हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं...
किसने सोचा होगा कि गांव की रहने वाली एक साधारण सी महिला एक दिन देश के लिए गोल्ड मेडल जीतेगी? हम बात कर रहे हैं प्रिया सिंह मेघवाल की, जिन्होंने थाईलैंड में हुई वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है.
हमारे लिए हर वह लड़की प्रिया सिंह है जो रुढ़िवादी सोच को तोड़कर आगे निकल जाती है. चाहे वह अपने घर में हो या किसी क्षेत्र में. प्रिया सिंह बनने के लिए बॉडी बिल्डर बनना जरूरी नहीं है, बल्कि सही और गलत की पहचान करना है. जो सही है उसका साथ देना है. अपने लिए वह फैसला लेना है जो सही है, ना कि जमाने की पुरानी सोच के नीचे दबना है.
अगर आपको पढ़ाई करने से कोई रोकता है तो भी नहीं रूकना है. अगर कोई आपको सपनों के बीच में आता है तो भी पीछे नहीं हटना है. कुछ मिलाकर लड़कियों को अपने अधिकार की लड़ाई खुद लड़नी है. जो आपको लड़की होने पर कम समझता है उसे अपने काम से जवाब देना है. जो आपको कमजोर समझता है उसे अपने होने के एहसास कराना है. जो भी बेड़िया, बंधन है उन्हें तोड़कर अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है. जिन कामों को मान लिया है कि लड़कियां नहीं कर सकती, उसे पूरा करके दिखाना है. आप बिजनेस कर सकती हैं. आप नौकरी कर सकती हैं. आप गाड़ी चला सकती हैं. आप वो सब कर सकती हैं जो करना चाहती हैं, क्योंकि आप किसी प्रिया सिंह से कम नहीं हो. इस संघर्ष का अमीरी-गरीबी से लेना देना नहीं है.
जब प्रिया सिंह ने जिम में नौकरी करने के लिए घर से बाहर कदम रखा होगा तभी उन्हें टोका गया होगा. अरे लड़की होकर बॉडी बिल्डिंग करेगी, मगर...
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं...
किसने सोचा होगा कि गांव की रहने वाली एक साधारण सी महिला एक दिन देश के लिए गोल्ड मेडल जीतेगी? हम बात कर रहे हैं प्रिया सिंह मेघवाल की, जिन्होंने थाईलैंड में हुई वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है.
हमारे लिए हर वह लड़की प्रिया सिंह है जो रुढ़िवादी सोच को तोड़कर आगे निकल जाती है. चाहे वह अपने घर में हो या किसी क्षेत्र में. प्रिया सिंह बनने के लिए बॉडी बिल्डर बनना जरूरी नहीं है, बल्कि सही और गलत की पहचान करना है. जो सही है उसका साथ देना है. अपने लिए वह फैसला लेना है जो सही है, ना कि जमाने की पुरानी सोच के नीचे दबना है.
अगर आपको पढ़ाई करने से कोई रोकता है तो भी नहीं रूकना है. अगर कोई आपको सपनों के बीच में आता है तो भी पीछे नहीं हटना है. कुछ मिलाकर लड़कियों को अपने अधिकार की लड़ाई खुद लड़नी है. जो आपको लड़की होने पर कम समझता है उसे अपने काम से जवाब देना है. जो आपको कमजोर समझता है उसे अपने होने के एहसास कराना है. जो भी बेड़िया, बंधन है उन्हें तोड़कर अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है. जिन कामों को मान लिया है कि लड़कियां नहीं कर सकती, उसे पूरा करके दिखाना है. आप बिजनेस कर सकती हैं. आप नौकरी कर सकती हैं. आप गाड़ी चला सकती हैं. आप वो सब कर सकती हैं जो करना चाहती हैं, क्योंकि आप किसी प्रिया सिंह से कम नहीं हो. इस संघर्ष का अमीरी-गरीबी से लेना देना नहीं है.
जब प्रिया सिंह ने जिम में नौकरी करने के लिए घर से बाहर कदम रखा होगा तभी उन्हें टोका गया होगा. अरे लड़की होकर बॉडी बिल्डिंग करेगी, मगर प्रिया नहीं रूकीं. जब बॉडी बिल्डिंग में उन्होंने बिकनी पहनी होगी तब उन्हें ताने मारे गए होंगे मगर उन्होंने समाज की परवाह किए बगैर वही किया जो सही था. वे जानती थीं कि वे कुछ गलत नहीं कर रही हैं. वे तो घर के खर्च चलाने के लिए जिम में काम करने गई थीं...मगर अपनी मेहनत के बदौलत आज यहां तक पहुंची हैं और उनकी आगे की तैयारी जारी है. प्रिया इस बात का सबूत हैं कि जो लोग मेहनत करते हैं उन्हें मंजिल जरूर मिलती है.
हालांकि प्रिया सिंह इस बात से निराश हैं कि भारत लौटने पर सरकार की तरफ से उनका स्वागत नहीं किया गया. उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. कई लोग कह रहे हैं कि सरकार ने प्रिया की उपलब्धि को नजरअंदाज किया गया. हम कहेंगे कि यह प्रिया सिंह की मेहनत का ही नतीजा है कि हर तरफ उनकी इतनी चर्चा हो रही है. सारे वेबसाइट उनके बारे में लिख रहे हैं. ऐसे ही तो होता है. हो सकता है कि प्रिया सिंह ओलंपिक में गोल्ड मेडल ले आएं फिर सरकार भी उन्हें सम्मानित करने के लिए मजबूर हो जाएगी.
मेहनत करो तो ऐसी करो कि लोग लाख कांटे बिछाए चलना मत छोड़ा, फिर देखो दुनिया किस तरह सलाम करती है. लड़कियों हम आपको बॉडी बिल्डर बनने के लिए नहीं कह रहे हैं बल्कि मेहनत के बल पर आप अपने ही क्षेत्र में आगे बढ़ो. समाज के लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह मत करो. उस हर स्टीरियोटाइप को तोड़ दो जो आपको आगे बढ़ने से रोकती हैं. अगर आपने ऐसा कर लिया तो आप अपने आप प्रिया सिंह से कम नहीं हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.