ओके, आप में से शायद ही कोई इस शख़्स को जानता होगा. कोई बड़ी बात है नहीं इसमें. इस देश की आधी आबादी किसानों से लड़ने, भारत बंद और खोलने में व्यस्त है. किसी को फ़र्क़ ही कहां पड़ता है कि इंडियन नेवी का एक MiG-29 पायलट 26 नवम्बर से मिसिंग था, जिसकी शादी अभी इसी साल मई में हुई थी. कल उसकी डेड-बॉडी गोवा के समुद्र तट के नज़दीक मिली है. अफ़सोस किसी को भी फ़र्क़ नहीं पड़ता कि देश की सुरक्षा करते हुए देश का एक नौजवान पायलट शहीद हो गया है.
देश का क्या है? वो तो सुशांत सिंह राजपूत को इंसाफ़ दिलाने के लिए अवार्ड वापिस कराने में उलझा है. वैसे भी आपके लिए वो एक शख़्स था लेकिन जहां से मैं देख रही हूं वहां से वो मुझे एक बूढ़े मां-बाप का इकलौता बेटा और किसी लड़की के लिए one in million था. जिसके साथ उसने अपनी तमाम उम्र बिताने का फ़ैसला इसी साल किया था. उसके लिए वो उसका दोस्त, हमसफ़र, महबूब सब था.
वो एक ऐसा लड़का था जो उसके चेहरे पर मुस्कान आए इसलिए कितने एफ़र्ट लेता था लेकिन अब उस चेहरे पर कभी स्माइल नहीं आएगी क्योंकि वो लड़का अब कभी लौट कर उसके पास नहीं आएगा. अब उसे कोई सर्प्राइज़ भी नहीं मिलेगा क्योंकि जो सर्प्राइज़ देता था वो उसे छोड़ कर सदा के लिए जा चुका है. यहां कमांडर निशांत के लिखे लेटर का एक टुकड़ा as it is लिख रही हूं, जिसमें उन्होंने अपने कमांडिंग ऑफ़िसर से शादी के लिए पर्मिशन मांगी थी नेवी के रिवाज के मुताबिक़.
ओके, आप में से शायद ही कोई इस शख़्स को जानता होगा. कोई बड़ी बात है नहीं इसमें. इस देश की आधी आबादी किसानों से लड़ने, भारत बंद और खोलने में व्यस्त है. किसी को फ़र्क़ ही कहां पड़ता है कि इंडियन नेवी का एक MiG-29 पायलट 26 नवम्बर से मिसिंग था, जिसकी शादी अभी इसी साल मई में हुई थी. कल उसकी डेड-बॉडी गोवा के समुद्र तट के नज़दीक मिली है. अफ़सोस किसी को भी फ़र्क़ नहीं पड़ता कि देश की सुरक्षा करते हुए देश का एक नौजवान पायलट शहीद हो गया है.
देश का क्या है? वो तो सुशांत सिंह राजपूत को इंसाफ़ दिलाने के लिए अवार्ड वापिस कराने में उलझा है. वैसे भी आपके लिए वो एक शख़्स था लेकिन जहां से मैं देख रही हूं वहां से वो मुझे एक बूढ़े मां-बाप का इकलौता बेटा और किसी लड़की के लिए one in million था. जिसके साथ उसने अपनी तमाम उम्र बिताने का फ़ैसला इसी साल किया था. उसके लिए वो उसका दोस्त, हमसफ़र, महबूब सब था.
वो एक ऐसा लड़का था जो उसके चेहरे पर मुस्कान आए इसलिए कितने एफ़र्ट लेता था लेकिन अब उस चेहरे पर कभी स्माइल नहीं आएगी क्योंकि वो लड़का अब कभी लौट कर उसके पास नहीं आएगा. अब उसे कोई सर्प्राइज़ भी नहीं मिलेगा क्योंकि जो सर्प्राइज़ देता था वो उसे छोड़ कर सदा के लिए जा चुका है. यहां कमांडर निशांत के लिखे लेटर का एक टुकड़ा as it is लिख रही हूं, जिसमें उन्होंने अपने कमांडिंग ऑफ़िसर से शादी के लिए पर्मिशन मांगी थी नेवी के रिवाज के मुताबिक़.
आप भी पढ़िए और समझने की कोशिश कीजिए कि क्या गुज़र रही होगी उस लड़की के ऊपर. लेटर का कैप्शन था, Permission to bite the bullet जिसमें लिखा था, I intend to drop a nuclear one on myself and I realise that just like all the split second decisions we take up in the air in the heat of combat, I cannot afford to allow myself the luxury of time to re-evaluate my decision.'
ख़ैर, वादा ताउम्र साथ निभाने करके जो चले जाते हैं उनकी कहानियां अधूरी रह कर भी पूरी हो जाती हैं. कमांडर निशांत आपको विदा नहीं है. आप रहेंगे यादों में.
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