बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano Gang Rape Case) में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को गोधरा जेल से रिहा कर दिया गया है. वाह, सुना आपने गुजरात सरकार ने क्या तो फैसला लिया है? सरकार के इस फैसले पर ताली बजाने का मन कर रहा है ना? वाकई, गुजरात सरकार (Gujrat Government) कितनी दयालु है जो बलात्कारियों के बारे में सोचती है, भले ही पीड़िता बिलकिस बानो आज कहीं कोने में सिसक रही होगी. उसे अपने पैरों के वो छाले याद आ रहे होंगे, वह घिसी हुई चप्पल भी आज याद आई होगी. जिसे पहनकर वह इंसाफ मांगने के लिए दर बदर भटक रही थी.
बिलकिस बानो को खून के आंसू रूलाने वाले इन बलात्कारियों को मिठाई खिलाकर उनका जेल के बाहर स्वागत किया जा रहा है. उनके पैर छूकर परिवार का एक सदस्य आशीर्वाद ले रहा है. फूल माला पहनाकर इनका ऐसे स्वागत हो रहा है, जैसे ये देश के वीर सपूत हैं और कोई जंग जीतर आए हैं. अरे, इन दरिंदों ने तीन साल की बच्ची की भी हत्या कर दी थी. मगर इन्हें देखकर लग ही नहीं रहा है कि ये जेल से छूटकर आए हैं. इन्हें जरा भी शर्म नहीं है. जेल की रोटी लग रहा है बड़े सुकून से खाई है, तभी तो तोंद निकल आई है. इनके चेहरे पर पछतावे की कोई निशानी भी नहीं दिख रही है. ये तो ऐसे गर्व से सीना चौड़ा करके खड़ें हैं जैसे इन्होंने कुछ किया ही नहीं है.
सरकार यह कैसे भूल गई कि बिलकिस बानो के साथ जब एक-एक करके गैंगरेप किया गया तब वह 5 महीने की गर्भवती थी. सरकार कैसे भूल गई कि बिलकिस बानो की आंखों के सामने ही उसके परिवार के 7 लोगों की बड़ी ही बेरहमी के साथ हत्या कर दी गई. सरकार कैसे भूल गई कि गैंगरेप के बाद बिलकिस बानो 3 घंटे तक बेहोश थीं. बिलकिस के इस दर्द की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती. सराकर कैसे भूल गई कि जब बिलकिस को होश आया था तो उसके शरीर पर कपड़े तक नहीं थे.
वह उठ नहीं पा रही थी लेकिन उसे पता था कि वहां रही तो वह भी मारी जाएगी, इसलिए वह हिम्मत करके नग्न अवस्था में ही चल पड़ी. रेप के...
बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano Gang Rape Case) में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को गोधरा जेल से रिहा कर दिया गया है. वाह, सुना आपने गुजरात सरकार ने क्या तो फैसला लिया है? सरकार के इस फैसले पर ताली बजाने का मन कर रहा है ना? वाकई, गुजरात सरकार (Gujrat Government) कितनी दयालु है जो बलात्कारियों के बारे में सोचती है, भले ही पीड़िता बिलकिस बानो आज कहीं कोने में सिसक रही होगी. उसे अपने पैरों के वो छाले याद आ रहे होंगे, वह घिसी हुई चप्पल भी आज याद आई होगी. जिसे पहनकर वह इंसाफ मांगने के लिए दर बदर भटक रही थी.
बिलकिस बानो को खून के आंसू रूलाने वाले इन बलात्कारियों को मिठाई खिलाकर उनका जेल के बाहर स्वागत किया जा रहा है. उनके पैर छूकर परिवार का एक सदस्य आशीर्वाद ले रहा है. फूल माला पहनाकर इनका ऐसे स्वागत हो रहा है, जैसे ये देश के वीर सपूत हैं और कोई जंग जीतर आए हैं. अरे, इन दरिंदों ने तीन साल की बच्ची की भी हत्या कर दी थी. मगर इन्हें देखकर लग ही नहीं रहा है कि ये जेल से छूटकर आए हैं. इन्हें जरा भी शर्म नहीं है. जेल की रोटी लग रहा है बड़े सुकून से खाई है, तभी तो तोंद निकल आई है. इनके चेहरे पर पछतावे की कोई निशानी भी नहीं दिख रही है. ये तो ऐसे गर्व से सीना चौड़ा करके खड़ें हैं जैसे इन्होंने कुछ किया ही नहीं है.
सरकार यह कैसे भूल गई कि बिलकिस बानो के साथ जब एक-एक करके गैंगरेप किया गया तब वह 5 महीने की गर्भवती थी. सरकार कैसे भूल गई कि बिलकिस बानो की आंखों के सामने ही उसके परिवार के 7 लोगों की बड़ी ही बेरहमी के साथ हत्या कर दी गई. सरकार कैसे भूल गई कि गैंगरेप के बाद बिलकिस बानो 3 घंटे तक बेहोश थीं. बिलकिस के इस दर्द की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती. सराकर कैसे भूल गई कि जब बिलकिस को होश आया था तो उसके शरीर पर कपड़े तक नहीं थे.
वह उठ नहीं पा रही थी लेकिन उसे पता था कि वहां रही तो वह भी मारी जाएगी, इसलिए वह हिम्मत करके नग्न अवस्था में ही चल पड़ी. रेप के दोषियों ने उसके तन के साथ मन पर भी घाव दिए. लोग कहते हैं कि समय के साथ हर जख्म भर जाता है लेकिन सरकार कैसे भूल गई कि मन के ऐसे घाव समय के साथ नासूर बन जाते हैं.
गुजरात गोधरा कांड के बाद, 3 मार्च 2002 को 21 साल की बिलकिस बानो की हंसती-खेलती दुनिया उजड़ गई थी. उसके घर पर गुस्साई भीड़ ने हमला बोल दिया और कुछ ही देर में सब तबाह हो गया. मगर बिलकिस बानो ने उम्मीद नहीं छोड़ी और इंसाफ के लिए वह अकेले ही निकल पड़ी. बिलकिस को जान से मारने की धमिकियां मिलती रही, जिस कारण उसने दो सालों में 20 बार अपना घर बदला...आखिरकार 6 सालों बाद 2008 में मुंबई की सीबीआई अदालत ने सामूहिक बलात्कार और 7 लोगों की हत्या के 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
इस सजा को साल 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. हालांकि अब गुजरात सरकार ने छूट नीति के तहत गैंगरेप और हत्या के दोषियों को छोड़ दिया है. इस तरह ये दोषी जेल में 15 साल की सजा काटने के बाद की रिहा हो गए.
गुजरात सरकार ने अपराधी किस्म के लोगों को हौंसला दे दिया
कोई भी सरकार रेपिस्ट को माफ कैसे कर सकती है? इस फैसले से बलात्कारियों के हौसले बुलंद हो सकते हैं. वैसे भी रेप के आरोपी बड़ी ही आसानी से बेल पर छूट जाते हैं. वे बड़े ही शान से पीड़िता के घर के बाहर घूम सकते हैं. वे पीड़िता के पिता पर हंस सकते हैं. अब ऐसे रेप के दोषियों को सरकार ने माफी की उम्मीद दे दी है. रेप करो, जेल जाओ और माफी मांगकर कुछ सालों में छूट जाओ. फिर बाहर आकर किसी दूसरी लड़की की जिंदगी तबाह कर दो.
अरे, इन रेपिस्ट ने गुनाह किया है, अनजाने में कोई छोटी गलती नहीं जो ये सॉरी कह दें तो इन्हें माफ कर दिया जाए. गुजरात सरकार ने तो पीड़िताओं को घर में दुबकने के लिए मजबूर कर दिया है. एक तो ऐसे ही रेप की पीड़िताओं पर 10 तरह का सामाजिक दबाव रहता है. बड़ी हिम्मत करके वे अपने लिए आवाज उठाती हैं. गलती आरोपी करता है और बदनामी पीड़िता की होती है. कई मामलों में तो रेपिस्ट से पीड़िता की शादी करा दी जाती है. इन दोषियों से कर अपराध करने वाले अभी जेल में सालों से सजा काट रहे हैं, तो इन्हें माफी देकर क्यों छोड़ दिया गया.
हमारी समझ में यह नहीं आता कि बलात्कारियों को लेकर कोई भी सरकार इतनी दयालु कैसे हो सकती है. कोई गला फाड़कर कहता है कि लड़कों से जवानी में इस तरह की गलती हो जाती है. कई बार तो पीड़िता पर ही सवाल दागे जाते हैं, कि इसने छोटे कपड़ें क्यों पहने थे. इतनी रात को सड़क पर क्या कर रही थी? बिलकिस बानो तो पूरे कपड़ों में अपने घर में थी.
आखिर, दंगों की आड़ में गैंगरेप करने वालों को माफ क्यों किया गया? वो भी आज़ादी की 76वीं वर्षगांठ पर...ऐसे तो लोग रेप करते रहेंगे और छूटते रहेंगे. इस तरह का फैसला जब सरकार लेती है तो पीड़ित की उम्मीदे टूटती हैं और आपराधियों के हौंसले बुलंद होते हैं. जिन्हें फांसी मिलनी चाहिए उन्हें माफ किया जा रहा है. आखिर गुजरात सरकार की कमेटी ने क्या सोचकर रेप के दोषियों को जेल से आजाद कर दिया. अब आप ही बताइए, इससे समाज में क्या संदेश जाएगा...
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