हर बीतते दिन के साथ कई कहानियां सुदूर अफगानिस्तान से आ रही हैं जो रौंगटे खड़े कर देने वाली हैं. अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान, जोर और जुल्म की इंतेहा पार करेगा इसका अंदाजा तो ठीक उसी वक़्त लग गया था जब मुल्क का निजाम इन कट्टरपंथियों के हाथों में आया था. कयास थे कि यदि तालिबान की हुकूमत किसी का जीवन नर्क करेगी तो वो सिर्फ और सिर्फ महिलाएं ही होंगी. हालात कैसे हैं? आखिर कैसे अफगानी महिलाओं को हर दिन नई चुनौतियों से रू-ब-रू होना पड़ रहा है? गर जो इस बात को समझना या अनुभव करना हो तो एक बार काबुल एयरपोर्ट का रुख कर लीजिए. जहां महिलाओं को अफगानिस्तान छोड़ने में सबसे ज्यादा दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं को मुल्क से बाहर निकाला जा सके इसके लिए काबुल एयरपोर्ट पर उनकी जबरन शादी करवाई जा रही है. बताया जा रहा है ऐसा करके महिलाएं आसानी से यूएस पहुंच जाएंगी.
मामले के मद्देनजर अभी हाल ही में सीएनएन ने एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में यूएस के अधिकारियों ने इस प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की है और माना है कि ये एक ऐसा मसला है जिसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए. ज्ञात हो कि संयुक्त अरब अमीरात मेंस्थित निकासी केंद्रों में से एक में यह पता चला कि इन अफगान महिलाओं के कुछ परिवारों ने तालिबान से बचने के लिए उन्हें शादी करने के लिए मजबूर किया था.
स्थिति कितनी और किस हद तक जटिल है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई महिलाओं के परिजनों ने अपनी लड़कियों से शादी करने के लिए पुरुषों को पैसे भी दिए थे. ये सब इसलिए हुआ था ताकि ये युवक इनकी मदद करें जिससे इन पीड़ित महिलाओं को आसानी से अफगानिस्तान से निकाला जा सके....
हर बीतते दिन के साथ कई कहानियां सुदूर अफगानिस्तान से आ रही हैं जो रौंगटे खड़े कर देने वाली हैं. अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान, जोर और जुल्म की इंतेहा पार करेगा इसका अंदाजा तो ठीक उसी वक़्त लग गया था जब मुल्क का निजाम इन कट्टरपंथियों के हाथों में आया था. कयास थे कि यदि तालिबान की हुकूमत किसी का जीवन नर्क करेगी तो वो सिर्फ और सिर्फ महिलाएं ही होंगी. हालात कैसे हैं? आखिर कैसे अफगानी महिलाओं को हर दिन नई चुनौतियों से रू-ब-रू होना पड़ रहा है? गर जो इस बात को समझना या अनुभव करना हो तो एक बार काबुल एयरपोर्ट का रुख कर लीजिए. जहां महिलाओं को अफगानिस्तान छोड़ने में सबसे ज्यादा दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं को मुल्क से बाहर निकाला जा सके इसके लिए काबुल एयरपोर्ट पर उनकी जबरन शादी करवाई जा रही है. बताया जा रहा है ऐसा करके महिलाएं आसानी से यूएस पहुंच जाएंगी.
मामले के मद्देनजर अभी हाल ही में सीएनएन ने एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में यूएस के अधिकारियों ने इस प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की है और माना है कि ये एक ऐसा मसला है जिसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए. ज्ञात हो कि संयुक्त अरब अमीरात मेंस्थित निकासी केंद्रों में से एक में यह पता चला कि इन अफगान महिलाओं के कुछ परिवारों ने तालिबान से बचने के लिए उन्हें शादी करने के लिए मजबूर किया था.
स्थिति कितनी और किस हद तक जटिल है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई महिलाओं के परिजनों ने अपनी लड़कियों से शादी करने के लिए पुरुषों को पैसे भी दिए थे. ये सब इसलिए हुआ था ताकि ये युवक इनकी मदद करें जिससे इन पीड़ित महिलाओं को आसानी से अफगानिस्तान से निकाला जा सके. बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद महिलाओं के लिहाज से स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं है और वहां महिलाओं के साथ ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो हमारी आपकी कल्पना से परे है.
अफगानों द्वारा अपनी महिलाओं को बचाने के लिए किए जा रहे ये तमाम उपाय दुर्भाग्यपूर्ण तो हैं ही साथ ही साथ ये हताशा की भी तस्वीर पेश करते हैं. जिस तरह की खबरें हाल फिलहाल में तालिबान शासित अफगानिस्तान से आ रही हैं उनमें उत्पीड़न चरम पर है. हर वो व्यक्ति जो तालिबान के नजरिये और सोच का विरोध कर रहा है या जो तालिबान से सहमत नहीं है उसे ढूंढ ढूंढ के सजा दी जा रही है. बात महिलाओं की हुई है तो जान लीजिए बगावती महिलाओं को तालिबान द्वारा उठा लिया जा रहा है और फिर वो कहां जा रही हैं, या कहां पर हैं इसकी किसी को खबर नहीं है.
चूंकि अफगानी महिलाओं से जुड़ी ये दिल दहला देने वाली खबरें संयुक्त अरब अमीरात से आ रही हैं इसलिए जो रिपोर्ट सीएनएन की तरफ से पेश की गई है उसमें संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद अमेरिकी अधिकारी भी चिंता में हैं और इस बात को स्वीकार रहे हैं कि इसके दूरगामी परिणाम न केवल चिंता का विषय है बल्कि तमाम तरह की नई समस्याओं को जन्म देंगे.
अमेरिकी राजनयिकों से भी यूएई को ऐसे मामलों की पहचान करने में मदद करने की उम्मीद है जहां अफगान महिलाओं के मानव तस्करी का शिकार होने का खतरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने संकेत दिया है कि वह इस पर होमलैंड सिक्योरिटी और रक्षा विभाग के साथ समन्वय करेगा.
गौरतलब है कि अमेरिकी सैनिकों ने 30 अगस्त की रात को अफगानिस्तान से अपना अंतिम निकास किया, जो पिछले तालिबान शासन को समाप्त करने वाले अफगान युद्ध के 20 वर्षों के अंत को चिह्नित करता है. अमेरिका के बाहर निकलने के बाद से जीत की घोषणा करने वाले तालिबान ने 2 दशक पहले के उस तालिबान शासन की याद दिला दी है जिसमें महिलाओं के पास बुनियादी मानवाधिकारों का अभाव था.
जब हम महिलाओं के बुनियादी मानवाधिकारों की इस बात को कह रहे हैं तो ये यूं ही बेवजह नहीं है. तालिबान का अफगानिस्तान की सत्ता में आने के बाद जो रवैया रहा है उसमें तालिबान ने उन महिलाओं की यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है जिनके साथ परिवार के पुरुष सदस्य नहीं हैं.
मुल्क से अफ़गानों को सुरक्षित भागने में मदद करने वाले कुछ निजी समूहों ने तो यहां तक कह दिया है कि वे लोगों को लगातार यही सलाह दे रहे हैं कि वे देश की सीमाओं तक पहुंचने की कोशिश न करें जब तक कि उन्हें पता न हो कि तालिबान उनका पीछा कर रहे हैं. बहरहाल अब जबकि काबुल एयरपोर्ट से निकासी के लिए महिलाओं की जबरन शादी की खबरें सामने आ ही गई हैं. तो कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा हो ही गया है कि तालिबान की कथनी और करनी में एक बड़ा अंतर है.
अफगानिस्तान में महिलाओं की मौजूदा स्थिति के बाद ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि अपनी विचारधारा और कट्टरपंथ के चलते तालिबान खुद को बेनकाब कर रहा है. भले ही आज तालिबान विकास की बातें करें दुनिया के सामने खुद को 'प्रोग्रेसिव' और 'लिबरल' दिखाए लेकिन हकीकत यही है कि मौजूदा तालिबान भी भेड़ की खाल में छिपा भेड़िया है और ये भी उतना ही खतरनाक है जितना 20 साल पहले का तालिबान.
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