ये तो हम सभी जानते हैं कि सेना में भर्ती होने वाले जवानों का जीवन काफी कठिन होता है. लेकिन फिर भी अब स्थितियां पहले से बेहतर हुई हैं. खासकर जब से स्मार्ट फोन आए हैं तब से जवान खुद को दुनिया से कटा हुआ महसूस नहीं करते. उनकी तैनाती भले ही दूर है लेकिन वो अपने परिवार से संपर्क में रहते हैं. लेकिन सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने सेना की चिंताएं भी कम नहीं बढ़ाई हैं.
आपको याद होगा 2017 में बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर डाले गए शिकायत भरे वीडियो संदेशों ने सेना के गलियारों में काफी शोर किया था. हालांकि इसके बाद सेना प्रमुख ने ये साफ कर दिया था कि शिकायतों के लिए फोरम बनी हुई है. लेकिन अगर शिकायतों को सोशल मीडिया पर लेकर जाया जाएगा तो वो सैनिक सजा का हकदार होगा. जवान तेज बहादुर यादव के वीडियो ने सेना पर भी सवालिया निशान लगाए थे. बावजूद इसके सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कभी भी जवानों को स्मार्टफोन या सोशलमीडिया के इस्तेमाल से नहीं रोका. हालांकि बिपिन रावत खुद कभी फोन लेकर नहीं चलते.
खैर ये तो रही एक बात, लेकिन सोशल मीडिया का डर सेना को इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके जवान लगातार हनी ट्रैप में फंस रहे हैं. इस पर जनरल विपिन रावत चिंतित तो हैं क्योंकि अब हनी ट्रैप की कोशिशें पहले से ज्यादा बढ़ने लगी हैं.
2017 में भी भारतीय वायु सेना के अफसर को सोशल मीडिया पर दो महिलाओं ने ट्रैप किया था. ये महिलाएं पाकिस्तान की ISI से संबंधित थीं. जिनके साथ अफसर 2012 से जुड़ा हुआ था. बाद में अफसर को सेना की निजी जानकारियां लीक करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था.
हनी ट्रैप कैसे करते हैं...
ये तो हम सभी जानते हैं कि सेना में भर्ती होने वाले जवानों का जीवन काफी कठिन होता है. लेकिन फिर भी अब स्थितियां पहले से बेहतर हुई हैं. खासकर जब से स्मार्ट फोन आए हैं तब से जवान खुद को दुनिया से कटा हुआ महसूस नहीं करते. उनकी तैनाती भले ही दूर है लेकिन वो अपने परिवार से संपर्क में रहते हैं. लेकिन सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने सेना की चिंताएं भी कम नहीं बढ़ाई हैं.
आपको याद होगा 2017 में बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर डाले गए शिकायत भरे वीडियो संदेशों ने सेना के गलियारों में काफी शोर किया था. हालांकि इसके बाद सेना प्रमुख ने ये साफ कर दिया था कि शिकायतों के लिए फोरम बनी हुई है. लेकिन अगर शिकायतों को सोशल मीडिया पर लेकर जाया जाएगा तो वो सैनिक सजा का हकदार होगा. जवान तेज बहादुर यादव के वीडियो ने सेना पर भी सवालिया निशान लगाए थे. बावजूद इसके सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कभी भी जवानों को स्मार्टफोन या सोशलमीडिया के इस्तेमाल से नहीं रोका. हालांकि बिपिन रावत खुद कभी फोन लेकर नहीं चलते.
खैर ये तो रही एक बात, लेकिन सोशल मीडिया का डर सेना को इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके जवान लगातार हनी ट्रैप में फंस रहे हैं. इस पर जनरल विपिन रावत चिंतित तो हैं क्योंकि अब हनी ट्रैप की कोशिशें पहले से ज्यादा बढ़ने लगी हैं.
2017 में भी भारतीय वायु सेना के अफसर को सोशल मीडिया पर दो महिलाओं ने ट्रैप किया था. ये महिलाएं पाकिस्तान की ISI से संबंधित थीं. जिनके साथ अफसर 2012 से जुड़ा हुआ था. बाद में अफसर को सेना की निजी जानकारियां लीक करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था.
हनी ट्रैप कैसे करते हैं काम-
सेना ने बताया कि- जवानों या अफसरों को वाट्एप पर महिलाओं की तस्वीरें भेजी जाती हैं. ये तस्वीरें खुलती नहीं हैं. जब तस्वीरें नहीं खुलतीं तो उन्हें कहा जाता है कि ये तस्वीरें केवल डेस्कटॉप पर ही खुल सकती हैं. और जब जवान तस्वीरें देखने के लिए डेस्कटॉप का इस्तेमाल करते हैं तभी कंप्यूटर हैक हो जाता है. और कंप्यूटर में रखी सारी सीक्रेट जानकारियां चोरी हो जाती हैं.
सेना प्रमुख बिपिन रावत का कहना है किसी भी व्यक्ति को सोशल मीडिया के इस्तेमाल से नहीं रोका जा सकता. लेकिन सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही तरीके से होना चाहिए. सैनिक हनीट्रैप में न फंसें इसके लिए एडवायजरी जारी की हुई है. जिसके मुताबिक-
- जिसे आप नहीं जानते अगर उसकी ओर से कोई मैसेज आता है तो तत्काल सूचना दें.
- सोशलमीडिया पर किसी ऐसी महिला से दोस्ती न करें जिसका नाम किसी फिल्म स्टार से मिलता हो. आप कैसे सोच सकते हैं कि वो आपसे दोस्ती करना चाहती हैं?
- अगर आपको शक है कि हनी ट्रैप में कोई फंसा रहा है, या फंस चुके हैं तो भी सूचना दें.
वो 10 चीजें जो जवान सोशल मीडिया पर नहीं कर सकते
* जवान इंटरनेट पर पोर्न नहीं देख सकते.
* अपनी यूनिफॉर्म में खिंचवाई तस्वीर को फेसबुक या वाट्सएप की प्रोफाइल फोटो नहीं बना सकते.
* प्राइज़ या अवार्ड के लिए सोशल मीडिया पर आने वाले विज्ञापनों को क्लिक नहीं कर सकते.
* सोशल मीडिया पर आधिकारिक पहचान उजागर नहीं कर सकते.
* हथियारों के साथ कोई तस्वीर अपलोड नहीं कर सकते भले ही सामान्य कपड़े क्यों न पहने हों.
* अपनी रैंक, यूनिट का नाम, जगह या काम से संबंधित कोई भी जानकारी उजागर नहीं कर सकते.
* अपरिचित लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं कर सकते.
* सैनिकों के परिवार वाले भी सोशल मीडिया साइट्स पर प्रोफेशन के बारे में नहीं बता सकते.
* तस्वीरों का बैकग्राउंड भी मिलिट्री से संबंधित नहीं होना चाहिए.
* कंप्यूटर और लैपटॉप पर सेना से जुड़ी कोई भी जानकारी सेव करके नहीं रखनी चाहिए.
सेना इन खतरों से निपटने के लिए एक मजबूत सूचना युद्ध रणनीति तैयार कर रही है, जिसमें अक्सर सोशल मीडिया प्रोपोगेंडा, फर्जी खबरें शामिल होती हैं जिनका उद्देश्य सेना का मनोबल गिराना होता है. खैर सेना के प्रयास तो अपनी जगह हैं लेकिन तमाम एडवाइजरी भी धरी की धरी रह जाती है जब एक लड़की किसी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती है. हालांकि अनजान लोगों से दोस्ती तो आम लोगों के लिए भी खतरनाक होती है फिरभी लोग महिलाओं की रिक्वेट एक्सेप्ट करते वक्त जरा भी नहीं सोचते. सैनिक चाहे किसी भी देश के हों, हैं तो इंसान ही. लेकिन बात जब देश की सुरक्षा की हो तो आंख, कान और दिमाग सब चौकन्ना रखना होता है.
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