रोज की भाग-दौड़ और तनाव से छुटकारा पाने के लिए लोग अक्सर घूमने का प्लान बनाते हैं. इसके लिए अधिकतर लोग किसी ऐसी जगह जाना पसंद करते हैं, जहां पर प्राकृतिक सुंदरता हो. भारत के आस-पास के देशों में अगर सुंदरता देखी जाए तो बाली बहुत सारे लोगों की पसंद होता है. लेकिन इंडोनेशिया के बाली में लोग जिस सुंदरता को देखने जाते हैं, उसका डरावना सच उन्हें पता भी नहीं होता है. वहां जिस डॉल्फिन के पास जाकर उसे किस करते हैं, ये नहीं जानते कि उस डॉल्फिन को कितनी यातनाओं से गुजरना पड़ता है. इन सबका खुलासा तब हुआ जब World Animal Protection के खोजकर्ता टूरिस्ट का भेष बनाकर बाली के करीब 26 वेन्यू में गए, जिसके बाद ये डरावनी तस्वीर सामने आई. अगर आपको भी बाली के सच का पता चलेगा तो वहां जाना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी छोड़ देंगे. और इन जगहों पर जाना छोड़ देना ही वो तरीका होगा, जो बाली में जानवरों पर हो रहे अत्याचार को रोक सकता है.
निकाल दिए जाते हैं डॉल्फिन के दांत, ताकि आप 'KISS' कर सकें
- इंडोनेशिया के बहुत सारे पार्कों में जो डॉल्फिन हैं, उनमें से अधिकतर को गैर-कानूनी तरीके से पकड़ा जाता है. पकड़े जाने के शुरुआती 5 दिनों में डॉल्फिन के मरने का खतरा काफी अधिक हो जाता है.
- बाली के एक पार्क में तो डॉल्फिन के दांत तक निकाल लिए गए थे, ताकि वह किसी स्विमर या टूरिस्ट को नुकसान न पहुंचा सके.
- सभी डॉल्फिन को बेहद संकरी जगह में रखा जाता है. 10*20 मीटर के तीन मीटर गहरे पूल में करीब 4 डॉल्फिन को रख दिया जाता है.
- 5 ऐसी भी डॉल्फिन दिखीं जिनके शरीर पर चोट और बीमारी के निशान दिख रहे थे. कुछ में तो अंधेपन के भी लक्षण दिखे, जिसका सबसे बड़ा कारण क्लोरीन वाला पानी भी हो सकता है.
टूरिस्ट इन्हें KISS कर सकें, इसलिए डॉल्फिन के दांत निकाल दिए जाते हैं.
हाथियों की कर दी जाती है ऐसी हालत
हाथी की सवारी हमेशा ही खतरनाक होती है. हाथी पर काबू पाने के लिए उसे कुछ दिनों से लेकर हफ्ते भर तक इतनी यातनाएं दे दी जाती हैं कि वह एक गुलाम बनकर रह जाता है. जब तक उसे कुछ करने के लिए नहीं कहा जाता, तब तक वह कुछ नहीं करता. हाथियों पर काबू करने के लिए उन्हें कितना दर्द दिया जाता है, इसका अंदाजा भी शायद हम-आप नहीं लगा सकते.
हाथियों को काबू में करने के लिए उन्हें गई दिनों तक भयानक दर्द दिया जाता है.
मासूम बंदरों को जंजीरों में जकड़ देते हैं
जिन बंदरों की मासूमियत लोगों को लुभाती है, यहां उन्हें जंजीरों में जकड़ कर रखा जाता है. बाली के टर्टल वेन्यू में जंजीरों में जकड़े बंदर या यूं कहें कि बंदर के मासूम से बच्चे आपको देखने को मिल जाएंगे. चिड़ियाघरों में कम से उन्हें सिर्फ एक ऐसी जगह में रखा जाता है, जो पिंजरे जैसी होती है, लेकिन यहां तो उन्हें लोहे की जंजीरें पहना दी जाती हैं.
चेहरे पर भले ही मासूमियत हो, लेकिन जंजीरें डालने वाले को वो मासूमियत नहीं दिखी.
लोहे की सलाखों में कैद ओरेंगुटेन
अगर आप कुछ अतिरिक्त पैसे दे देते हैं तो आप ओरेंगुटेन के साथ एक तस्वीर ले सकते हैं, उसे छू सकते हैं या किस भी कर सकते हैं. लेकिन इन सब में ओरेंगुटेन का आराम नहीं देखा जाता. ये ठीक किसी कंपनी के कर्मचारी की तरह काम करते हैं और जैसै ही उनकी शिफ्ट खत्म होती है उन्हें वापस लोहे की सलाखों में कैद कर दिया जाता है.
जैसे ही ये तस्वीरों का सिलसिला खत्म होता है, लोहे की सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है इन्हें.
कछुओं के गिरा देते हैं टूरिस्ट
कछुए को हाथ में लेना कितना अच्छा लगता होगा, ये सोच कर ही खुशी का अहसास होने लगता है. छोटे-छोटे प्यारे कछुओं को आप देखेंगे तो उन्हें देखकर आपका भी मन करेगा कि एक बार छू कर देखें. लेकिन कई सारे वेन्यू में ऐसा देखने को मिला कि पर्यटक अक्सर कछुओं को गिरा देते हैं. ऐसा जानबूझ कर तो नहीं करते, लेकिन इससे कछुओं को चोट लग सकती है और उनका कवच भी टूट सकता है.
कई बार टूरिस्ट के हाथ कछुए गिर जाते हैं, जिससे उन्हें चोट भी लग सकती है.
अब इस बात का फैसला आपको करना है कि आपको इन जगहों पर जाना चाहिए या नहीं. आप जिस बाली में प्रकृति की सुंदरता और प्यारे-प्यारे जानवर देखने जाते हैं, आपको ये ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कितनी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. ऐसी जगहों पर न सिर्फ जाना छोड़ देना चाहिए, बल्कि खुलकर इन सबका विरोध भी करना चाहिए, ताकि इन जानवरों पर हो रहे अत्याचार रुक सकें. World Animal Protection भी यहां जाने वाले पर्यटकों से कुछ ऐसी ही गुहार लगा रहा है. यहां सबसे अधिक लोग ऑस्ट्रेलिया से आते हैं, इसलिए ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों को भी इसके खिलाफ खड़ा होने के लिए कहा जा रहा है.
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