केरल के लोगों के सामने मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही. अभी कुछ ही दिन हुए थे, विध्वंसकारी बाढ़ ने पूरे राज्य की कमर तोड़ कर रख दी थी. अब राज्य के लोगों के सामने नई चुनौती बीमारियां हैं, उसमें भी 'रैट फीवर' बेहद खतरनाक है. बताया जा रहा है कि रैट फीवर के चलते केरल में अब तक 45 लोगों की मौत हो चुकी है और लोगों की एक बड़ी संख्या अस्पतालों में है. बीमारी कितनी घातक है इसका अंदाजा हम स्वास्थ्य मंत्रालय के अलर्ट से आसानी से लगा सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलर्ट जारी करते हुए इस बीमारी से बचाव के तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं. साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से उचित सावधानी बरतने की अपील भी की है.
इतनी बातें सुनकर हमारे दिमाग में सवाल आएगा कि आखिर ये रैट फीवर है क्या ? तो आपको बताते चलें कि रैट फीवर बेक्टीरिया से फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी है. रैट फीवर के बेक्टीरिया की खास बात ये है कि ये गंदी मिट्टी या फिर गंदे पानी में फैलते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो रैट फीवर का बैक्टीरिया जानवरों के जरिये संक्रमित होता है और धीरे-धीरे लोगों में फैलता है.
ज्ञात हो कि केरल में इस बीमारी की शुरुआत तब हुई थी जब राज्य में बाढ़ ने अपनी दस्तक दी थी. बात अगर बीते हुए माह की हो तो केवल अगस्त में इसके 559 मामले और 34 संभावित मौतों की बात कही जा रही थी. इसके विपरीत केरल के स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त माह में 229 मामलों समेत 6 मौतों की आधिकारिक पुष्टि की थी.
कैसे होता है संक्रमण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जंगली और पालतू दोनों ही तरह के जानवर इस बीमारी को फैलाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं. बीमारी को लेकर WHO का...
केरल के लोगों के सामने मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही. अभी कुछ ही दिन हुए थे, विध्वंसकारी बाढ़ ने पूरे राज्य की कमर तोड़ कर रख दी थी. अब राज्य के लोगों के सामने नई चुनौती बीमारियां हैं, उसमें भी 'रैट फीवर' बेहद खतरनाक है. बताया जा रहा है कि रैट फीवर के चलते केरल में अब तक 45 लोगों की मौत हो चुकी है और लोगों की एक बड़ी संख्या अस्पतालों में है. बीमारी कितनी घातक है इसका अंदाजा हम स्वास्थ्य मंत्रालय के अलर्ट से आसानी से लगा सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलर्ट जारी करते हुए इस बीमारी से बचाव के तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं. साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से उचित सावधानी बरतने की अपील भी की है.
इतनी बातें सुनकर हमारे दिमाग में सवाल आएगा कि आखिर ये रैट फीवर है क्या ? तो आपको बताते चलें कि रैट फीवर बेक्टीरिया से फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी है. रैट फीवर के बेक्टीरिया की खास बात ये है कि ये गंदी मिट्टी या फिर गंदे पानी में फैलते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो रैट फीवर का बैक्टीरिया जानवरों के जरिये संक्रमित होता है और धीरे-धीरे लोगों में फैलता है.
ज्ञात हो कि केरल में इस बीमारी की शुरुआत तब हुई थी जब राज्य में बाढ़ ने अपनी दस्तक दी थी. बात अगर बीते हुए माह की हो तो केवल अगस्त में इसके 559 मामले और 34 संभावित मौतों की बात कही जा रही थी. इसके विपरीत केरल के स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त माह में 229 मामलों समेत 6 मौतों की आधिकारिक पुष्टि की थी.
कैसे होता है संक्रमण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जंगली और पालतू दोनों ही तरह के जानवर इस बीमारी को फैलाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं. बीमारी को लेकर WHO का कहना है कि यदि किसी की त्वचा दूषित पानी में डूबने या तैरने की वजह से बैक्टीरिया के संपर्क में आती है तो उसे ये बीमारी हो सकती है. इसके अलावा ये बीमारी तब और खतरनाक है जब शरीर पर किसी तरह का कोई घाव हो.
ऐसे में बैक्टीरिया तेजी से संपर्क में आते हैं. गौरतलब है कि रैट फीवर के बैक्टीरिया उस मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहते हैं जिनपर इस बैक्टीरिया से ग्रसित किसी जानवर ने पेशाब किया होता है. बात अगर इस बीमारी के शरीर पर असर की हो तो इसका सबसे ज्यादा असर किडनी, दिमाग और लीवर पर पड़ता है और निश्चित रूप से व्यक्ति की जान चली जाती है.
पहले बाढ़ का आतंक और अब बीमारी का खौफ़. केरल में जिस तरह बीमारी के कारणवश एक के बाद एक लोगों की मौत हो रही है. वो ये बताने के लिए काफी है कि, केरल में जो हुआ वो बुरा हुआ. मगर जो भविष्य है वो कई मायनों में डराने वाला है. कहना गलत नहीं है कि केरल के लोगों के सामने असली चुनौतियां तो अब शुरू हुई हैं.
हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि पूर्व में हम कई ऐसे मामले देख चुके हैं जिनमें लोगों की जितनी मौत किसी प्राकृतिक आपदा से नहीं हुई उससे कहीं ज्यादा मौत उस आपदा के बाद आई बीमारियों के चलते हुई है. अंत में बस इतना ही कि सावधानी ही बचाव है बेहतर होगा कि केरल के लोग सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें.
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