नाइट आउट के दौरान महिलाओं को कितनी बार गलत तरीके से छुआ या पकड़ा जाता है. और इस शोध के लिए उन्होंने एक स्पर्श संवेदनशील ड्रेस यानी touch-sensitive dress बनाई. इस ड्रेस पर सेंसर्स लगाए गए थे जो हर उस स्पर्श को रिकॉर्ड करते थे जब उस महिला को छुआ जाता था. ये स्मार्ट ड्रेस सिर्फ स्पर्श की संख्या नहीं बल्कि कितनी जोर उन्हें पकड़ा जाता है ये भी बताती है.
एक क्लब में तीन महिलाओं के ये ड्रेस पहनाई गई. और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी गई. पाया गया कि 4 घंटों से भी कम समय अंतराल में, उन तीनों को उनकी मर्जी के खिलाफ 157 बार छुआ गया था. यानी एक महिला को एक घंटे में 40 से भी ज्यादा बार गलत इरादे से पकड़ा गया था.
शोधकर्ता उस पूरी गतिविधि को दूर बैठे एक हीट मैप द्वारा देख सकते थे, जहां महिला को छुआ जाता था उस जगह ड्रेस चमकने लगती थी. आप देख सकते हैं कि महिला को कहां-कहां हाथ लगाया गया.
क्यों जरूरी था ये शोध
लोगों की बेशर्मी के लिए कोई शोध किया जाए ये ही अपने आप में शर्मिंदा करने वाली बात होती है, लेकिन ब्राजील के मामले में इसका होना जरूरी था क्योंकि वहां कि महिलाओं को पुरुषों से इज्जत नसीब नहीं होती. एक रिसर्च कहती है कि ब्राजील की 86 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि उन्हें नाइट क्लब में गलत तरीके से पकड़ा गया. आप अंदाजा लगाइए कि एक महिला क्लब में अगर एक घंटा बिताती है तो उसे 40 बार गलत तरीके से छुआ जाता है. और सिर्फ नाइट क्लब ही क्यों, ऐसा हर जगह होता है. लेकिन आश्चर्य होता है कि पुरुषों को कभी इस बात का आभास नहीं होता कि महिलाओं के साथ ऐसा कुछ भी होता है. बाहर जाने पर महिलाएं किस तरह अनचाहे स्पर्श को झेलती हैं, उसे बताने के लिए ये एक्सपेरिमेंट होना जरूरी था.
देखिए वीडियो और समझिए
भारत को भी जरूरत है ऐसे एक्सपेरिमेंट की
खैर भारत के लोग ये कह सकते हैं कि महिलाएं ऐसे कपड़े पहनकर नाइट क्लब में जाएंगी तो लोग ऐसा करेंगे ही, लेकिन उन लोगों को मैं बस यही कहना चाहती हूं कि ऐसी छेड़खानी हर उस जगह होती है जहां भीड़ होती है. मनचलों को तो बस मौका चाहिए महिलाओं से सटने का. बस में, मेट्रो में, किसी मेले में, हर जगह इस तरह की हरकतें महिलाओं के साथ की जाती हैं, और हां, वहां महिलाएं छोटे नहीं बल्कि पूरे कपड़े पहने होती हैं. इसलिए इस बात की दुहाई तो न ही दी जाए कि कपड़े कैसे थे. शुक्र है कि ब्राजील के शोधकर्ताओं ने अपने शोध से दुनिया को सच दिखा दिया. भारत में भी अगर इस तरह का शोध होगा तो भी नतीजे चौंकाने वाले ही होंगे. लेकिन जरूरत है इस वीडियो को देखकर शर्मिंदा होने की, क्योंकि शर्म आएगी तभी हाथों पर लगाम लगाना सीखेंगे लोग.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.