आत्महत्या करने वाले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी को प्रयागराज में दफनाया गया है. जबकि हिंदू आमतौर पर मृतकों का अंतिम संस्कार करते हैं, संतों और बच्चों के शवों को दफनाया जाता है. हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आत्मा, शरीर में इतने लंबे समय तक रहने के बाद, शरीर से जुड़ जाती है और जाने से इनकार कर देती है.
इसलिए यदि शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता या फिर उसे दफन नहीं किया जाता, तो माना यही जाता है कि आत्मा यहीं रहेगी और कभी प्रस्थान नहीं करेगी.
महंत नरेंद्र गिरी को दफनाया गया है. तो बताना बहुत जरूरी हो जाता है कि पवित्र पुरुषों और संतों को दफनाया जाता है. (आमतौर पर कमल की स्थिति में) क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने आध्यात्मिक प्रशिक्षण, अनुशासन और परिवार से दूर रहने के माध्यम से, शारीरिक जरूरतों और ज्ञान से अलग होने की भावना प्राप्त की है.
पवित्र पुरुषों और संतों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी आत्माओं को शरीर से कोई लगाव नहीं होता है. यही वो कारण है जिसके चलते उन्हें दफनाया जाता है.
बच्चों (आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के) को भी दफनाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनकी आत्मा शरीर में इतनी देर तक नहीं रही कि वो कोई विशेष लगाव विकसित कर सके.
ध्यान रहे कि भारत में साधुओं के सबसे बड़े संगठन के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि को अभी बीते दिनों ही बाघंबरी मुठ में उनके शिष्यों ने फांसी पर लटका पाया था. मौके पर एक कथित सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें संत ने लिखा था कि वह...
आत्महत्या करने वाले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी को प्रयागराज में दफनाया गया है. जबकि हिंदू आमतौर पर मृतकों का अंतिम संस्कार करते हैं, संतों और बच्चों के शवों को दफनाया जाता है. हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आत्मा, शरीर में इतने लंबे समय तक रहने के बाद, शरीर से जुड़ जाती है और जाने से इनकार कर देती है.
इसलिए यदि शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता या फिर उसे दफन नहीं किया जाता, तो माना यही जाता है कि आत्मा यहीं रहेगी और कभी प्रस्थान नहीं करेगी.
महंत नरेंद्र गिरी को दफनाया गया है. तो बताना बहुत जरूरी हो जाता है कि पवित्र पुरुषों और संतों को दफनाया जाता है. (आमतौर पर कमल की स्थिति में) क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने आध्यात्मिक प्रशिक्षण, अनुशासन और परिवार से दूर रहने के माध्यम से, शारीरिक जरूरतों और ज्ञान से अलग होने की भावना प्राप्त की है.
पवित्र पुरुषों और संतों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी आत्माओं को शरीर से कोई लगाव नहीं होता है. यही वो कारण है जिसके चलते उन्हें दफनाया जाता है.
बच्चों (आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के) को भी दफनाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनकी आत्मा शरीर में इतनी देर तक नहीं रही कि वो कोई विशेष लगाव विकसित कर सके.
ध्यान रहे कि भारत में साधुओं के सबसे बड़े संगठन के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि को अभी बीते दिनों ही बाघंबरी मुठ में उनके शिष्यों ने फांसी पर लटका पाया था. मौके पर एक कथित सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें संत ने लिखा था कि वह अपने एक शिष्य आनंद गिरी से मानसिक रूप से परेशान और हैं. फ़िलहाल पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत का गंभीरता से संज्ञान लिया है और उनके शिष्य आनंद गिरी को हिरासत में लिया है.
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