भारती सिंह (Bharti Singh) एक प्यारे से बेटे की मां बन गई हैं. सभी लोगों की तरह हमें भी इस बात की बेदह खुशी है. मां बनने के बाद भारती सिंह की इंस्टाग्राम पोस्ट बताती है कि वे कितनी खुश हैं...सुनने में आया है कि बेटे को जन्म देने के एक दिन पहले तक भारती काम करती रहीं. माने उन्होंने ऐसी हालात में भी आराम नहीं किया.
कई लोग इस बात के लिए भारती को रॉकस्टार बता रहे हैं, लेकिन किसी सामान्य महिला के लिए यह प्रेरणास्रोत कहानी कैसे हो सकती है? उसे तो गर्भवस्था में एक सामान्य एहसास चाहिए. ताकि जब उसे दर्द हो तो वो बता सके. वह यह अधिकार चाहती है कि, वह अगर काम करने लायक नहीं है, तो न करे.
हमारे आस-पास के घरों में गर्भवती महिलाएं तकलीफ में भी घर के काम करती रहती हैं. क्या इन दिनों में उन्हें कामों से मुक्त रहने का हक नहीं?
अब कई लोगों को हैरानी हो रही है, कि आखिरी दिनों तक भारती ने काम कैसे कर लिया और क्यों किया? क्या ऐसा करना मां और बच्चे की सेहत के साथ रिस्क नहीं था? खुदा न करें, लेकिन इस चक्कर में अगर कोई अनहोनी हो जाती तो?
असल में पिछले कुछ सालों में गर्भवती अभिनेत्रियों ने होने वाली मां की परिभाषा ही बदल दी है. अब अभिनेत्रियों के लिए तो पूरी टीम तैयार रहती है, लेकिन आम महिलाओं क्या? हर वक्त किसी महिला को सुपर वुमेन बनने की ऐसी क्या जरूरत है?
कई बार ऐसा देखने में आता है कि महिला पुलिस 10 दिन के बच्चे को लेकर धूप में खड़ी होकर ड्यूटी कर रही है, लोग इस खबर पर खूब वाहवाही करते हैं. खबर को खूब शेयर करते हैं. लोग मां की बहादुरी को सलाम करते हैं और उसके सीनियर अधिकारी को गाली देते हैं, जबकि उनकी गलती भी नहीं...
भारती सिंह (Bharti Singh) एक प्यारे से बेटे की मां बन गई हैं. सभी लोगों की तरह हमें भी इस बात की बेदह खुशी है. मां बनने के बाद भारती सिंह की इंस्टाग्राम पोस्ट बताती है कि वे कितनी खुश हैं...सुनने में आया है कि बेटे को जन्म देने के एक दिन पहले तक भारती काम करती रहीं. माने उन्होंने ऐसी हालात में भी आराम नहीं किया.
कई लोग इस बात के लिए भारती को रॉकस्टार बता रहे हैं, लेकिन किसी सामान्य महिला के लिए यह प्रेरणास्रोत कहानी कैसे हो सकती है? उसे तो गर्भवस्था में एक सामान्य एहसास चाहिए. ताकि जब उसे दर्द हो तो वो बता सके. वह यह अधिकार चाहती है कि, वह अगर काम करने लायक नहीं है, तो न करे.
हमारे आस-पास के घरों में गर्भवती महिलाएं तकलीफ में भी घर के काम करती रहती हैं. क्या इन दिनों में उन्हें कामों से मुक्त रहने का हक नहीं?
अब कई लोगों को हैरानी हो रही है, कि आखिरी दिनों तक भारती ने काम कैसे कर लिया और क्यों किया? क्या ऐसा करना मां और बच्चे की सेहत के साथ रिस्क नहीं था? खुदा न करें, लेकिन इस चक्कर में अगर कोई अनहोनी हो जाती तो?
असल में पिछले कुछ सालों में गर्भवती अभिनेत्रियों ने होने वाली मां की परिभाषा ही बदल दी है. अब अभिनेत्रियों के लिए तो पूरी टीम तैयार रहती है, लेकिन आम महिलाओं क्या? हर वक्त किसी महिला को सुपर वुमेन बनने की ऐसी क्या जरूरत है?
कई बार ऐसा देखने में आता है कि महिला पुलिस 10 दिन के बच्चे को लेकर धूप में खड़ी होकर ड्यूटी कर रही है, लोग इस खबर पर खूब वाहवाही करते हैं. खबर को खूब शेयर करते हैं. लोग मां की बहादुरी को सलाम करते हैं और उसके सीनियर अधिकारी को गाली देते हैं, जबकि उनकी गलती भी नहीं होती.
हमें लगता है कि किसी को भी हर वक्त सुपर कॉप बनने की जररूत नहीं है. आप कमजोर हैं तो हैं, इस बात को मानने से आपकी इज्जत कम नहीं हो जाएगी. एक-एक पोस्ट पर कई लाख लाइक होते हैं लेकिन मातृत्व अवकाश बनाए किस लिए हैं? अब उस बच्चे के बारे में सोचिए जिसने अभी-अभी दुनिया में कदम रखा है, उसे किस हद तक टॉर्चर झेलना पड़ता है?
देखने में आ रहा है कि कई अभिनेत्रियां गर्भअवस्था के आखिरी दिनों तक काम करती रहती हैं. फोटोशूट, फिल्म की शूटिंग सब में व्यस्त रहती हैं. भारती सिंह भी अपने प्रेगनेंसी के समय से ही काम में व्यस्त रही हैं. भारती ने बताया था कि, मेरी मां चाहती हैं कि इन दिनों मैं काम न करूं, लेकिन मैंने मां को समझा दिया. वे इन दिनों डरी हुई हैं. कुछ समय पहले ऐसी खबर भी आई थी कि शूटिंग के वक्त भारती गिरने से बचीं. पति हर्ष लिम्बाचिया ने उस वक्त इन्हें संभाल लिया.
कई अभिनेत्रियों ने मातृत्व अवकाश की जरूरत को ही खत्म कर दिया है. इसके बाद यह चलन का हिस्सा होता जा रहा है कि, हम महिलाएं मजबूत हैं तो हमें आराम की जरूरत ही नहीं है. कौन समझाए बहन की आराम न करना मजबूत महिला की पहचान नहीं है. ठीक ऐसे ही प्रेगनेंसी में खुद को वक्त देना, काम ले ब्रेक लेना कमजोर महिला की निशानी नहीं है.
इससे अधिक तो ये लोग मालदीव की छुट्टियों पर चली जाती हैं, लेकिन मां बनने पर इन्हें छुट्टी नहीं लेनी होती है. इनके चक्कर में परेशानी उन महिलाओं को होती है, जो इस हालात में आराम करना चाहती हैं. आराम करने के यह मतलब नहीं है कि वे बिस्तर ही पकड़ लें, लेकिन उनकी हालत ऐसी नहीं होती कि वे काम कर सकें.
आम महिलाओं को घरवाले इन अभिनेत्रियों के नाम पर ताने भी मार देते हैं, कि फलाने एक्ट्रेस भी तो दो बच्चों की मां है, वह तो कितनी मजबूत है, बेबी बर्थ से पहले तक काम ही करती रही. घरवाले यह नहीं सोचते कि करीना और उनके घर की महिला में कितना अंतर है.
अभिनेत्रियों को तो देखकर लगता है कि मां बनना कितना आसान है, क्योंकि उनके पास इनती सुविधा है. वहीं सामान्य घरेलू और कामकाजी महिला के लिए यह सब इतना आसान नहीं होता. उनके ऊपर हर पल एक अलग तरह का दबाव रहता है. अभिनेत्रियों के ऊपर मां बनने का दबाव नहीं होता. आम घरों में तो शादी के बाद से ही बच्चा कब होगा का राग अलापा जाने लगता है. अभिनेत्रियों का पता भी नहीं चलता कि वे कब प्रेगनेंट हुईं और कब मां बन गईं, वहीं आम महिलाओं के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं हैं...
जो लोग भारती सिंह को इसलिए बधाई दे रहे हैं कि, वे एक दिन पहले तक काम करती रहीं, वे दिल पर हाथ रख कर बताए कि क्या यह खतरा मोलने वाली बात नहीं है? भले ही भारती सिंह के पास टीम थी लेकिन अगर कोई जरा सी भी दिक्कत हो जाती तो? ऐसे भी नहीं है कि उनके पास पैसे की कमी है जो ऐसा करना उनकी मजबूरी है. ऊपर से जो महिलाओं सुपर मॉम बन रही हैं, वे बाकी महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती है? कड़वी बात है मगर सच है कि, एक आम महिला और सेलिब्रेटी की जिंदगी में काफी फर्क होता है. इसलिए उनके मां बनने पर भी हालात दूसरे होते हैं...
कई अभिनेत्रियों को मातृत्व अवकाश लेने से एलर्जी है, लेकिन इससे अधिक छुट्टियां तो ये हॉलीडे वेकेशन पर बिताती हैं. हमारे आस-पास गर्भवती महिलाएं तकलीफ में भी घर के काम करती रहती हैं. क्या इन्हें दर्द में आराम करने का हक नहीं, इन अभिनेत्रियों को देखकर तो यही संदेश मिलता है कि आराम हराम है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.