जब तेलंगाना का कोई बेटा शहीद होता है भारत की सुरक्षा करते हुए, तो तेलंगाना सरकार उसे करोड़ रुपए की ज़मीन और उसकी वाइफ़ को क्लास वन ऑफ़िसर की जॉब ऑफ़र करती है. सरकार मेक-श्योर करती है कि शहीद के परिवार को किसी तरह की कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े. क्या यही चीज़ हम बिहार सरकार के बारे में बोल सकते हैं? आप में से कितने लोगों को कैप्टन आशुतोष के शहीद होने की ख़बर के बारे में पता है? कैप्टन आशुतोष कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए. वो सिर्फ़ 24 के थे, दो साल पहले ही उन्होंने कमीशन लिया था.
क्या आप जानते हैं कि एक ग़रीब घर का बेटा जब ऑफ़िसर बनता है तो उसके घर में कितनी ख़ुशी होती है. उसके घर वालों को लगता है कि अब उनका घर रौशन होगा लेकिन आशुतोष के घर वालों से ये रौशनी छिन गयी है. उनका घर इस दीवाली अंधेरों से भर गया लेकिन क्या आपने सुना है बिहार सरकार की तरफ़ से इसके लिए कोई घोषणा हुई? कहीं ज़िक्र दिख रहा है आपको शहीद आशुतोष का.
पता नहीं क्यों मेरा दिल डूब रहा है शायद इसकी एक वजह ये हो कि मैं आर्मी ब्लड-लाइन से आती हूं या फिर मेरा भाई सैनिक स्कूल से पढ़ा है, जिसकी एक ब्रांच से आशुतोष ने भी पढ़ाई की थी. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने अपना भाई खो दिया है. मुझे आशुतोष की ये मुस्कान न जाने कब तक हर्ट करती रहेगी, लेकिन बिहार सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
सॉरी, कैप्टन आशुतोष, आप एक ऐसे राज्य में जन्में जिसका ख़ुद का नसीब फूटा है, तो वो आपके लिए क्या ही सोचेगा. वैसे क़ायदे से तो ये कहने या शहीदों के परिवार को ख़ुद से किसी मांग की ज़रूरत भी नही पड़नी चाहिए थी. होना तो ये चाहिए था कि जैसे ही कोई सैनिक देश...
जब तेलंगाना का कोई बेटा शहीद होता है भारत की सुरक्षा करते हुए, तो तेलंगाना सरकार उसे करोड़ रुपए की ज़मीन और उसकी वाइफ़ को क्लास वन ऑफ़िसर की जॉब ऑफ़र करती है. सरकार मेक-श्योर करती है कि शहीद के परिवार को किसी तरह की कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े. क्या यही चीज़ हम बिहार सरकार के बारे में बोल सकते हैं? आप में से कितने लोगों को कैप्टन आशुतोष के शहीद होने की ख़बर के बारे में पता है? कैप्टन आशुतोष कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए. वो सिर्फ़ 24 के थे, दो साल पहले ही उन्होंने कमीशन लिया था.
क्या आप जानते हैं कि एक ग़रीब घर का बेटा जब ऑफ़िसर बनता है तो उसके घर में कितनी ख़ुशी होती है. उसके घर वालों को लगता है कि अब उनका घर रौशन होगा लेकिन आशुतोष के घर वालों से ये रौशनी छिन गयी है. उनका घर इस दीवाली अंधेरों से भर गया लेकिन क्या आपने सुना है बिहार सरकार की तरफ़ से इसके लिए कोई घोषणा हुई? कहीं ज़िक्र दिख रहा है आपको शहीद आशुतोष का.
पता नहीं क्यों मेरा दिल डूब रहा है शायद इसकी एक वजह ये हो कि मैं आर्मी ब्लड-लाइन से आती हूं या फिर मेरा भाई सैनिक स्कूल से पढ़ा है, जिसकी एक ब्रांच से आशुतोष ने भी पढ़ाई की थी. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने अपना भाई खो दिया है. मुझे आशुतोष की ये मुस्कान न जाने कब तक हर्ट करती रहेगी, लेकिन बिहार सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
सॉरी, कैप्टन आशुतोष, आप एक ऐसे राज्य में जन्में जिसका ख़ुद का नसीब फूटा है, तो वो आपके लिए क्या ही सोचेगा. वैसे क़ायदे से तो ये कहने या शहीदों के परिवार को ख़ुद से किसी मांग की ज़रूरत भी नही पड़नी चाहिए थी. होना तो ये चाहिए था कि जैसे ही कोई सैनिक देश की सीमा पर ड्यूटी के लिए जाए तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की तरफ़ से कानून बनाकर ये सुनिश्चित किया जाए कि अगर सैनिक शहीद हो जाए तो उसके परिवार की हर तरह से मदद मिले न कि वो दर-दर भटकें.
हम अपने सैनिकों को सिर्फ़ इज़्ज़त देने की बात करते हैं. लेकिन हम अमेरिका जैसे देशों से ये नहीं सीखते कि अगर आप कहीं भी अपने देश के सैनिकों को देखे तो रुक कर उनसे हाथ मिलायें और उनका शुक्रिया अदा करे कि आप की वजह से आज हम सुरक्षित हैं. उन्हें ये एहसास करवाएं कि हमारे लिए वो हीरो हैं. बात सीधी है क्या सरकार और क्या देश की जनता किसी को अपने अलावा किसी और की कोई चिंता नहीं है. ये देश ही एहसानफ़रामोशों का देश है कैप्टन आशुतोष. आपको विदा.
ये भी पढ़ें -
10 बातें जिन्होंने बिहार चुनाव नतीजों को कलरफुल बना दिया है
Bihar Election Result 2020: BJP की खुशी आखिर मायूसी पर ही खत्म हुई
बिहार चुनावों के एग्जिट पोल से ज्यादा ज़रूरी है वादों की लिस्ट जानना
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.