इन दिनों यूपी स्थित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू यूनिवर्सिटी) के रिसर्च स्कॉलर मनान बशीर वानी के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने की ख़बर सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. इस बात को पुख़्ता करने वाली कई तस्वीरें भी सामने आई हैं. जिनमें मनान बशीर के हाथों में एके 47 राइफल नजर आ रही है. ख़बरों की मानें तो जियोलॉजी में पीएचडी करने वाले मनान बशीर ने कुछ दिनों पहले ही यूनिवर्सिटी छोड़ दी थी. मनान मूलतः जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के ताकिपोरा गांव के रहने वाले हैं. कई दिनों से लापता मनान बशीर की आतंकी संगठन में शामिल होने की ख़बर ने उनके परिवार को हिला कर रख दिया है. एक ओर माँ के आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, तो दूसरी ओर लेक्चरर पिता भी इस ख़बर से सदमे में हैं.
पिता बशीर अहमद वानी का कहना है कि ”उनका बेटा काफी समझदार और होशियार है. उन्हें अपने बेटे से यह आस नहीं थी. उन्हें विश्वास है कि माता-पिता की दयनीय स्थिति देकर वह वापस जरूर लौटेगा.“ यहां आपको बताते चलें कि पिछले साल गृह नगर उत्तर कश्मीर में आई बाढ़ के बाद जीआईएस तकनीक और रिमोट सेंसिंग को लेकर मनान ने रिपोर्ट दी थी जिसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला था. और वे केंद्र सरकार द्वारा विशेष प्रतिभावान छात्रों के लिए संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय में भी पढ़ाई कर चुके हैं. वहीं, मनान के मित्रों का कहना है कि उनका दोस्त कभी ऐसा कर ही नहीं सकता. सोशल मीडिया पर वायरल फोटो बनावटी भी हो सकती है. आजकल ऐसे कई सॉफ्टवेयर मौजूद हैं. जिनसे किसी के भी हाथों में बंदूक थमायी जा सकती है. लेकिन मनोविज्ञान यह भी कहता है कि धुआं वहीं उठता है जहां आग है.
बहरहाल, मनान के आतंकी संगठन में शामिल होने की ख़बर से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है. ख़बर के बाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी में मनान के कमरे...
इन दिनों यूपी स्थित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू यूनिवर्सिटी) के रिसर्च स्कॉलर मनान बशीर वानी के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने की ख़बर सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. इस बात को पुख़्ता करने वाली कई तस्वीरें भी सामने आई हैं. जिनमें मनान बशीर के हाथों में एके 47 राइफल नजर आ रही है. ख़बरों की मानें तो जियोलॉजी में पीएचडी करने वाले मनान बशीर ने कुछ दिनों पहले ही यूनिवर्सिटी छोड़ दी थी. मनान मूलतः जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के ताकिपोरा गांव के रहने वाले हैं. कई दिनों से लापता मनान बशीर की आतंकी संगठन में शामिल होने की ख़बर ने उनके परिवार को हिला कर रख दिया है. एक ओर माँ के आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, तो दूसरी ओर लेक्चरर पिता भी इस ख़बर से सदमे में हैं.
पिता बशीर अहमद वानी का कहना है कि ”उनका बेटा काफी समझदार और होशियार है. उन्हें अपने बेटे से यह आस नहीं थी. उन्हें विश्वास है कि माता-पिता की दयनीय स्थिति देकर वह वापस जरूर लौटेगा.“ यहां आपको बताते चलें कि पिछले साल गृह नगर उत्तर कश्मीर में आई बाढ़ के बाद जीआईएस तकनीक और रिमोट सेंसिंग को लेकर मनान ने रिपोर्ट दी थी जिसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला था. और वे केंद्र सरकार द्वारा विशेष प्रतिभावान छात्रों के लिए संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय में भी पढ़ाई कर चुके हैं. वहीं, मनान के मित्रों का कहना है कि उनका दोस्त कभी ऐसा कर ही नहीं सकता. सोशल मीडिया पर वायरल फोटो बनावटी भी हो सकती है. आजकल ऐसे कई सॉफ्टवेयर मौजूद हैं. जिनसे किसी के भी हाथों में बंदूक थमायी जा सकती है. लेकिन मनोविज्ञान यह भी कहता है कि धुआं वहीं उठता है जहां आग है.
बहरहाल, मनान के आतंकी संगठन में शामिल होने की ख़बर से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है. ख़बर के बाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी में मनान के कमरे की तलाश भी ली है. जब तक मनान के आतंकी संगठन में शामिल होने की ख़बर अधिकारिक तौर पर पुख़्ता नहीं हो जाती, तब तक उनके विषय में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. दरअसल, यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी युवा के आतंकी संगठन में शामिल होने की ख़बर सामने आई है. बल्कि इससे पहले भी कश्मीर के युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने की ख़बरें सामने आ चुकी है. आखिर क्या कारण है कि मनान जैसे पढ़े-लिखे युवा आतंक का रास्ता अपनाना रहे है ? ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिस देश के युवाओं ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया. जिस देश के बच्चे देश पर मर मिटने का जज्बा लेकर पैदा होते हों. ऐसा क्या हो गया कि ये युवा उन लोगों का साथ देना को उतारू हैं जो हमारे देश को बर्बाद करने की नीयत पाले बैठे हैं.
देश में चल रही लूट-खसोट की राजनीति, भ्रष्ट होती नौकरशाही, शिक्षा के हो रहे व्यवसायीकरण, नैतिक शिक्षा व अच्छे संस्कारों के अभाव, परिजनों का बच्चों के मन में धन कमाने की लालसा पैदा करने का रवैया युवा पीढ़ी को भटका रहा है. देश की भ्रष्ट होती व्यवस्था से त्रस्त होकर बड़े स्तर पर कुंठित युवा गलत रास्ता अपना ले रहे हैं. दिखावे की जिंदगी युवाओं के मन में भविष्य संवारने के बजाय मौज-मस्ती ज्यादा असर कर रही है. इसी का फायदा आतंकी संगठन उठा रहे हैं. इन परिस्थितियों में देश में कितनी एजोंसियां बन जाएं, कितने विभाग बन जाएं जब तक युवाओं में देशभक्ति का भाव पैदा नहीं होगा तथा लोगों के मरते जा रहे जमीर को जगाया नहीं जाएगा तब तक आतंकवाद ही नहीं किसी भी समस्या का निदान मुश्किल लग रहा है.
इन परिस्थितियों में देश को बड़े स्तर पर मंथन की जरूरत है. मामले में जहां अंतरराष्ट्रीय दबाव समय की मांग है वहीं अपनी आतंरिक व्यवस्था को सुदृढ़ करना भी जरूरी हो गया है. इन हालात में देश की खुफियां एजेंसियों की जवाबदेही तो बनती ही है साथ ही युवाओं के भटकने के कारणों पर जाते हुए भटके युवाओं का सही रास्ते पर लाना भी हमारी जिम्मेदारी है. इसमें दो राय नहीं कि पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई इन युवाओं का ब्रेन वाश कर उन्हें आतंकी गतिविधियों में धकेल रही है पर ये लोग इस घिनौने काम में इतनी जल्द कैसे कामयाब होते जा रहे हैं ? यह सोचनीय विषय है. ये लोग नाबालिग बच्चों पर ज्यादा डोरे डाल रहे हैं. इन बच्चों के अपरिपक्व मन में जमे फिल्मी स्टाइल का फायदा उठाते हुए आईएस इन्हें आतंकवादियों के स्टंट की वीडियो क्लीपिंग दिखा रहे हैं. आतंकवादियों को इन बच्चों के मन में हीरो की छवि बना रहे हैं. देश में आईएस जैसे आतंकी संगठनों का जाल फैलाने में सोशल साइटों का भी इस्तेमाल हो रहा है. ये हालात देश में अचानक नहीं बने हैं. इसके लिए देश व समाज दोनों जिम्मेदार हैं. देखना यह भी होगा कि भ्रष्ट हो चुकी व्यवस्था में सुधार का हर उपाय बेमानी साबित हो रहा है. देश को चलाने के लिए बनाए गए स्तंभ न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया में भी भ्रष्टाचार की बातें सामने आ रही हैं तो युवाओं को संभालेगा कौन ? वैसे भी भागदौड़ की इस जिंदगी में परिजनों के पास बच्चों के साथ बिताने के लिए समय है नहीं.
मामला इतना गंभीर है कि अब तक हुए आतंकी हमलों में पाक के आतंकी शामिल होने की वजह हम लोग पाक को घेर लेते हैं. पर हमारे ही देश के युवा आतंकी हमलों में शामिल होंगे तो हम लोगों की विवशता और बढ़ जाएगी. वैसे भी आतंकी हमलों में हम लोग पाकिस्तान पर भी दबाव नहीं बना पा रहे हैं. पाक हर बार पुख्ता सुबूत न देने का बहाना बनाकर अपनी जवाबदेही से बचता रहा है. चाहे संसद पर हुआ आतंकी हमला हो, मुंबई ताज होटल का हो या फिर पठानकोट हमला हर बार हमें निराशा ही हाथ लगी है. चलते-चलते, जिंदगी मौत ना बन जाए संभालो यारो, खो रहा चैन-ओ-अमन मुश्किलों में है वतन, मुश्किलों में है वतन सरफरोशी की शमा दिल में जला लो यारों.
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