यदि 'टल्ली' शब्द को अपभ्रंश किये जाने से आपत्ति है तो क्षमा याचना सहित कह देता हूं, मुझको यारों माफ़ करना मैं नशे में था! और टल्लियों का एयर इंडिया से विशेष प्रेम ही है कि बार बार धोखा उसी की फ्लाइट में ही होता है. यदि 26 नवंबर की न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रही इंटरनेशनल फ्लाइट में बुजुर्ग महिला पर नशे में धुत व्यक्ति द्वारा पेशाब कर दिए जाने की घटना को दबाया नहीं जाता और जो कार्यवाही आज हुई वह तब हो जाती तो निश्चित ही दस दिनों बाद छह दिसंबर को पेरिस से दिल्ली की फ्लाइट में इस सरीखी घृणित घटना की पुनरावृत्ति नहीं होती जिसमें शराब के नशे में धुत पुरुष यात्री अपनी सह यात्री (विडंबना देखिये वो भी महिला ही थीं) के शौचालय में होने के दौरान उसकी खाली सीट और कंबल पर पेशाब कर दिया.
यदि फ्लाइट के लैंड करते ही उस शख्स को एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया जाता तो फैक्ट्स डाइल्यूट नहीं होते जो अब हो रहे हैं. एयर इंडिया के क्रू मेंबर ने तब बड़ी भूल की कि चीजों को रफा दफा किया या करवा दिया और शायद बात दबी रह भी जाती क्योंकि पीड़िता मान भी गयी थीं चूंकि व्यक्ति ने पत्नी और बेटी की शर्मिंदगी का हवाला देकर माफ़ी मांगते हुए शिकायत दर्ज ना कराने की विनती की थी और तदनुसार बुजुर्ग महिला ने व्यक्ति द्वारा प्रस्तावित मुआवजे को भी ले लिया था.
लेकिन जब पीड़िता की बेटी ने तक़रीबन 20 दिनों बाद 19 दिसंबर को मुआवजे की राशि लौटा दी, तब एयर इंडिया ने तमाम कदम उठाये और बातें पब्लिक डोमेन में भी आई. हां, आश्चर्य ही है कि मीडिया, जो अपने सूत्रों का दम भरती है और खोद कर ख़बरें निकाल लाती हैं, दोनों ही अशोभनीय घटनाओं को सूंघ तक नहीं पाईं और रियल टाइम में खुलासा नहीं कर पायीं.
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यदि 'टल्ली' शब्द को अपभ्रंश किये जाने से आपत्ति है तो क्षमा याचना सहित कह देता हूं, मुझको यारों माफ़ करना मैं नशे में था! और टल्लियों का एयर इंडिया से विशेष प्रेम ही है कि बार बार धोखा उसी की फ्लाइट में ही होता है. यदि 26 नवंबर की न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रही इंटरनेशनल फ्लाइट में बुजुर्ग महिला पर नशे में धुत व्यक्ति द्वारा पेशाब कर दिए जाने की घटना को दबाया नहीं जाता और जो कार्यवाही आज हुई वह तब हो जाती तो निश्चित ही दस दिनों बाद छह दिसंबर को पेरिस से दिल्ली की फ्लाइट में इस सरीखी घृणित घटना की पुनरावृत्ति नहीं होती जिसमें शराब के नशे में धुत पुरुष यात्री अपनी सह यात्री (विडंबना देखिये वो भी महिला ही थीं) के शौचालय में होने के दौरान उसकी खाली सीट और कंबल पर पेशाब कर दिया.
यदि फ्लाइट के लैंड करते ही उस शख्स को एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया जाता तो फैक्ट्स डाइल्यूट नहीं होते जो अब हो रहे हैं. एयर इंडिया के क्रू मेंबर ने तब बड़ी भूल की कि चीजों को रफा दफा किया या करवा दिया और शायद बात दबी रह भी जाती क्योंकि पीड़िता मान भी गयी थीं चूंकि व्यक्ति ने पत्नी और बेटी की शर्मिंदगी का हवाला देकर माफ़ी मांगते हुए शिकायत दर्ज ना कराने की विनती की थी और तदनुसार बुजुर्ग महिला ने व्यक्ति द्वारा प्रस्तावित मुआवजे को भी ले लिया था.
लेकिन जब पीड़िता की बेटी ने तक़रीबन 20 दिनों बाद 19 दिसंबर को मुआवजे की राशि लौटा दी, तब एयर इंडिया ने तमाम कदम उठाये और बातें पब्लिक डोमेन में भी आई. हां, आश्चर्य ही है कि मीडिया, जो अपने सूत्रों का दम भरती है और खोद कर ख़बरें निकाल लाती हैं, दोनों ही अशोभनीय घटनाओं को सूंघ तक नहीं पाईं और रियल टाइम में खुलासा नहीं कर पायीं.
ख़बरें तभी सुर्खियां बनी जब एयर इंडिया की बाध्यता हुई रिपोर्ट करने की. नवंबर-दिसंबर की घटनाओं पर अब जनवरी में प्रतिक्रियाएं हो रही हैं. इससे पता चलता है कि हजारों फीट की ऊंचाई पर यात्री कितने असुरक्षित हैं. ऐसी घटनाओं से निबटने के लिए क्रू मेम्बर्स के पास कोई तरीका नहीं है और प्रशासन इस पर पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं है.
फिर उन बातों का भी कोई मतलब नहीं है कि इंटरनेशनल फ्लाइट्स में लिकर सर्व ही क्यों किया जाता है? और एयर इंडिया या अन्य एयरलाइन की जिम्मेदारियां कितनी है, आपसी रजामंदी या मामले को रफा दफा करने की स्थितियों को कैसे और किस हद तक परिभाषित किया जाए, खामियों पर एक्शन, काउंटर-एक्शन क्या होने चाहिए - कई सवाल हैं जिन पर नियामक का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है.
बड़ी बात जो है वो है इन दिनों हवाई यात्राओं के दौरान हो रही अनुचित और अशोभनीय घटनाओं ने यात्रियों की सभ्यता और संस्कारों को कठघरे में ला दिया है. एक बात और आईने की तरह साफ़ होती है कि असभ्यता और बदतमीजी किसी वर्ग या दायरे विशेष तक सीमित नहीं होती. यह जेंटलमैन कहलाने वाले बिजनेस क्लास में उड़ान भरने वाले लोग भी कर सकते हैं.
यह भी प्रोवेन फैक्ट है कि सिर्फ पैसा आ जाने से संस्कार, सभ्यता और शिष्टाचार नहीं आ जाते. इन्हें अर्जित करना पड़ता है. माता-पिता और गुरुजन जब बचपन को आदर, सम्मान , विनम्रता जैसे गुणों से सींचते हैं, तब व्यक्ति सभ्य और शिष्टाचारी बनता है. वह कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाए, उसके पैर धरती पर ही रहते हैं.
आज ग्लोबलाइज़ेशन एरा में जैसे जब कोई नागरिक अच्छा कार्य करता है, तो उससे संबद्ध देश का नाम ऊंचा होता है, वैसे ही ऐसे शर्मनाक आचरण की वजह से उसे देश को शर्मिंदा भी होना पड़ता है. चूंकि ये शर्मनाक घटनाएं धरती से दूर आसमान में घटित हुई है, इसलिए और भी ज्यादा असामान्य है और इसका सुर्खियां बनना भी लाजिमी है.
क्या इन बदतमीज यात्रियों की परवरिश जिम्मेदार है? सौ फीसदी कह सकते हैं हां! कुछ दिन पहले भी बैंकाक से लौट रही एक दो उड़ानों में भी यात्रियों ने अनुशासन और नियम कायदे तोड़कर हिंसक व्यवहार किया था. पहले भी ऐसी घटनाएं सुर्खियां पाती रही हैं. जाहिर है देश की छवि धूमिल होती है इन घटनाओं से.
हालिया मामलों में तो एयरलाइन प्रशासन का रवैया भी संतोषजनक नहीं रहा और विडंबना देखिये ऐसा प्रतिष्ठित टाटा ग्रुप के एयरलाइन प्रशासन द्वारा किया गया. डीजीसीए ने एयरलाइंस के अधिकारियों और चालक दलों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. और ऑन ए लाइटर नोट सोशल मीडिया का तो जवाब नहीं क्या क्या से नवाज दे रहे हैं एयर इंडिया को - Have a pissful flight!
दरअसल छह नवंबर वाली न्यूयॉर्क से दिल्ली वाली फ्लाइट की घटना में एयर इंडिया का बेहद ही गैर पेशेवर रवैया सामने आया है. एअर इंडिया केबिन क्रू कुनाल कामरा को साथी पैसेंजेर के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए 6 महीने तक प्रतिबंध लगा देता है लेकिन 70 साल की साथी पैसेंजर पर पेशान करने वाले यात्री पर कार्रवाई करने से बचता रहता है और मजबूरी में करता भी है तो एक महीने के लिए प्रतिबंधित करता हैं.
अब चूंकि मामला न्यायालय में भी है, उम्मीद है पूरे तथ्य सामने आएंगे. और सौ बातों की एक बात हो जाए कि विशेष कैटेगरी के असभ्य यात्री हमेशा अलर्ट रहें ताकि कोई अशोभनीय कृत्य अंजाम ही ना पाए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.