बराक ओबामा दिल्ली में हैं. एक इवेंट का हिस्सा बनने आए ओबामा काफी अच्छे स्पीकर माने जाते हैं और जिस भी देश में वो बोलते हैं लोग उन्हें सुनते हैं. ओबामा ने अपने इवेंट में मोदी और मनमोहन सिंह से दोस्ती के बारे में भी बात की. ओबामा का यहां आना, बात करना, दोस्ती बढ़ाना बहुत अच्छा लगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओबामा को इतने इवेंट्स में स्पीच देने बुलाया जाता है तो उनकी फीस क्या है? जी हां, सभी इन्सपिरेशनल स्पीकर्स की तरह ओबामा को भी स्पीच देने के पैसे मिलते हैं. भारत वाले इवेंट में ओबामा को कितनी फीस मिली ये तो नहीं पता, लेकिन बराक ओबामा को बोलने के लिए एक स्पीच के लगभग 4 लाख डॉलर मिलते हैं यानि लगभग 2.5 करोड़ रुपए.
वॉल स्ट्रीट की तीन स्पीच के ओबामा को करीब 1.2 मिलियन डॉलर यानि साढ़े सात करोड़ के आस-पास मिले थे. ये अमेरिकी प्रेसिडेंट्स की कमाई का जरिया इस मामले में सबसे ज्यादा कमाई बिल क्लिंटन ने की थी.
1. बिल क्लिंटन...
अमेरिका के पूर्व प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन बोलने के लिहाज से सबसे ज्यादा पैसे कमाते थे. हर साल वो कई स्पीच देते हैं और हर स्पीच के ढाई लाख से 5 लाख डॉलर तक पैसे लेते हैं. इतना ही नहीं एक बार हॉन्गकॉन्ग में 2011 में दी गई स्पीच के लिए क्लिंटन ने $750,000 लिए थे यानि करीब 5 करोड़ रुपए. अगर देखा जाए तो ऑफिस छोड़ने के 10 साल यानि 2001 से 2012 .. में क्लिंटन ने करीब 104 मिलियन डॉलर सिर्फ स्पीच देकर कमाए हैं.
2. जॉर्ज W बुश...
जॉर्ज बुश को सिर्फ स्पीच देने के लिए 1 लाख से 1.75 लाख डॉलर मिलते हैं. इन्हें मॉर्डन जमाने का...
बराक ओबामा दिल्ली में हैं. एक इवेंट का हिस्सा बनने आए ओबामा काफी अच्छे स्पीकर माने जाते हैं और जिस भी देश में वो बोलते हैं लोग उन्हें सुनते हैं. ओबामा ने अपने इवेंट में मोदी और मनमोहन सिंह से दोस्ती के बारे में भी बात की. ओबामा का यहां आना, बात करना, दोस्ती बढ़ाना बहुत अच्छा लगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओबामा को इतने इवेंट्स में स्पीच देने बुलाया जाता है तो उनकी फीस क्या है? जी हां, सभी इन्सपिरेशनल स्पीकर्स की तरह ओबामा को भी स्पीच देने के पैसे मिलते हैं. भारत वाले इवेंट में ओबामा को कितनी फीस मिली ये तो नहीं पता, लेकिन बराक ओबामा को बोलने के लिए एक स्पीच के लगभग 4 लाख डॉलर मिलते हैं यानि लगभग 2.5 करोड़ रुपए.
वॉल स्ट्रीट की तीन स्पीच के ओबामा को करीब 1.2 मिलियन डॉलर यानि साढ़े सात करोड़ के आस-पास मिले थे. ये अमेरिकी प्रेसिडेंट्स की कमाई का जरिया इस मामले में सबसे ज्यादा कमाई बिल क्लिंटन ने की थी.
1. बिल क्लिंटन...
अमेरिका के पूर्व प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन बोलने के लिहाज से सबसे ज्यादा पैसे कमाते थे. हर साल वो कई स्पीच देते हैं और हर स्पीच के ढाई लाख से 5 लाख डॉलर तक पैसे लेते हैं. इतना ही नहीं एक बार हॉन्गकॉन्ग में 2011 में दी गई स्पीच के लिए क्लिंटन ने $750,000 लिए थे यानि करीब 5 करोड़ रुपए. अगर देखा जाए तो ऑफिस छोड़ने के 10 साल यानि 2001 से 2012 .. में क्लिंटन ने करीब 104 मिलियन डॉलर सिर्फ स्पीच देकर कमाए हैं.
2. जॉर्ज W बुश...
जॉर्ज बुश को सिर्फ स्पीच देने के लिए 1 लाख से 1.75 लाख डॉलर मिलते हैं. इन्हें मॉर्डन जमाने का एक बेहतर स्पीकर माना जाता है. जॉर्ज बुश भी अपनी स्पीच से काफी कमा चुके हैं.
3. जॉर्ज H W बुश...
जॉर्ज बुश के पिता यानि अमेरिका के 41वें प्रेसिडेंट जॉर्ड एच डब्लू बुश वैसे तो अब ऐसी कोई स्पीच देते नहीं, लेकिन जब देते थे तब उन्हें 75 हजार डॉलर एक स्पीच के मिलते थे. यानि लगभग 48 लाख रुपए एक स्पीच के.
4. जिमी कार्टर...
पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट जिमी कार्टर वैसे काफी कम बोलने के लिए फीस लिया करते थे और जब भी कभी उन्होंने फीस ली है तब भी उसे डोनेट कर दिया. उनकी एक स्पीच की 50 हजार डॉलर फीस होती थी.
ये सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध थी, लेकिन अगर कोई पूछे कि शशी थरूर बोलने के कितने पैसे लेते हैं या फिर अब मनमोहन सिंह को किसी स्पीच के कितने पैसे मिलते हैं ये जानकारी उपलब्ध नहीं है. तो बराक ओबामा जितने बेहतरीन स्पीकर हैं उतनी ही अच्छी फीस भी उन्हें मिलती है. अगर किसी को ये लगता है कि प्रेसिडेंसी छोड़ने के बाद उनकी कमाई का जरिया क्या है तो अब इसका जवाब आपको पता है. इसके अलावा, अमेरिकी प्रेसिडेंट्स को ऑफिस छोड़ने के बाद पेंशन भी दी जाती है.
पर आखिर इतनी फीस इन रिटायर हुए नेताओं को दी क्यों जाती है? फॉर्च्यून.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में एक ट्रेंड है जहां अपने इवेंट में लोगों को एक बड़ा नाम चाहिए होता है. इन इवेंट्स में लाखों डॉलर खर्च होते हैं और एक बड़े नाम के कारण पबलिसिटी आसानी से मिल जाती है. भले ही वो प्राइम टाइम न्यूज में न भी आए तो भी यूट्यूब पर लाखों लाइक्स मिल जाएंगे. लोग इन बड़े नामों के दीवाने होते हैं और उन्हें बार-बार सुनते हैं. अगर इतना ही हमारे देश में नेताओं को मिलता तो शायद यहां भी राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र होती.
ये भी पढ़ें-
हामिद अंसारी के 3 'विवाद' जिससे उपराष्ट्रपति पद की गरिमा कम हुई
उत्तर कोरिया से 'जंग' हार चुका है अमेरिका
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.