तस्लीमा नसरीन बड़ी लेखक हैं और किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. आदमी जब 'साधारण' से 'बड़ा' बन जाता है तो उसकी कही हर बात पर गौर भी होता है और फ़िक्र भी की जाती है. स्थिति जब ऐसी हो तो बड़े आदमी को भी चाहिए कि वो जो बातें कहे उसे पूरी जिम्मेदारी के साथ और सोच समझकर कहे. कई बार ऐसा होता है कि आदमी कहना तो कुछ और चाहता है मगर वो भावों में इस कादर बह जाता है कि आम का इमली हो जाता है और कही हुई बात कड़वी जान पड़ती है. प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है. तस्लीमा नसरीन बड़ी लेखक हैं और किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. पूर्व में कई ऐसे मौके आए हैं जब लेखक होने के बावजूद वो अपनी बात ढंग से कह नहीं पाईं और अर्थ का अनर्थ हो गया. ये क्रम उन्होंने फिर दोहराया है और विवाद की वजह बने हैं उनके कुछ ट्वीट्स.
दरअसल तस्लीमा महिला और पुरुषों के मद्देनजर बुरे या बैड जींस के बारे में बात कर रही थीं मगर जो बातें उन्होंने कहीं वो न सिर्फ असंवेदनशील थीं बल्कि उन्होंने ये तक बता दिया कि भले ही तस्लीमा बड़ी लेखिका हों मगर बात जब दुनिया के साधारण लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की आती है तो उसमें वो मात खा जाती हैं.
तस्लीमा नसरीन ने बता दिया है कि आदमी बड़ा बन जाए तो क्या हुआ यदि वो असंवेदनशील है तो हमेशा रहेगा
Lajja नाम की लोकप्रिय पुस्तक की लेखिका तस्लीमा नसरीन ने ट्विटर पर लिखा है कि जिन पुरुषों और महिलाओं को बुरे जींस के साथ आनुवांशिक बीमारियां जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि से बुरा जीन है, उन्हें बच्चे पैदा नहीं करने चाहिए. उन्हें दूसरों को पीड़ित करने का कोई अधिकार नहीं है.
तस्लीमा का ये कहना भर था कि ट्विटर पर लोगों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी. अपने को घिरता देख इसके बाद तस्लीमा ने एक ट्वीट और किया और कहा कि मुझे खाना पसंद है. मुझे मछली, मीट और मीठा पसंद है पर मुझे जल्दी मरना नहीं है इसलिए मैं शाकाहार को अपनाना चाहती हूं. ये बुरे जींस मुझे अपने माता और पिता से मिले हैं.
भले ही तस्लीमा खुद को सही साबित करने के लिए तमाम तरह के तर्क दे मगर जब उनके पहले ट्वीट का अवलोकन किया जाए तो यही मिलता है कि जो बातें उन्होंने कहीं हैं उसमें से आधी बात सही है जबकि आधी को लेकर वो कुछ ज्यादा ही बोल गयीं हैं और कहीं न कहीं वो अपना ओपिनियन दूसरों पर थोप रही हैं.
बात बहुत साफ है. इस दुनिया की एक बड़ी आबादी है जिसे ये नहीं पता कि उसके शरीर में क्या चल रहा है और वो स्वस्थ है भी या नहीं. इसे एक उदाहरण से भी समझा जा सकता है. हमें अपने स्कूलों में पढ़ाया यही गया है कि इंसान के शरीर में 2 किडनी होती है अब अगर हम आपसे ये कहें कि इस दुनिया में 93 लाख लोग ऐसे हैं, जो एक किडनी के सहारे जी रहे हैं और इसे ही लेकर वो मर जाते हैं तो शायद आप हैरत में आ जाएं मगर ये सत्य है.
सवाल ये है कि कितने लोगों के पास ये जानकारी है? ऐसे में तस्लीमा का हेल्थ को लेकर बड़ी बड़ी बातें करना उन्हें बुद्धिजीवी तो बना सकता है मगर शायद ही उनकी कही बातों से एक आम आदमी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो पाए.
अब जैसा कि हम बता चुके हैं अपने द्वारा कही बात पर तस्लीमा की खूब आलोचना हुई है तो हमारे लिए उन प्रतिक्रियाओं को देखना भी जरूरी है जो उनके द्वारा कही इस बात पर आई हैं.
@LuciaBallBell नाम की यूजर ने इन्हीं दोनों ट्वीट्स को आधार बनाकर जवाब दिया है और कहा है कि तस्लीमा ऐसी बात कर रही हैं इसके भी जिम्मेदार उनके माता पिता के जींस हैं.
वहीं @Saltwatertattoo नाम के वेरिफाइड यूजर ने जो रिप्लाई तस्लीमा को दिया है उससे भी साफ हो गया है कि उन्हें भी तस्लीमा द्वारा कही इस बे बुनियाद बात से आपत्ति है.
@amyjhughes के भी रिप्लाई से इस बात का अंदाजा लग जाता है कि तस्लीमा ने जो कहा है उसके लिए उन्हें दो बार सोचना चाहिए था. साफ था कि इनकी इस बेसिर पैर की बात ने काफी लोगों को आहत किया है.
विषय कितना गंभीर है और लोग तस्लीमा से कितने नाराज हैं इसे हम @MrRoflWaffles नाम के यूजर के रिप्लाई से भी समझ सकते हैं.
वहीं ऐसे भी यूजर्स थे जिन्होंने इस विषय पर तस्लीमा नसरीन को भांति भांति की राय दी.
बहरहाल, अब जब तस्लीमा ने स्वास्थ्य को मुद्दा बनाकर इतनी बड़ी बात कह ही दी है. तो हम भी बस इतना कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि एक लेखक और सेलेब्रिटी होने के कारण तस्लीमा को जो भी कहना था सोच समझ कर कहना था. बीमारियां एक बेहद संवेदनशील विषय है ऐसे में ये कहना कि जो बीमार हैं उन्हें बच्चे नहीं पैदा करने चाहिए उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ता है जो इ रोगों के शिकार हैं.
तस्लीमा को याद रखना चाहिए कि उनकी बात लोगों को इस दिशा में सोचने पर मजबूर करे या न करे मगर उससे वो अवसाद में जरूर आ जाएंगे.
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