मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई है और देखा जाए तो इसपर बात होना और चर्चा का दौर चलना सही भी है. खबर संसद और संसद के अन्दर पोर्न फ़िल्में और वीडियो देखने से जुड़ी है. मगर पूरे मामले में अच्छी बात ये है कि यहां इस बार आलोचना का पात्र हमारा देश भारत नहीं बल्कि ब्रिटेन है. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. खबर दिलचस्प है और खबर के अनुसार ब्रिटेन के संसद भवन में लगे कंप्यूटरों से साल 2017 के आखिर में हर एक दिन लगभग 160 बार अश्लील वेबसाइटों को खोलने की नाकाम कोशिश की गई. ज्ञात हो कि ये दावा और किसी ने नहीं बल्कि खुद ब्रिटेन की प्रेस एसोसिएशन (पीए) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में हुआ है और इस खुलासे के चलते पूरा ब्रिटेन अपने सांसदों की आलोचना में जुट गया है.
अगर फ्रीडम ऑफ इंफोरमेशन (एफओआई) द्वारा प्राप्त आंकड़ों पर एक नजर डालें तो मिल रहा है कि ब्रिटेन में पिछले साल जून में हुए आम चुनावों के बाद संसदीय नेटवर्क से जुड़े उपकरणों से 24,473 बार अश्लील वेबसाइटों को खोलने की कोशिश की गई है. ज्ञात हो कि ब्रिटेन के संसद भवन में इंटरनेट का इस्तेमाल सांसद, उच्च सदन के सदस्यों और उनके स्टाफ द्वारा किया जाता है. साथ ही वहां कंप्यूटर नेटवर्क पर सभी अश्लील वेबसाइटें ब्लॉक हैं.
ब्रिटेन जैसे देश के मद्देनजर ये खबर इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री टेरीजा मे पर खुद कौन कदाचार के गंभीर आरोप हैं साथ ही उन्हें अपने सबसे करीबी दोस्त और मंत्री डैमियन ग्रीन को पद से हटाना पड़ा है. यहां ये भी बताना जरूरी है कि साल 2008 में उनके कंप्यूटर से अश्लील सामग्री मिली थी जिसके चलते उन्होंने पुलिस तक को गुमराह करने का प्रयास किया था....
मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई है और देखा जाए तो इसपर बात होना और चर्चा का दौर चलना सही भी है. खबर संसद और संसद के अन्दर पोर्न फ़िल्में और वीडियो देखने से जुड़ी है. मगर पूरे मामले में अच्छी बात ये है कि यहां इस बार आलोचना का पात्र हमारा देश भारत नहीं बल्कि ब्रिटेन है. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. खबर दिलचस्प है और खबर के अनुसार ब्रिटेन के संसद भवन में लगे कंप्यूटरों से साल 2017 के आखिर में हर एक दिन लगभग 160 बार अश्लील वेबसाइटों को खोलने की नाकाम कोशिश की गई. ज्ञात हो कि ये दावा और किसी ने नहीं बल्कि खुद ब्रिटेन की प्रेस एसोसिएशन (पीए) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में हुआ है और इस खुलासे के चलते पूरा ब्रिटेन अपने सांसदों की आलोचना में जुट गया है.
अगर फ्रीडम ऑफ इंफोरमेशन (एफओआई) द्वारा प्राप्त आंकड़ों पर एक नजर डालें तो मिल रहा है कि ब्रिटेन में पिछले साल जून में हुए आम चुनावों के बाद संसदीय नेटवर्क से जुड़े उपकरणों से 24,473 बार अश्लील वेबसाइटों को खोलने की कोशिश की गई है. ज्ञात हो कि ब्रिटेन के संसद भवन में इंटरनेट का इस्तेमाल सांसद, उच्च सदन के सदस्यों और उनके स्टाफ द्वारा किया जाता है. साथ ही वहां कंप्यूटर नेटवर्क पर सभी अश्लील वेबसाइटें ब्लॉक हैं.
ब्रिटेन जैसे देश के मद्देनजर ये खबर इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री टेरीजा मे पर खुद कौन कदाचार के गंभीर आरोप हैं साथ ही उन्हें अपने सबसे करीबी दोस्त और मंत्री डैमियन ग्रीन को पद से हटाना पड़ा है. यहां ये भी बताना जरूरी है कि साल 2008 में उनके कंप्यूटर से अश्लील सामग्री मिली थी जिसके चलते उन्होंने पुलिस तक को गुमराह करने का प्रयास किया था. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री द्वारा की गयी इस हरकत से ब्रिटेन की पूरी सियासत में हड़कंप मच गया था.
बहरहाल, भले ही खबर से ब्रिटेन के लोग अपनी सरकार की आलोचना कर रहे हों और सरकार अपने लोगों के सामने अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए तरह तरह के जतन कर रही हो मगर इस पूरे प्रकरण से एक बात हो साफ है कि देश कोई भी हो, सरकार कोई भी रहे नेता प्रायः उन्हीं कामों में लिप्त रहते हैं जिनकी इजाजत समाज बिल्कुल नहीं देता. ब्रिटेन में हर रोज 100 से ऊपर अश्लील वेबसाइटों का खुलना इस बात की ओर इशारा करता है कि जिन सांसदों को संसद में सरकार के, देश के, नागरिकों के हित में काम करना चाहिए उन्हें केवल अपने मनोरंजन की फ़िक्र है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि पोर्न और अश्लील कंटेंट का शौक केवल हमारे भारतीय नेताओं को नहीं है. कहा जा सकता है कि आज हमारे ये भारतीय नेता हमेशा की तरह विदेशी "कल्चर" को कॉपी कर रहे हैं और उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर संसद जैसे स्थान की मर्यादा को खंड खंड कर, देश के एक नागरिक, देश के एक जिम्मेदार वोटर के साथ धोखा कर रहे हैं.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.