आधार कार्ड को लेकर काफी विरोध हो रहा था और निजी जानकारियों पर खतरा बताया जा रहा था. लेकिन आधार कार्ड ने ही एक हत्यारे को पकड़वाने में मदद की है. हैदराबाद की एक महिला ने अपने पति की हत्या की और फिर अपने प्रेमी की प्लास्टिक सर्जरी कराकर उसे अपना पति कहने लगी. लेकिन आधार कार्ड ने उसका पर्दाफाश कर दिया. यह सिर्फ सुनने में ही फिल्मी नहीं लगता, बल्कि यह एक फिल्म की ही कहानी है. अल्लू अर्जुन की एक तेलगू फिल्म 'येवादु' की कहानी को इस महिला ने अपनी असल जिंदगी में लागू किया और इस वारदात को अंजाम दिया.
स्वाति रेड्डी ने पहले अपने पति सुधाकर रेड्डी की हत्या की और फिर उसके शव को प्रेमी के साथ मिलकर जंगल ले जाकर जला दिया. (तस्वीर- सुधाकर और स्वाति)
पहली बार आधार डेटा हुआ इस्तेमाल
निजता के अधिकार को अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकार करार दिया था. उसके बाद ऐसा पहली बार है, जब आधार कार्ड का इस्तेमाल करते हुए किसी अपराधी को पकड़ा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 3 परिस्थितियां बताई थीं, जिसमें निजी जानकारियां भी चेक की जा सकेंगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी एक बयान देते हुए इन तीन परिस्थितियों की पुष्टि की थी.
- पहला राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में किसी की निजी जानकारियों की छानबीन की जा सकेगी.
- दूसरा अगर वह शख्स किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त पाया गया तो भी उसकी निजी जानकारियां चेक की जा सकती हैं.
- वहीं तीसरी स्थिति सामाजिक-आर्थिक लाभों का वितरण करने पर लागू होगी. आपको बता दें कि इस तीसरी स्थिति के तहत ही सरकार लाभकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर रही है.
पति की हत्या के बाद महिला ने अपने प्रेमी राजेश के मुंह पर तेजाब फेंका और फिर उसकी प्लास्टिक सर्जरी कराई.
क्या है मामला?
यह मामला हैदराबाद के नागरकुर्नूल जिले का है, जहां पर एक महिला स्वाति रेड्डी ने प्रेमी राजेश के साथ मिलकर अपने पति सुधाकर रेड्डी की हत्या कर दी. दोनों ने 26 नवंबर को सुधाकर की हत्या करने के बाद उसका शव ले जाकर जंगल में जला दिया. उसके बाद साजिश के तहत स्वाति ने अपने प्रेमी के मुंह पर तेजाब फेंक कर उसका चेहरा बिगाड़ दिया. महिला ने घरवालों को सूचित किया कि उसके पति (सुधाकर बना राजेश) का एक्सिडेंट हो गया है और अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घरवालों ने करीब 5 लाख रुपए खर्च कर के उसकी प्लास्टिक सर्जरी कराई.
आधार कार्ड ने खोली पोल
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है कि प्लास्टिक सर्जरी के बाद राजेश सुधाकर जैसा दिखने लगा, लेकिन हूबहू किसी और की शक्ल का दिखना मेडिकल साइंस में अभी तक संभव नहीं है. घर आने के बाद घरवालों को राजेश के व्यवहार पर संदेह हुआ कि वह सुधाकर नहीं है तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने जब आधार कार्ड की जानकारी से सुधाकर की जानकारियां मिलाईं तो इस साजिश का पर्दाफाश हो गया. आधार कार्ड की बायोमीट्रिक जानकारियों से राजेश की जानकारियां मेल नहीं खा रही थीं. फिलहाल राजेश और स्वाति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
स्वाति और राजेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
पहले भी मांगी गई थी बायोमीट्रिक जानकारी
इससे पहले भी एक बार आपराधिक जांच के लिए बायोमीट्रिक डेटा का इस्तेमाल करने की गुजारिश की जा चुकी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में बायोमीट्रिक डेटा इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी थी. यह मामला मार्च 2014 का है, जब गोवा हाई कोर्ट ने 14 महीने की एक बच्ची से गैंगरेप के मामले में आधार डेटा शेयर करने का आदेश दिया था. यह आदेश यूआईडीएआई को दिया गया था, जिसमें कहा था कि गोवा के लोगों का आधार डेटा सीबीआई के साथ साझा किया जाए, ताकि बच्ची से गैंगरेप के दोषियों को पकड़ने में मदद मिल सके. दरअसल, घटनास्थल से बहुत सारे फिंगरप्रिंट मिले थे, जिस आधार पर गोवा हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था.
गोवा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यूआईडीएआई बॉम्बे हाईकोर्ट चला गया, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी आधार डेटा साझा करने का आदेश दिया. इसके बाद आखिरकार यूआईडीएआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. यूआईडीएआई ने तर्क दिया कि उनके डेटाबेस में भी गलत व्यक्ति के चिन्हित होने की 0.057% संभावना है और इसकी वजह से लाखों लोग सीबीआई की जांच के दायरे में आ सकते हैं. साथ ही यूआईडीएआई ने किसी का आधार डेटा साझा करने को निजता का हनन बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि किसी की अनुमति के बगैर उसका आधार डेटा साझा नहीं किया जा सकता है. इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया था.
ये भी पढ़ें-
विश्व गुरु बनने का सपना देखने वाले देश के माथे पर कलंक हैं ये घटनाएं...
नया गेम : इसमें सुसाइड नहीं, दूसरों की जान लेना सीख रहे हैं बच्चे !
राजसमंद मामलाः कैसे बन गया वह इतना क्रूर हत्यारा?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.