Safe Sex, se Condom, Enjoy But With Necessary Precautions सरकारी योजनाओं, एनजीओ के पोस्टर और पैम्पलेट, सोशल मीडिया के पोस्ट तक नारे तमाम हैं जो हमें सुरक्षित सेक्स के लिए प्रेरित करते हैं. मगर क्योंकि नारों और हकीकत में जमीन और आसमान जितना अंतर है इसलिए कम ही लोग हैं जो उन बातों को अमली जामा पहनाते हैं जो इन नारों में लिखी होती हैं. इसके अलावा हाल फिलहाल में हिंदुस्तान के मद्देनजर कई ऐसे सर्वे भी आ चुके हैं जिनमें इस बात को स्वीकार किया गया है कि जब बात सेक्स की आती है तो किसी अन्य देश के मुकाबले हम भारतीय प्रायः कंडोम से दूरी बनाना ज्यादा पसंद करते हैं. एक तरफ सेक्स को खुल कर एन्जॉय करने की बात है दूसरी ओर देश की आबादी है जो दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जा रही है. तमाम रिपोर्ट्स ऐसी हैं जिनमें कहा जा रहा है कि वो दिन दूर नहीं जब हम आबादी के लिहाज से चीन तक को पीछे छोड़ देंगे. ऐसा नहीं है कि सेक्स के चलते लोग एकदम से बेपरवाह हैं और उन्हें देश की चिंता नहीं है. कंडोम के इस्तेमाल को लेकर जो ताज़ी जानकारी आई है वो चौंकाकर रख देने वाली है. कंडोम के इस्तेमाल को लेकर कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर के लोग किसी और शहर के मुकाबले कहीं ज्यादा सजग हैं. बताते चलें कि बैंगलोर में पिछले 5 सालों में कंडोम इस्तेमाल करने की दर 2.5 गुना बढ़ी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)-5 की मानें तो बैंगलोर में NFHS-4 (2015-16) में लोगों में कंडोम इस्तेमाल करने की दर 3.6 प्रतिशत थी जो अब 5 सालों बाद 9.1 प्रतिशत हुई है.
सर्वे चूंकि अर्बन और रूरल दोनों ही स्थानों पर हुआ है इसलिए नतीजे हैरत में डालने वाले हैं. सर्वे में जो बातें निकल कर सामने आई हैं साफ है कि बैंगलोर में लोग अनचाहे गर्भ के प्रति...
Safe Sex, se Condom, Enjoy But With Necessary Precautions सरकारी योजनाओं, एनजीओ के पोस्टर और पैम्पलेट, सोशल मीडिया के पोस्ट तक नारे तमाम हैं जो हमें सुरक्षित सेक्स के लिए प्रेरित करते हैं. मगर क्योंकि नारों और हकीकत में जमीन और आसमान जितना अंतर है इसलिए कम ही लोग हैं जो उन बातों को अमली जामा पहनाते हैं जो इन नारों में लिखी होती हैं. इसके अलावा हाल फिलहाल में हिंदुस्तान के मद्देनजर कई ऐसे सर्वे भी आ चुके हैं जिनमें इस बात को स्वीकार किया गया है कि जब बात सेक्स की आती है तो किसी अन्य देश के मुकाबले हम भारतीय प्रायः कंडोम से दूरी बनाना ज्यादा पसंद करते हैं. एक तरफ सेक्स को खुल कर एन्जॉय करने की बात है दूसरी ओर देश की आबादी है जो दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जा रही है. तमाम रिपोर्ट्स ऐसी हैं जिनमें कहा जा रहा है कि वो दिन दूर नहीं जब हम आबादी के लिहाज से चीन तक को पीछे छोड़ देंगे. ऐसा नहीं है कि सेक्स के चलते लोग एकदम से बेपरवाह हैं और उन्हें देश की चिंता नहीं है. कंडोम के इस्तेमाल को लेकर जो ताज़ी जानकारी आई है वो चौंकाकर रख देने वाली है. कंडोम के इस्तेमाल को लेकर कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर के लोग किसी और शहर के मुकाबले कहीं ज्यादा सजग हैं. बताते चलें कि बैंगलोर में पिछले 5 सालों में कंडोम इस्तेमाल करने की दर 2.5 गुना बढ़ी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)-5 की मानें तो बैंगलोर में NFHS-4 (2015-16) में लोगों में कंडोम इस्तेमाल करने की दर 3.6 प्रतिशत थी जो अब 5 सालों बाद 9.1 प्रतिशत हुई है.
सर्वे चूंकि अर्बन और रूरल दोनों ही स्थानों पर हुआ है इसलिए नतीजे हैरत में डालने वाले हैं. सर्वे में जो बातें निकल कर सामने आई हैं साफ है कि बैंगलोर में लोग अनचाहे गर्भ के प्रति सजग हुए हैं. NFHS 5 में ये दर शहरी क्षेत्रों में जहां 6 प्रतिशत है जो कि NFHS 4 में 2.9 प्रतिशत थी तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रीच बढ़ी है और ये दर 1.3 के मुकाबले 4.1 हुई है.
चूंकि बैंगलोर में लोग कंडोम के इस्तेमाल के प्रति गंभीर हुए हैं इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स भी इस मामले के मद्देनजर भिन्न भिन्न राय रखते हैं. कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स ऐसे हैं जो ये मानते हैं कि ऐसा विज्ञापन के जरिये हुआ जिन्होंने शहर के लोगों को जागरूक किया वहीं एक वर्ग वो भी है जिसने इसकी वजह आबादी को माना है. शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के कंडोम कम इस्तेमाल करने पर भी हेल्थ एक्सपर्ट्स के अपने तर्क हैं. माना जा रहा है कि शर्म और लोक लाज इसकी एक बड़ी वजह है. हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर एकमत हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी लोगों को और जागरूक किया जाना चाहिए.
बात गर्भनिरोधक की चली है तो एक दिलचस्प बात बताना भी हमारे लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है. बैंगलोर में गर्भनिरोधक के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं लीड लेती हुई नजर आ रही हैं. उदाहरण के तौर पर NFHS 5 में 55.2 महिलाओं ने अपनी मर्जी से अपनी नसबंदी कराई है. NFHS 4 में ये प्रतिशत कम था तब 38.7 प्रतिशत महिलाओं ने ही नसबंदी को अपनाया था.आंकड़ों की मानें तो पुरुष नसबंदी हैरत में डालती है. पुरुषों ने प्रायः इससे दूरी ही बनाई. जो कहीं न कहीं जेंडर बायस को प्रदर्शित करता नजर आता है. बताते चलें कि पूर्व में कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें पुरुषों ने महिलाओं से जबरन नसबंदी कराई.
स्त्री और पुरुषों के बीच ये विरोधाभास जो दिखा है उसपर भी हेल्थ एक्सपर्ट्स की अपनी राय है. उनका मानना है कि आज भी पुरुष यही मानते हैं कि नसबन्दी के मामलों में पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं ही लीड लें.
बहरहाल बात कंडोम के इस्तेमाल से शुरू हुई है. तो जिस तरह NFHS 5 में पुरुषों की संख्या में वृद्धि हुई है, वो इसलिए भी अच्छी खबर है. क्योंकि देश में आबादी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. और आज नहीं तो कल जब हमें सजग होना है तो फिर देरी किस बात की. जो काम कल हर सूरत में करना है यदी वो आज हो रहा है और लोग भी अगर उसमें इंटरेस्ट ले रहे हैं तो फिर इसमें कोई बुराई नहीं है.
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