आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक और फैसला दे दिया है. अब बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से लिंक करने की जरूरत नहीं है. देश भर में आधार को हो रहे विरोध और आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी की सुरक्षा पर उठते सवालों के बाद ये फैसला कुछ अनोखा ही कहा जाएगा. जहां कुछ समय पहले आधार को हर चीज़ के लिए जरूरी कर दिया गया था वहीं अब ये नहीं होगा.
आधार कार्ड को 2009 में जब बनवाने की बात कही गई थी तब ये कहा गया था कि इससे दक्षता बढ़ेगी और कम भ्रष्टाचार होगा, लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी, लेकिन हाल ही में जो रिपोर्ट आई है उससे लगता है कि आधार की वजह से लोगों की जिंदगी ज्यादा खतरे में पड़ गई. पिछले साल झारखंड में एक 11 साल की लड़की भुखमरी से मारी गई थी क्योंकि परिवार का राशन कार्ड को निरस्त कर दिया गया था और क्योंकि वो आधार से लिंक नहीं था तो उन्हें राशन नहीं मिला.
ये तो खाली एक किस्सा था, लेकिन इस जैसे कई किस्से पिछले कुछ सालों में देखने को मिले हैं जहां आधार कार्ड की वजह से लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई. एक नई रिपोर्ट कहती है कि पिछले चार सालों में 56 मौतें आधार की वजह से हुई हैं जहां 27 में तो आधार सीधे तौर पर दोषी माना जा रहा है.
रिसर्च गूगल के रिजल्ट के आधार पर की गई है और जिन लोगों की मौत हुई है उनमें से ज्यादातर भुखमरी के शिकार हुए थे.
* 2015 में भुखमरी से 7 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी कोई नहीं.
* 2016 में भुखमरी से 7 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी हुई 2
* 2017 में 14 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी हुई 11
* 2018 में 29 मौतें, आधार से...
आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक और फैसला दे दिया है. अब बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से लिंक करने की जरूरत नहीं है. देश भर में आधार को हो रहे विरोध और आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी की सुरक्षा पर उठते सवालों के बाद ये फैसला कुछ अनोखा ही कहा जाएगा. जहां कुछ समय पहले आधार को हर चीज़ के लिए जरूरी कर दिया गया था वहीं अब ये नहीं होगा.
आधार कार्ड को 2009 में जब बनवाने की बात कही गई थी तब ये कहा गया था कि इससे दक्षता बढ़ेगी और कम भ्रष्टाचार होगा, लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी, लेकिन हाल ही में जो रिपोर्ट आई है उससे लगता है कि आधार की वजह से लोगों की जिंदगी ज्यादा खतरे में पड़ गई. पिछले साल झारखंड में एक 11 साल की लड़की भुखमरी से मारी गई थी क्योंकि परिवार का राशन कार्ड को निरस्त कर दिया गया था और क्योंकि वो आधार से लिंक नहीं था तो उन्हें राशन नहीं मिला.
ये तो खाली एक किस्सा था, लेकिन इस जैसे कई किस्से पिछले कुछ सालों में देखने को मिले हैं जहां आधार कार्ड की वजह से लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई. एक नई रिपोर्ट कहती है कि पिछले चार सालों में 56 मौतें आधार की वजह से हुई हैं जहां 27 में तो आधार सीधे तौर पर दोषी माना जा रहा है.
रिसर्च गूगल के रिजल्ट के आधार पर की गई है और जिन लोगों की मौत हुई है उनमें से ज्यादातर भुखमरी के शिकार हुए थे.
* 2015 में भुखमरी से 7 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी कोई नहीं.
* 2016 में भुखमरी से 7 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी हुई 2
* 2017 में 14 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी हुई 11
* 2018 में 29 मौतें, आधार से सीधे तौर पर जुड़ी हुई 14
रिसर्च कहती है कि इन लोगों की मौत को टाला जा सकता था अगर उनके पास आधार से लिंक राशन कार्ड या पेंशन कार्ड होता. मौत इसलिए हुई क्योंकि घर में न तो राशन था न पैसा. इस रिपोर्ट को बनाया है रितिका खेरा और सिराज दत्ता ने. इसमें स्वाति नारायण ने भी हिस्सा लिया और राइट टू फूड कैंपेन संस्थान (उड़ीसा, झारखंड और दिल्ली) का भी इसमें सहयोग था.
रिपोर्ट कहती है कि जिन लोगों की मौत हुई है उनमें से अधिकतर पिछड़ी जाती के थे. इनमें दलित, आदिवासी और मुस्लिम शामिल थे. सबसे नजदीकी मामला बक्सर, बिहार का है जहां पांच साल का गोविंदा और दो साल की ऐश्वर्या 31 अगस्त और 1 सितंबर को भुखमरी का शिकार हो गए. ये दोनों सबसे पिछड़ी मानी जाने वाले महा-दलित समाज का हिस्सा थे. इन दोनों के पिता को जेल हो गई थी और मां आधार कार्ड को राशन कार्ड से लिंक नहीं करवा पाई और परिवार को पिछले 8 महीनों से राशन नहीं मिला.
जहां आधार को सभी सरकारी स्कीम और सुविधाओं से लिंक करने का मामला इतना संगीन हो गया था वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लोगों को राहत ही मिली है.
जब से सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आया है तब से ही सोशल मीडिया पर लोग इससे जुड़े मीम शेयर करने लगे हैं.
ट्विटर पर जैसे आधार से जुड़ी हुई ट्वीट्स की बाढ़ आ गई है और सब अपनी तरह से इस फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जहां एक ओर लोग इस फैसले पर बात कर रहे हैं वहीं इंदौर से अपनी तरह का एक अलग मामला ही सामने आया है. ये मामला भी आधार कार्ड से जुड़ा हुआ है.
बेटे की जगह कुत्ते के नाम पर लिया जा रहा था राशन-
आधार कार्ड पर जहां राशन की किल्लत से परेशान लोगों की मौतें हुई हैं, वहीं दूसरी ओर धार जिले की बोधिया पंचायत में एक अनोखा ही मामला सामने आया है. यहां कुत्ते के नाम पर पिछले एक साल में 60 किलो राशन लिया गया. हालांकि, इसमें कुत्ते का नाम कहां से आ गया और आखिर ये राशन उसके खाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा था या नहीं ये तो नहीं पता, लेकिन अगर देखा जाए तो इतना पता है कि कुत्ते के नाम पर धांधली पूरे एक साल से हो रही थी.
उस कुत्ते के मालिक नरसिंह बोदार ने उसका नाम अपने बेटे की जगह राशन कार्ड में लिखवाया था. आधार कार्ड पर बोदार ने अपनी पत्नी और बेटे राजू का नाम लिखवाया था जो असल में कुत्ता था और इसके बारे में पता तब चला जब आधार कार्ड वेरिफिकेशन किया गया.
बोदार जब हफ्ते भर का राशन लेने आया तो दुकान मालिक के आधार कार्ड की कॉपी मांगने पर उसने अपना और अपनी पत्नी का कार्ड तो दिखाया और राजू के बारे में पूछने पर पता चला कि वो तो कुत्ता है.
अब कुत्ते का नाम राशन कार्ड पर कैसे आ गया ये तो सोचने वाली बात है.
इस देश में जहां आधार कार्ड न बनवाने वाले लोग राशन की कमी से मारे गए वहीं दूसरी ओर एक कुत्ते को बिना आधार कार्ड के भी साल भर से राशन दिया जा रहा था. घोटालों की पराकाष्ठा देखिए कि भारत में हवाई जहाज से लेकर गेहूं तक हर चीज़ में सरकार से लेकर छोटे व्यापारियों और आम लोगों तक सभी घोटाला कर रहे हैं. हर किसी को बस अपना फायदा दिखता है. इसे आधार की इंतहा ही कहेंगे कि धार वाले इस घोटाले के बारे में तब पता चला जब सुप्रीम कोर्ट ने राशन कार्ड और अन्य सरकारी सुविधाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म कर दी है. अगर थोड़े दिन और नहीं चलता तो यकीनन राजू के नाम पर राशन लेने का ये काम चलता रहता.
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म कर बहुत से लोगों को राहत दी है. सुरक्षा और राइट टू प्राइवेसी की वकालत करने वाले सभी खुश हैं. कम से कम अब आधार के कारण किसी के भूखे मरने की गुंजाइश तो खत्म हो जाएगी. हां, राजू राशन स्कैम जैसे स्कैम पता करने के लिए आधार अभी भी सहायता कर सकेगा, बस अधिकारियों को थोड़ा सचेत रहना होगा.
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