विनता नंदा आज एक सफल राइटर और प्रोड्यूसर हैं. वो सशक्त हैं और हिम्मती भी, लेकिन ऐसा नहीं है कि उनके इतना हिम्मती होने से यातनाएं उनके हिस्से नहीं आएंगी. सच तो ये है कि हमारे देश का सिस्टम इतना लचर है कि रेप पीड़िता की नियति बन जाता है. हर कदम पर यातनाएं झेलना. विनता भी झेल रही हैं. चूंकि रेप हुआ है तो 20 साल के बाद भी उन्हें अपना मेडिकल टेस्ट कराना होगा. तभी तो मामला आगे बढ़ेगा.
Me too आंदोलन के तहत तनुश्री दत्ता के बाद अगर किसी महिला का मामला सबसे ज्यादा चर्चित हुआ, तो वो हैं राइटर और प्रोड्यूसर विनता नंदा. विनता का मामला इसलिए भी चर्चित था क्योंकि ये मामला 20 साल पुराना था और टीवी के सबसे संस्कारी कहे जाने वाले शख्स आलोक नाथ के खिलाफ था.
बहुत हिम्मत लगी होगी विनता को जब उन्होंने फेसबुक पर ये बताया कि उनके साथ बलात्कार किया गया था. और उससे भी ज्यादा हिम्मत तब लगी जब उन्होंने आलोकनाथ के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी. हालांकि ये हिम्मत वो उस वक्त नहीं जुटा सकी थीं जब उनके साथ ये सब हुआ था, यानी 20 साल पहले. लेकिन जब अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का मन विनता ने बना लिया तो ये बात वहीं तय हो गई थी कि अब वो सबकुछ सहने के लिए तैयार हैं. वही सबकुछ जो बलात्कार सहने वाली हर महिला झेलती है.
विनता का मामला भले ही 20 साल पुराना हो, लेकिन उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं गया. बलात्कार कल होता तब भी मेडिकल टेस्ट होता, 20 साल पहले हुआ, तब भी होगा. हालांकि ये टेस्ट अगर रेप के 72 घंटो के भीतर हो तो ही काम का होता है, ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह, लेकिन एक सप्ताह बाद ये टेस्ट किसी काम का नहीं रहता. लेकिन पुलिस की कार्रवाई आगे तभी बढ़ेगी जब मेडिकल करवाया जाएगा. सोचने वाली...
विनता नंदा आज एक सफल राइटर और प्रोड्यूसर हैं. वो सशक्त हैं और हिम्मती भी, लेकिन ऐसा नहीं है कि उनके इतना हिम्मती होने से यातनाएं उनके हिस्से नहीं आएंगी. सच तो ये है कि हमारे देश का सिस्टम इतना लचर है कि रेप पीड़िता की नियति बन जाता है. हर कदम पर यातनाएं झेलना. विनता भी झेल रही हैं. चूंकि रेप हुआ है तो 20 साल के बाद भी उन्हें अपना मेडिकल टेस्ट कराना होगा. तभी तो मामला आगे बढ़ेगा.
Me too आंदोलन के तहत तनुश्री दत्ता के बाद अगर किसी महिला का मामला सबसे ज्यादा चर्चित हुआ, तो वो हैं राइटर और प्रोड्यूसर विनता नंदा. विनता का मामला इसलिए भी चर्चित था क्योंकि ये मामला 20 साल पुराना था और टीवी के सबसे संस्कारी कहे जाने वाले शख्स आलोक नाथ के खिलाफ था.
बहुत हिम्मत लगी होगी विनता को जब उन्होंने फेसबुक पर ये बताया कि उनके साथ बलात्कार किया गया था. और उससे भी ज्यादा हिम्मत तब लगी जब उन्होंने आलोकनाथ के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी. हालांकि ये हिम्मत वो उस वक्त नहीं जुटा सकी थीं जब उनके साथ ये सब हुआ था, यानी 20 साल पहले. लेकिन जब अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का मन विनता ने बना लिया तो ये बात वहीं तय हो गई थी कि अब वो सबकुछ सहने के लिए तैयार हैं. वही सबकुछ जो बलात्कार सहने वाली हर महिला झेलती है.
विनता का मामला भले ही 20 साल पुराना हो, लेकिन उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं गया. बलात्कार कल होता तब भी मेडिकल टेस्ट होता, 20 साल पहले हुआ, तब भी होगा. हालांकि ये टेस्ट अगर रेप के 72 घंटो के भीतर हो तो ही काम का होता है, ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह, लेकिन एक सप्ताह बाद ये टेस्ट किसी काम का नहीं रहता. लेकिन पुलिस की कार्रवाई आगे तभी बढ़ेगी जब मेडिकल करवाया जाएगा. सोचने वाली बात तो ये है कि मेडिकल में आखिर मिलेगा क्या. ये रटे रटाए सरकारी डायलॉग बोलकर पुलिस अगर खुद को प्रक्रीया के मुताबिक काम करते दिखाना चाह रही है तो पुलिस ने ये कहकर अपना फजीहत खुद करा रही है.
बता दें कि, 8 अक्टूबर को विनता ने फेसबुक के जरिए रेप के बारे में दुनिया को बताया था और 19 अक्टूबर को पुलिस को, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की. रेप के मामले में शायद पुलिस जरूरत से ज्यदा सोचती है. इसलिए तुरंत एफआईआर कभी नहीं करती. शिकायत के लगभग एक महीने के बाद पुलिस ने कहा कि वो FIR दर्ज करेंगे, और 21 नवंबर को ओशीवारा पुलिस ने आलोकनाथ के खिलाफ बलात्कार की FIR दर्ज की. लेकिन मेडिकल कराए बिना केस आगे नहीं बढ़ सकता.
पत्रकार बरखा दत्त के साथ बातचीत में विनता ने कहा कि- 'FIR फाइल होने के बाद आलोक नाथ को अरेस्ट किया जाता या मामले की तहकीकात की जाती, लेकिन कुछ नहीं हुआ. सारी चीजें मुझ पर दोबारा आ गई हैं. अब मुझे मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया है, वो भी 20 साल बाद, मैंने अखबार में देखा, जहां उन्होंने कहा था कि मुझे मेडिकल चेकअप से गुजरना पड़ेगा. इसके बाद ही केस आगे बढ़ पाएगा.'
तो देखिए, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बलात्कार कब हुआ था- कल या 20 साल पहले और पुलिस में शिकायत कब की गई थी. सच तो यही है कि एक पीडिता को इन यातनाओं से तो गुजरना ही पड़ेगा. पहले समाज के ताने, कि गलती उसी की होगी, आजादी की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी, फिर सामाजिक तिरस्कार, उसके बाद FIR दर्ज करवाने के लिए पुलिस के साथ संघर्ष, FIR दर्ज हो जाए तो फिर अदालत में वकीलों के वो सावाल जो किसी भी सूरत में बलात्कार से कम नहीं होते. फिर तारीख पे तारीख, तारीख के तारीख. किस्मत अच्छी रही तो आरोपी को सजा और आरोपी ताकतवर हुआ तो फिर समझिए कि यातनाओं का अंत नहीं.
20 साल पहले भी विनता यही सब झेल रही होतीं जो आज झेल रही हैं. ये तो शुरुआत है. अभी तो कोर्ट की फजीहत अलग है. विनता नंदा कहती हैं कि ' मैं एक पढ़ी-लिखी, आजाद और सशक्त महिला हूं, लेकिन मेरे साथ जो कुछ भी हुआ वो शायद उन महिलाओं की तुलना में बहुत कम होगा जो सशक्त नहीं हैं और आवाज नहीं उठा पातीं. वो तो इससे कहीं ज्यादा बुरा होता होगा.'
सच कहा विनता ने, वो ये सब झेलने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन महिलाओं के साथ क्या होता होगा जो उतनी मजबूत स्थिति में नहीं हैं. खैर, हम सब जानते हैं. पर अब सवाल ये है कि पुलिसिया कार्रवाई क्या रूप लेने जा रही है, और जब मेडिकल में कुछ नहीं मिलेगा, तो क्या विनता नंदा का केस खारिज हो जाएगा. इतनी हिम्मत के बाद जो सच विनता पूरी दुनिया के सामने लाईं क्या उसका अस्तित्व एक मेडिकल टेस्ट पर आधारित है? ये बातें साबित करती हैं कि रेप के मामले में हमारा समाज जितना असंवेदनशील है उतनी ही सुस्त हमारी कानून व्यवस्था भी.
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