हर माता-पिता का एक सपना होता है कि उसका बच्चा अच्छी पढ़ाई करे, और फिर उसकी कहीं अच्छी जगह नौकरी लग जाए. हर लग गई तो फिर क्या. माता-पिता लगा देते हैं रिश्तेदारों को कॉल. जी हमारे लड़के/लड़की की नौकरी फलाहने जगह लग गई है.
लेकिन बच्चे का क्या. क्या वो खुश है ? क्या उसको मनपसंद की जॉब मिल गई है ? उसे कोई परेशानी तो नहीं है ? अब इससे माता-पिता को क्या करना. अगर बच्चा बोल भी दे कि वो जॉब छोड़ना चाहता है तो उसे लोगों से क्या कहेंगे ये बोलकर चुप करा दिया जाता है. लेकिन यकीन मानिए तनावपूर्ण नौकरी करने वालों से बेरोजगार कई गुना अच्छे हैं. ये हम नहीं बल्कि ब्रिटेन में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है.
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है कम वेतन वाली जॉब
उनके शोध में निकलकर आया है कि बेरोजगार लोगों के मुकाबले कम वेतन पर तनावपूर्ण माहौल में नौकरी कर रहे लोगों की सेहत ज्यादा खराब होती है. शोध में खुलासा किया गया है कि कम वेतन पर काम करने वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की अधिक आशंका होती है. शोध करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है.
कम वेतन वालों को सबसे बड़ी टेंशन होती है कि उसके साथ करने वाले की जॉब कितनी है. अगर आप उससे ज्यादा काम करते हैं और सैलेरी कम मिल रही है तो टेंशन हो जाती है और इंक्रिमेंट भी उसका आपसे ज्यादा हो जाए तो क्या. इसका असर काम पर तो पड़ता ही है साथ ही सेहत भी पड़ता है.
तनावपूर्ण माहौल में किसी को काम करने में मजा आता है तो कोई उसे झेल नहीं पाता. उसे कई बीमारियां घेर लेती हैं और टेंशन में कमजोरी भी आ जाती है. फिर जब छुट्टियों में बच्चा घर लौटता है तो मां कहती है इतना कमजोर हो गया है. बता दें, वो कमजोरी इसी की वजह से है. उससे पहले पूछ लिया जाए कि जॉब में कोई...
हर माता-पिता का एक सपना होता है कि उसका बच्चा अच्छी पढ़ाई करे, और फिर उसकी कहीं अच्छी जगह नौकरी लग जाए. हर लग गई तो फिर क्या. माता-पिता लगा देते हैं रिश्तेदारों को कॉल. जी हमारे लड़के/लड़की की नौकरी फलाहने जगह लग गई है.
लेकिन बच्चे का क्या. क्या वो खुश है ? क्या उसको मनपसंद की जॉब मिल गई है ? उसे कोई परेशानी तो नहीं है ? अब इससे माता-पिता को क्या करना. अगर बच्चा बोल भी दे कि वो जॉब छोड़ना चाहता है तो उसे लोगों से क्या कहेंगे ये बोलकर चुप करा दिया जाता है. लेकिन यकीन मानिए तनावपूर्ण नौकरी करने वालों से बेरोजगार कई गुना अच्छे हैं. ये हम नहीं बल्कि ब्रिटेन में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है.
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है कम वेतन वाली जॉब
उनके शोध में निकलकर आया है कि बेरोजगार लोगों के मुकाबले कम वेतन पर तनावपूर्ण माहौल में नौकरी कर रहे लोगों की सेहत ज्यादा खराब होती है. शोध में खुलासा किया गया है कि कम वेतन पर काम करने वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की अधिक आशंका होती है. शोध करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है.
कम वेतन वालों को सबसे बड़ी टेंशन होती है कि उसके साथ करने वाले की जॉब कितनी है. अगर आप उससे ज्यादा काम करते हैं और सैलेरी कम मिल रही है तो टेंशन हो जाती है और इंक्रिमेंट भी उसका आपसे ज्यादा हो जाए तो क्या. इसका असर काम पर तो पड़ता ही है साथ ही सेहत भी पड़ता है.
तनावपूर्ण माहौल में किसी को काम करने में मजा आता है तो कोई उसे झेल नहीं पाता. उसे कई बीमारियां घेर लेती हैं और टेंशन में कमजोरी भी आ जाती है. फिर जब छुट्टियों में बच्चा घर लौटता है तो मां कहती है इतना कमजोर हो गया है. बता दें, वो कमजोरी इसी की वजह से है. उससे पहले पूछ लिया जाए कि जॉब में कोई परेशानी तो नहीं है ? तो बेहतर होगा.
शोधकर्ताओं ने वर्ष 2009 से 2010 के दौरान बेरोजगार 35 से 75 साल की आयु के 1,000 लोगों का अध्ययन किया. उन्होंने शुरुआती कुछ सालों में इन लोगों के स्वास्थ्य और उनके हार्मोन्स द्वारा दिखाई दे रहे तनाव के स्तर पर नजर रखी.
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तरानी चंदोला समेत शोधकर्ताओं के दल ने पाया कि खराब गुणवत्ता का काम करने वाले एडल्ट्स में लंबे समय से तनाव में पाया गया है. जबकि जो लोग बेरोजगार रहे उनमें यह कम देखा गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि अच्छी नौकरी करने वाले बड़े लोगों में बायोमार्कर का कम स्तर पाया गया. कुल मिलाकर ये कहें कि अगर नौकरी करते वक्त आपको भी तनाव महसूस हो रहा है तो शांति से काम लें. तनाव से काम पर भी असर पड़ेगा और स्वास्थ पर भी. ठंडे दिमाग से काम करने से आप टेंशन फ्री रहेंगे और गलत ख्याल भी मन में नहीं आएंगे.
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