अनुपमा (Anupama) के चेहरे की ये उदासी उफ्फ, इस महिला की जिंदगी का दुख काहे खत्म नहीं होता? जरा सी खुशी मिली नहीं कि उस पर अचानक से गमों का पहाड़ टूट पड़ता है. टीवी सीरियल में अगर सबसे अधिक रोने वाली महिला को ईनाम दिया जाए तो वह अनुपमा ही होगी. मौका चाहें खुशी का हो या दुख का... उसे हर पल रोते-बिलखते देख दर्शक भी परेशान हो गए हैं. अनुपमा को बार-बार रोता हुआ देखना मेरे लिए तो निराशाजनक है.
अपने पूर्व पति वनराज से धोखा खाने के बाद घरेलू और कम पढी-लिखी अनुपमा ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला था. वह हाउसवाइफ की दुनिया से आगे निकलकर खुद के पैरों पर खड़ी हुई. उसने दोबारा किसी के ऊपर विश्वास करने की हिम्मत दिखाई. उसने एक बार फिर प्यार किया और शादी की. इस तरह उसने अपनी जिंदगी को एक और माैका दिया. अनुज की खुशी के लिए वह इस उम्र में मां बनने को राजी हुई और छोटी अनु को गोद लिया. इस तरह उसका फिर से एक छोटा सा परिवार बना...अभी वह खुश होने की कोशिश ही कर रही थी कि पाखी का नया नाटक शुरु हो गया.
अनुपमा की जेठानी बरखा पाखी को महंगे गिफ्ट्स देकर अनुपमा के खिलाप इनडायरेक्टली तरीके से भड़काती है. जिसका नजीता यह निकलता है कि पाखी सभी घरवालों के सामने अपनी मां अनुपमा की बेइज्जती करती है. पाखी अपनी मां अनुपमा को सेल्फफिश और घरतोड़ू कहती है, लेकिन खुद को आदर्श पिता मानने वाला वनराज उसे रोकका तक नहीं है.
पाखी चिल्ला-चिल्लाकर सबके सामने अपनी मां से कहती है कि वह उसके घर कभी ना आए. वनराज और बा भी पाखी की बात से सहमत होते हैं और अनुपमा से कहते हैं कि वह इस घर कभी ना आए, ना उनसे कोई रिश्ता रखे. यह सुनकर अनुपमा टूट जाती है लेकिन अनुज...
अनुपमा (Anupama) के चेहरे की ये उदासी उफ्फ, इस महिला की जिंदगी का दुख काहे खत्म नहीं होता? जरा सी खुशी मिली नहीं कि उस पर अचानक से गमों का पहाड़ टूट पड़ता है. टीवी सीरियल में अगर सबसे अधिक रोने वाली महिला को ईनाम दिया जाए तो वह अनुपमा ही होगी. मौका चाहें खुशी का हो या दुख का... उसे हर पल रोते-बिलखते देख दर्शक भी परेशान हो गए हैं. अनुपमा को बार-बार रोता हुआ देखना मेरे लिए तो निराशाजनक है.
अपने पूर्व पति वनराज से धोखा खाने के बाद घरेलू और कम पढी-लिखी अनुपमा ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला था. वह हाउसवाइफ की दुनिया से आगे निकलकर खुद के पैरों पर खड़ी हुई. उसने दोबारा किसी के ऊपर विश्वास करने की हिम्मत दिखाई. उसने एक बार फिर प्यार किया और शादी की. इस तरह उसने अपनी जिंदगी को एक और माैका दिया. अनुज की खुशी के लिए वह इस उम्र में मां बनने को राजी हुई और छोटी अनु को गोद लिया. इस तरह उसका फिर से एक छोटा सा परिवार बना...अभी वह खुश होने की कोशिश ही कर रही थी कि पाखी का नया नाटक शुरु हो गया.
अनुपमा की जेठानी बरखा पाखी को महंगे गिफ्ट्स देकर अनुपमा के खिलाप इनडायरेक्टली तरीके से भड़काती है. जिसका नजीता यह निकलता है कि पाखी सभी घरवालों के सामने अपनी मां अनुपमा की बेइज्जती करती है. पाखी अपनी मां अनुपमा को सेल्फफिश और घरतोड़ू कहती है, लेकिन खुद को आदर्श पिता मानने वाला वनराज उसे रोकका तक नहीं है.
पाखी चिल्ला-चिल्लाकर सबके सामने अपनी मां से कहती है कि वह उसके घर कभी ना आए. वनराज और बा भी पाखी की बात से सहमत होते हैं और अनुपमा से कहते हैं कि वह इस घर कभी ना आए, ना उनसे कोई रिश्ता रखे. यह सुनकर अनुपमा टूट जाती है लेकिन अनुज उसे संभाल लेता है. दोनों घर के लिए पूजा करने की सोचते हैं, वे अगले दिन परिवार के साथ मंदिर भी जाते हैं पूजा शुरु होती है मगर इसी बीच अनुज का खतरनाक एक्सीडेंट हो जाता है.
कुल मिलाकर अनुपमा में जब भी खुशी, शादी, पूजा, पार्टी या त्योहार होता है तो कोई ना की तमाशा तो होता ही है. अब इन तमाशों में पीसती तो अनुपमा ही है. माने शाह परिवार और अनुपमा के लिए कोई भी मौका खुशी से शुरु होकर गम में तब्दील हो जाता है. अब असल जिंदगी में घटनाएं होती हैं लेकिन इनती नहीं जितना इस सीरियल में दिखााया जाता है. असल में इन दिनों स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में जबदस्त ट्रैक देखने को मिल रहा है.
टीआरपी भी ना जाने क्या-क्या करवाती है? सीरियल में बार-बार अनुज का एक्सीडेंट हो जाता है. हर बार तो एकाध दिन में रोने-धोने का सीन खत्म हो जाता है, लेकिन इस बार अनुज ठीक ही नहीं हो रहा है. उसे किसने धक्का दिया, यह सस्पेंस बना हुआ है.
अनुपमा बस रोए ही जा रही है. कई दिनों से अनुपमा शो में एक ही सीन चल रहा है. अस्पताल, अस्पताल और अस्पताल...अब कोई अनुपमा के मेकर्स को यह बताए कि कोमा में गए अनुज और रोती अनुपमा को देखकर मन नकारात्मक हो जाता है. कितने लोगों को उस अपने की याद आ जाती है जिसने अस्पताल के बेड पर दम तोड़ा था. जिस तरह अनुपमा कांच टूटने को अपशगुन मान लेती है, उसी तरह का अंधविश्वास, कई पत्नियां भी अपने मन में पाल सकती हैं.
खैर, अनुपमा की जिंदगी में खुशी कम देर के लिए ठहरती है और दुख है कि पीछा छोड़ने का नाम नहीं लेता. एक तरफ उसके पुराने ससुराल और शो कॉल्ड मायके के लोग उसका जीना हराम किए रहते हैं, तो दूसरी तरफ नई ससुराल में बरखा भाभी उसके खिलाफ साजिश करती रहती है. और बेचारी अनुपमा पिसती रहती है.
कुछ लोगों के लिए यह शो उनके रूटीन का हिस्सा बन गया है. कई तो इस शो के नशे में है. जब यह सीरियल उन्हें उबाऊ लगता है तो कुछ दिन के लिए वे भले ही इसे देखना छोड़ दें, लेकिन वे जानकारी हर बात की रखते हैं. जैसे ही शो की कहानी उनके हिसाब मोड़ लेती है वे फिर देखने लगते हैं.
इन दिनों अनुज करीब 15 दिनों से अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है, वह कभी भी कोमा में जा सकता है. अनुपमा की आंखें रोने से सूज कर लाल हो गई हैं. अनुपमा दुल्हन की तरह पूजा के लिए सजी थी लेकिन वह तो कभी खुश नहीं रह सकती, जब भी उसकी जिंदगी में कुछ अच्छा होता है तभी कोई परेशानी आ जाती है. वह बस कान्हा जी से प्रार्थना कर रही है कि अनुज जल्द से जल्द ठीक हो जाए.
रोज-रोज अस्पताल का सीन देखना मतलब, वही मनहूसियत, वह उदास शक्लें, वही गमगीन माहौल...अरे इंसान टीवी मनोरंजन के लिए देखता है अपना सिर दुखाने के लिए नहीं. कोई रोतली अनुपमा से कहो कि प्लीज वह रोना बंद कर दे...वरना उसके आंसू सूख जाएंगे...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.