क्या एयरहोस्टेस (air hostage) पर खूबसूरत दिखने का दबाव होता है? ऐसा भी क्या नियम जिसमें रोटी-चावल ही खाने की ही मनाही हो जाए. शरीर को स्वस्थ रखना अलग बात है और स्लिम दिखने के लिए किसी को जबरदस्ती टॉर्चर करना अलग...
किसी को छड़ी की नोक पर नाचना कहां का नियम है? अपनी नौकरी बचाने के लिए कोई कितना मजबूर हो सकता है यह केबिन क्रू मेंबर्स की तकलीफ से समझा जा सकता है.
जब हम फ्लाइट में सफर करते हैं तो केबिन क्रू मेंबर्स और एयरहोस्टेस को देखकर यही सोचते हैं कि ये लोग कितने स्लिम और फिट हैं. असल में अपने शरीर को इस तय किए गए पैरामीटर पर बनाए रखने के लिए इन्हें कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. हमें तो पता भी नहीं था कि यह नौकरी दिखने में जितनी स्मार्ट है अंदर से उतनी ही दुखदाई भी.
दरअसल, एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों की बॉडी मास इंडेक्स और वजन की जांच के लिए एक नई कंपनी के साथ करार किया है. जिसका केबिन क्रू यूनियन और केबिन क्रू मेंबर्स ने कड़े शब्दों में विरोध किया है. केबिन क्रू यूनियन ने अपनी आपत्ति इनफ्लाइट सर्विसेज डिपार्टमेंट के कार्यकारी निदेशक के सामने जताई है.
असल में अखिल भारतीय केबिन क्रू एसोसिएशन को सूचना मिली कि अब प्रत्येक सदस्य की हर तीन महीने में बीएमआई और वजन की जांच करानी होगी. एयरलाइंस में वैसे भी खान-पान को तगड़ा नियम है. वहीं टैटू रखने पर भी मनाही है. केबिन क्रू के सदस्य को अपनी डायट और एक्सरसाइज का भी काफी ध्यान रखना होता है. इतना ही नहीं, आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है कि इस दौरान उन्हें चावल और रोटी खाने की भी मनाही होती है.
क्रू मेंबर क्यों कर रहे विरोध
अब...
क्या एयरहोस्टेस (air hostage) पर खूबसूरत दिखने का दबाव होता है? ऐसा भी क्या नियम जिसमें रोटी-चावल ही खाने की ही मनाही हो जाए. शरीर को स्वस्थ रखना अलग बात है और स्लिम दिखने के लिए किसी को जबरदस्ती टॉर्चर करना अलग...
किसी को छड़ी की नोक पर नाचना कहां का नियम है? अपनी नौकरी बचाने के लिए कोई कितना मजबूर हो सकता है यह केबिन क्रू मेंबर्स की तकलीफ से समझा जा सकता है.
जब हम फ्लाइट में सफर करते हैं तो केबिन क्रू मेंबर्स और एयरहोस्टेस को देखकर यही सोचते हैं कि ये लोग कितने स्लिम और फिट हैं. असल में अपने शरीर को इस तय किए गए पैरामीटर पर बनाए रखने के लिए इन्हें कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. हमें तो पता भी नहीं था कि यह नौकरी दिखने में जितनी स्मार्ट है अंदर से उतनी ही दुखदाई भी.
दरअसल, एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों की बॉडी मास इंडेक्स और वजन की जांच के लिए एक नई कंपनी के साथ करार किया है. जिसका केबिन क्रू यूनियन और केबिन क्रू मेंबर्स ने कड़े शब्दों में विरोध किया है. केबिन क्रू यूनियन ने अपनी आपत्ति इनफ्लाइट सर्विसेज डिपार्टमेंट के कार्यकारी निदेशक के सामने जताई है.
असल में अखिल भारतीय केबिन क्रू एसोसिएशन को सूचना मिली कि अब प्रत्येक सदस्य की हर तीन महीने में बीएमआई और वजन की जांच करानी होगी. एयरलाइंस में वैसे भी खान-पान को तगड़ा नियम है. वहीं टैटू रखने पर भी मनाही है. केबिन क्रू के सदस्य को अपनी डायट और एक्सरसाइज का भी काफी ध्यान रखना होता है. इतना ही नहीं, आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है कि इस दौरान उन्हें चावल और रोटी खाने की भी मनाही होती है.
क्रू मेंबर क्यों कर रहे विरोध
अब तक क्रू मेंबर की बीएमआई और वजन की जांच डॉक्टर की उपस्थिती में होती थी लेकिन अब इसकी जिम्मेदारी ग्रूमिंग एसोसिएट्स को दी गई है, यह नियम का उल्लंघन है. इसी बात को लेकर क्रू मेंबर विरोध कर रहे हैं. उन्होंने यह धमकी भी दी है कि अगर इस सर्कुलर को वापस नहीं लिया गया तो वे कानून का सहारा लेंगे. ग्रूमिंग एसोसिएट्स को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे किसी भी उड़ान से पहले केबिन क्रू के बीएमआई, ग्रूमिंग, यूनिफॉर्म आदि को रिकॉर्ड करेंगे. यह एक तरह से क्रू मेंबर की बेइज्जती है. मान लीजिए किसी सदस्य का वजन बढ़ा हुआ है तो क्या उड़ान से ठीक पहले वापस करना होगा? क्या यह बॉडी शेमिंग की तरह नहीं हुई?
रिपोर्ट्स की मानें तो एयर इंडिया को इस सप्ताह के अंत तक टाटा समूह को सौंपा जा सकता है. ऐसे में यह खबर क्रू मेंबर को एक दबाव की तरह महसूस हो रहा है. इन सारी बातों को जानने के बाद सीधा तौर पर यही समझ आ रहा है कि क्रू मेंबर पर अच्छा दिखने का कितना दबाव होता है.
आत्मविश्वास पाने के लिए क्या सिर्फ सुंदरता ही सबकुछ है?
क्या एयर होस्टेस सुंदर दिखने के लिए मानसिक प्रताड़ना से गुजर रही हैं? वैसे सुंदर और परफेक्ट दिखने का दबाव तो हम सब पर भी है. सब्जी लाने के लिए अलग लुक, जिम के लिए अलग लुक और वॉक पर जाने के लिए अलग लुक...और सोशल मीडिया पर अलग लुक.
हम अच्छा दिखकर खुद को बेहतर महसूस करवा सकते हैं लेकिन दूसरों को दिखाने के लिए खुद के साथ ये ज्यादती अब भारी पड़ रही है. हम इंसानों को इतनी आजादी तो होनी चाहिए कि जब चाहें मेकअप करें और जब ना चाहें ना करें...यहां तो नो मेकअप लुक के लिए भी मेकअप का ट्रेंड है.
अब जिनकी नौकरी है उनकी तो मजबूरी भी है और उनके ऊपर तो दबाव भी है लेकिन बाकी लोग किस वजह से ऐसे बनते जा रहे हैं? जो दिखता है वो बिकता है लेकिन ऐसे दिखने के पीछे उनकी क्या मजबूरी है यह बहुत कम लोगों को पता होता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.