बेंगलुरु का एक नाई जिसने हाल ही में 3.2 करोड़ की गाड़ी खरीदी है. जी नहीं ये कोई शाहरुख खान या अंबानी का नाई नहीं, बल्कि आम लोगों के बाल काटकट 75 रुपए प्रति कटिंग लेने वाला साधारण इंसान है. ये कोई फेमस हेयरस्टाइलिस्ट नहीं है.
कुछ ऐसे ही जुमलों के साथ सोशल मीडिया पर फेमस हो गया है रमेश बाबू. लेकिन, यह कहानी किसी गरीब के हाथ अलादीन का चिराग लग जाने की नहीं है. बल्कि एक युवा और उसकी मेहनत की दास्तान है. भारत में बिजनेसमैन तो बहुत हैं, लेकिन सिर्फ कुछ ही ऐसे होते हैं जिनकी कहानी दुनिया के लिए मिसाल बन सकती है.
कुछ हटके सोच-
रमेश की कमाई सलून से उतनी नहीं होती थी जितनी आपको उम्मीद है. रमेश 9 साल की उम्र से अपने पिता की तरह ही हेयर कटिंग का काम करना सीख रहे थे. रमेश की जिंदगी बदली 1994 में जब उन्होंने अपनी पहली कार खरीदी. ये थी मारुती ओमनी वैन.
इसके बाद से ही रमेश ने नाई का काम करते हुए अपनी गाड़ी को किराए पर देना शुरू कर दिया. देखते ही देखते शुरुआत हुई रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स की.
एक-एक करके रमेश ने कारों का काफिला बनाना शुरू किया और अब आलम ये है कि रमेश इंटरनेशनल लेवल पर जाने जाते हैं. आज भी रमेश दिन के 5 घंटे अपने सलून में बिताते हैं और इसके अलावा, रॉल्स रॉयस जैसी गाड़ी के लिए एक दिन के 50000 रुपए तक चार्ज करते हैं. रमेश के क्लाइंट्स में कई नेता, अभिनेता आदि शामिल हैं जिन्हें गाड़ियों की जरूरत पड़ती रहती है. रमेश के पास कुल 11 मर्सिडीज हैं, 10 बीएमडब्लू, तीन ऑडी और दो जैगुआर मिलाकर करीब 150 कार शामिल हैं. अब इसमें 3.2 करोड़ की मर्सिटीज मैबेक...
बेंगलुरु का एक नाई जिसने हाल ही में 3.2 करोड़ की गाड़ी खरीदी है. जी नहीं ये कोई शाहरुख खान या अंबानी का नाई नहीं, बल्कि आम लोगों के बाल काटकट 75 रुपए प्रति कटिंग लेने वाला साधारण इंसान है. ये कोई फेमस हेयरस्टाइलिस्ट नहीं है.
कुछ ऐसे ही जुमलों के साथ सोशल मीडिया पर फेमस हो गया है रमेश बाबू. लेकिन, यह कहानी किसी गरीब के हाथ अलादीन का चिराग लग जाने की नहीं है. बल्कि एक युवा और उसकी मेहनत की दास्तान है. भारत में बिजनेसमैन तो बहुत हैं, लेकिन सिर्फ कुछ ही ऐसे होते हैं जिनकी कहानी दुनिया के लिए मिसाल बन सकती है.
कुछ हटके सोच-
रमेश की कमाई सलून से उतनी नहीं होती थी जितनी आपको उम्मीद है. रमेश 9 साल की उम्र से अपने पिता की तरह ही हेयर कटिंग का काम करना सीख रहे थे. रमेश की जिंदगी बदली 1994 में जब उन्होंने अपनी पहली कार खरीदी. ये थी मारुती ओमनी वैन.
इसके बाद से ही रमेश ने नाई का काम करते हुए अपनी गाड़ी को किराए पर देना शुरू कर दिया. देखते ही देखते शुरुआत हुई रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स की.
एक-एक करके रमेश ने कारों का काफिला बनाना शुरू किया और अब आलम ये है कि रमेश इंटरनेशनल लेवल पर जाने जाते हैं. आज भी रमेश दिन के 5 घंटे अपने सलून में बिताते हैं और इसके अलावा, रॉल्स रॉयस जैसी गाड़ी के लिए एक दिन के 50000 रुपए तक चार्ज करते हैं. रमेश के क्लाइंट्स में कई नेता, अभिनेता आदि शामिल हैं जिन्हें गाड़ियों की जरूरत पड़ती रहती है. रमेश के पास कुल 11 मर्सिडीज हैं, 10 बीएमडब्लू, तीन ऑडी और दो जैगुआर मिलाकर करीब 150 कार शामिल हैं. अब इसमें 3.2 करोड़ की मर्सिटीज मैबेक भी शामिल हो गई है.
कई लोगों के लिए ये सिर्फ एक कहानी हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों के लिए ये एक ऐसा उदाहरण है जो उन्हें प्रोत्साहित कर सकता है. अब खुद ही सोचिए क्या रमेश ने जो आइडिया लगाया वो बहुत ज्यादा पेचीदा था? नहीं, ये था कुछ अलग सोच का नतीजा. जरूरी नहीं कि किसी बिजनेस के लिए कोई बहुत आविष्कारी खोज ही की जाए. कई बार एक छोटी सी सोच भी आपका काम कर सकती है. भारत में ऐसी कई कहानियां हैं जो आपको कुछ करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.