ईरान (Iran) में महिलाएं मिलकर हिजाब (Hijab) का होलिका दहन कर रही हैं. वे एक-एक करके हिजाब उतार रही हैं. वे खुलकर ऐसे नाच रही हैं जैसे उनपर अब कोई बंदिश नहीं है. इनके चेहरे पर आजाद होने की उस लालिमा को देखिए. वे अपने हिजाब को आग में जला रही हैं और खुद पर इतरा रही हैं. वे ऐसे गा रही हैं जैसे अब उनकी आवाज को दबाना किसी के वश में नहीं है. वे इस जहां से पूछ रही हैं कि जब बुर्का पहनना च्वाइस है तो बुर्का ना पहनना क्यों नहीं?
सुना है प्रदर्शन में तीन ने अपनी जान भी गवा दी है. ऐसा लगता है कि इन लड़कियों ने ठान लिया है कि यह हक की लड़ाई या तो आर होगी या पार. वे कह रही हैं कि अब हिजाब की घुटन में कोई और महसा अमिनी नहीं मरने वाली है.
लड़कियों ने एक गोला बनाकर आग जला रखा है. वे उस आग में हिजाब से साथ उन सारी बातों को जला रही हैं जिनकी उन्हें दुनिया ने इजाजत नहीं दी है. एक तरफ आग धधक रही है और दूसरी तरफ उनके मन में गुस्सा है, उबाल है...मानो ये लड़कियां कह रही हैं कि हमने तो अपने अधिकार के साथ जीना चुन लिया है तुम्हारी हिम्मत है तो हमें रोक के दिखाओ.
ये लड़कियां मानो अपनी आजादी के नशे में चूर हैं. जो गम में भी नाच रही है वो भी बिना किसी तानाशाह के डर के. अरे असल शेरनियां तो ये हैं जो खुलकर सरकार को ललकार रहीं हैं. अब उन्हें किसी बात का खौफ नहीं है.
महसा अमिनी जहां भी हैं वे इन लड़कियों को देखकर मुस्कुरा रही होगीं. वे कह रही होंगी जियो मेरी बहनों जो मैं न कर सकी वो तुमने किया. अगर तुम्हें इस बुर्के रूपी घुटन से आजादी मिल गई तो समझूंगी कि...
ईरान (Iran) में महिलाएं मिलकर हिजाब (Hijab) का होलिका दहन कर रही हैं. वे एक-एक करके हिजाब उतार रही हैं. वे खुलकर ऐसे नाच रही हैं जैसे उनपर अब कोई बंदिश नहीं है. इनके चेहरे पर आजाद होने की उस लालिमा को देखिए. वे अपने हिजाब को आग में जला रही हैं और खुद पर इतरा रही हैं. वे ऐसे गा रही हैं जैसे अब उनकी आवाज को दबाना किसी के वश में नहीं है. वे इस जहां से पूछ रही हैं कि जब बुर्का पहनना च्वाइस है तो बुर्का ना पहनना क्यों नहीं?
सुना है प्रदर्शन में तीन ने अपनी जान भी गवा दी है. ऐसा लगता है कि इन लड़कियों ने ठान लिया है कि यह हक की लड़ाई या तो आर होगी या पार. वे कह रही हैं कि अब हिजाब की घुटन में कोई और महसा अमिनी नहीं मरने वाली है.
लड़कियों ने एक गोला बनाकर आग जला रखा है. वे उस आग में हिजाब से साथ उन सारी बातों को जला रही हैं जिनकी उन्हें दुनिया ने इजाजत नहीं दी है. एक तरफ आग धधक रही है और दूसरी तरफ उनके मन में गुस्सा है, उबाल है...मानो ये लड़कियां कह रही हैं कि हमने तो अपने अधिकार के साथ जीना चुन लिया है तुम्हारी हिम्मत है तो हमें रोक के दिखाओ.
ये लड़कियां मानो अपनी आजादी के नशे में चूर हैं. जो गम में भी नाच रही है वो भी बिना किसी तानाशाह के डर के. अरे असल शेरनियां तो ये हैं जो खुलकर सरकार को ललकार रहीं हैं. अब उन्हें किसी बात का खौफ नहीं है.
महसा अमिनी जहां भी हैं वे इन लड़कियों को देखकर मुस्कुरा रही होगीं. वे कह रही होंगी जियो मेरी बहनों जो मैं न कर सकी वो तुमने किया. अगर तुम्हें इस बुर्के रूपी घुटन से आजादी मिल गई तो समझूंगी कि मेरा मरना सफल हो गया....
हम इन लड़कियों को बधाई देते हैं और इनके खिलाफ हुए लोगों को आगाह करते हैं कि एक घायल औरत जब कुछ करने की जिद्द कर लेती है तो उसे पूरा करके रहती है, यहां तो सैकड़ों महिलाएं बुर्के के खिलाफ एकजुट हो चुकी हैं. खुदा के खौफ से डरो वरना, जिन लड़कियों को तुम शांत और मासूम समझते हो वो अपने हक के लिए रौद्र रूप भी धारण कर सकती हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.