बिलकुल आप कह सकते हैं कि यह "आंटी'' हैं, यह सब कुछ एक पूर्वाभ्यास द्वारा तैयार स्क्रिप्टेड स्क्रीन प्ले था. अब ज़रा गौर करिये, हम आजाद भारत में रहते हैं और सदियों से एक महिला को दबे-कुचले-असहाय रूप में देखने के अभ्यस्त हो चुके हैं. आजादी के इतने सालो के बाद भी हम संसद में महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी तक तय नहीं कर सके हैं. हम आज भी विभिन्न परीक्षाओं के बाद आये हुए रिजल्ट से नजरें चुराते हैं क्योंकि वहाँ अक्सर टॉप-टेन में चार-छह लड़कियां हमे मुँह चिढ़ाती नजर आती हैं.
अब इन मैडम को ही ले लीजिये, मिक्का के अल्बम से शुरुआत करने के बाद तुलसी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली एक सफल टीवी अभिनेत्री के रूप को तो हम पसन्द करते आये हैं पर जैसे ही यह हमारे पूर्व निर्धारित सामाजिक ढाँचे को तोड़कर एक असंभव सी लगने वाली अमेठी सीट पर परिवारवाद के ताजा प्रोडक्ट राहुल गांधी के खिलाफ अपनी कमर कसती हैं, तो हम मैडम को यह याद दिलाने लगते हैं कि आप सिर्फ 12 पास हो?
हम अपने उन हजारो अंगूठा टेक नेताओं से मुंह फेरते हुए इन्हें यह बताने लगते हैं कि आप देश की मानव संसाधन मंत्री के पद योग्य नहीं हैं.हम आज भी उन्हें यह बता रहे हैं कि आप तो टीवी अभिनेत्री हैं और आपने काफी अच्छा स्क्रीन प्ले किया संसद में. हम यही हैं, यही हमारी पुरुषवादी मानसिकता है.
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हाँ, हमारे गाल फूल गए हैं कि कैसे कल संसद में एक महिला ने समूचे विपक्ष को स्तब्ध कर दिया. वह राहुल गांधी इस महिला के वैचारिक स्तर की धूल चाटते नजर आये जिन्होंने एक दिन पहले यह कहा था कि यह सरकार उन्हें बोलने नहीं देगी क्योंकि उनके बोलने से यह सरकार डरती है?मैं मानता हूँ कि बीजेपी को जैसा शासन चलाना चाहिए था वह उस तरह से नहीं चला पा रही है....
बिलकुल आप कह सकते हैं कि यह "आंटी'' हैं, यह सब कुछ एक पूर्वाभ्यास द्वारा तैयार स्क्रिप्टेड स्क्रीन प्ले था. अब ज़रा गौर करिये, हम आजाद भारत में रहते हैं और सदियों से एक महिला को दबे-कुचले-असहाय रूप में देखने के अभ्यस्त हो चुके हैं. आजादी के इतने सालो के बाद भी हम संसद में महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी तक तय नहीं कर सके हैं. हम आज भी विभिन्न परीक्षाओं के बाद आये हुए रिजल्ट से नजरें चुराते हैं क्योंकि वहाँ अक्सर टॉप-टेन में चार-छह लड़कियां हमे मुँह चिढ़ाती नजर आती हैं.
अब इन मैडम को ही ले लीजिये, मिक्का के अल्बम से शुरुआत करने के बाद तुलसी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली एक सफल टीवी अभिनेत्री के रूप को तो हम पसन्द करते आये हैं पर जैसे ही यह हमारे पूर्व निर्धारित सामाजिक ढाँचे को तोड़कर एक असंभव सी लगने वाली अमेठी सीट पर परिवारवाद के ताजा प्रोडक्ट राहुल गांधी के खिलाफ अपनी कमर कसती हैं, तो हम मैडम को यह याद दिलाने लगते हैं कि आप सिर्फ 12 पास हो?
हम अपने उन हजारो अंगूठा टेक नेताओं से मुंह फेरते हुए इन्हें यह बताने लगते हैं कि आप देश की मानव संसाधन मंत्री के पद योग्य नहीं हैं.हम आज भी उन्हें यह बता रहे हैं कि आप तो टीवी अभिनेत्री हैं और आपने काफी अच्छा स्क्रीन प्ले किया संसद में. हम यही हैं, यही हमारी पुरुषवादी मानसिकता है.
ये भी पढ़ें- 'आंटी नेशनल': एक अखबार का शीर्ष(क) पतन
हाँ, हमारे गाल फूल गए हैं कि कैसे कल संसद में एक महिला ने समूचे विपक्ष को स्तब्ध कर दिया. वह राहुल गांधी इस महिला के वैचारिक स्तर की धूल चाटते नजर आये जिन्होंने एक दिन पहले यह कहा था कि यह सरकार उन्हें बोलने नहीं देगी क्योंकि उनके बोलने से यह सरकार डरती है?मैं मानता हूँ कि बीजेपी को जैसा शासन चलाना चाहिए था वह उस तरह से नहीं चला पा रही है. और मैं यह भी मानता हूँ कि हम आम भारतीय आज भी एक महिला को उसके तर्कों से न हरा कर "आंटी" हैशटैग से हरा सकते हैं.
शाब्बास भारतीयों, संसद में एक महिला की सशक्त-अकाट्य तर्कों के साथ उपस्थिति से मेरा मन हर्षित है और यहाँ मैं यह भूलना चाहता हूँ यह महिला सत्ता पक्ष से है. मैं बस यह याद रखना चाहता हूँ कि यह सुषमा स्वराज के बाद हमारी हालिया संसद की ताजी उपलब्धि है.
जियो स्मृति ईरानी महलोत्रा !
वैचारिक विकलांग "अंकलों" की बातों पर ध्यान मत देना. स्त्री शक्ति का यही रूप हम देखना चाहते हैं. आपको और आपके जज्बे को सलाम.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.