अभी कुछ दिन पहले ही राखी के लिए PETA India ने एक पोस्टर जारी किया जिसमें बाक़ायदा गाय की तस्वीर थी और लेदर-फ़्री राखी (Leather Free Rakshabandhan) मनाने की अपील की गयी थी. पहले तो आधा दिन मैं माथा पीटती रही ये जानने के लिए कि राखी (Rakhi) कब से लेदर यानी चमड़े से बनने लगी? राखी तो रेशम और मोतियों से बनती है. उसमें कई बात चंदन की लकड़ियां भी यूज़ होती हैं. ऊपर से राखी हिंदुओं का त्योहार है तो पूजा वाली किसी भी चीज़ में चमड़ा यूज़ करेंगे ही नहीं. फिर समझ आया कि ओह! शिट, राखी हिंदुओं का त्योहार है तो इससे PETA का दुःखी होना बनता है. हिंदुओं के सभी त्योहारों से इनका दुःख उमड़-उमड़ कर बहने लगता है. इनके अंदर का इंसान जानवरों के प्रेम में डूबने लगता है.
ध्यान रहे ख़ाली हिंदुओं के त्योहार के वक़्त. बाक़ी धर्मों के त्योहारों के समय ये अंधे और बहरे दोनों हो जाते हैं. जैसे कि कुछ सिलेक्टिव लोग भी हो जाते हैं. अब देखिए ट्विटर पर अभी मुझे #BakraLivesMatter वाले कई ट्वीट दिखे. थोड़ा पढ़ने पर पता चला कि बक़रीद आने वाली है तो लोग बकरियों के लिए प्रोटेस्ट कर रहें हैं. और मुझे इसमें लॉजिक भी दिखा कि बकरियों की भी लाइफ़ मैटर करती है.
जैसे ही मैं ट्विटर से निकलने वाली थी कि आरजे साएमा का भी एक ट्वीट दिखा जिसमें उनको इस बात से एतराज़ हुआ है कि क्या बकरा लाइव्ज़ मैटर करके गंध फैला रहे हो. एक शांतिप्रिय धर्म को तुम उनका त्योहार भी अच्छे से मनाने नहीं दे रहे हो. कितने गंदे हो बे! ये उस ट्वीट का हिंदी अनुवाद है जो उन्होंने अंग्रेज़ी में लिखा.