रोजाना की तरह उस दिन भी ऑफिस का रूटीन था. टॉयलेट में एक लड़की अपने टैटू का रोना रो रही थी. अपनी टैटू का 'दुख' वो अपनी दोस्त के साथ-साथ वहां मौजूद जो भी लड़की उसकी कहानी सुनने में रूचि ले रही थी उन सबको सुना रही थी. प्रियंका चोपड़ा की बॉडी आर्ट से प्रेरित होकर उसने भी अपने हाथ पर एक छोटा सा टैटू बनवा लिया था. लेकिन उसके इस बॉडी आर्ट को ना तो घर में ना ही ऑफिस में वो प्रतिक्रिया मिली जिसकी उसे अपेक्षा थी. नतीजा अब वो अपना टैटू लेजर से हटाने पर विचार कर रही है. इसी कारण से टैटू गुदवाने के पहले आपको आगाह किया जाता है और ठीक से सोच लेने के लिए कहा जाता है.
कार्य और टैटू के बीच का कनेक्शन नेचुरल नहीं है. इसके पीछे का कारण ये हो सकता है कि टैटू गुदवाने की शुरुआत सबसे पहले हाशिए पर रहने वाले लोगों ने की थी. बंजारे, अपराधी या सनकी लोग टैटू बनवाया करते थे. एक प्यू रिसर्च सेंटर की स्टडी के अनुसार 76 प्रतिशत लोगों का मानना है कि टैटू बनवाने और पियरसिंग करवाने से जॉब मिलने में दिक्कतें होती हैं. इनका मानना था कि टैटू के कारण जॉब इंटरव्यू के दौरान गलत इम्प्रेशन बनता है जिससे की जॉब मिलने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं. वहीं 39 प्रतिशत लोगों ने माना कि टैटू और पियरसिंग वाले कर्मचारी खराब प्रदर्शन करते हैं.
रोजाना की तरह उस दिन भी ऑफिस का रूटीन था. टॉयलेट में एक लड़की अपने टैटू का रोना रो रही थी. अपनी टैटू का 'दुख' वो अपनी दोस्त के साथ-साथ वहां मौजूद जो भी लड़की उसकी कहानी सुनने में रूचि ले रही थी उन सबको सुना रही थी. प्रियंका चोपड़ा की बॉडी आर्ट से प्रेरित होकर उसने भी अपने हाथ पर एक छोटा सा टैटू बनवा लिया था. लेकिन उसके इस बॉडी आर्ट को ना तो घर में ना ही ऑफिस में वो प्रतिक्रिया मिली जिसकी उसे अपेक्षा थी. नतीजा अब वो अपना टैटू लेजर से हटाने पर विचार कर रही है. इसी कारण से टैटू गुदवाने के पहले आपको आगाह किया जाता है और ठीक से सोच लेने के लिए कहा जाता है.
कार्य और टैटू के बीच का कनेक्शन नेचुरल नहीं है. इसके पीछे का कारण ये हो सकता है कि टैटू गुदवाने की शुरुआत सबसे पहले हाशिए पर रहने वाले लोगों ने की थी. बंजारे, अपराधी या सनकी लोग टैटू बनवाया करते थे. एक प्यू रिसर्च सेंटर की स्टडी के अनुसार 76 प्रतिशत लोगों का मानना है कि टैटू बनवाने और पियरसिंग करवाने से जॉब मिलने में दिक्कतें होती हैं. इनका मानना था कि टैटू के कारण जॉब इंटरव्यू के दौरान गलत इम्प्रेशन बनता है जिससे की जॉब मिलने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं. वहीं 39 प्रतिशत लोगों ने माना कि टैटू और पियरसिंग वाले कर्मचारी खराब प्रदर्शन करते हैं.
कैरियर बिल्डर नाम की संस्था ने एक अध्ययन में पाया गया कि कंपनी के मैनेजर, टैटू को बचकाना, बुरे निर्णय के संकेत के रूप में देखते हैं. सर्वेक्षण में 42 प्रतिशत से अधिक मैनेजरों ने माना कि बॉडी पियरसिंग करवाए हुए व्यक्ति के लिए उनकी राय बदल जाती है.
कॉरपोरेट ग्रूमिंग और सॉफ्ट स्किल की विशेषज्ञ कोंकाणा बख्शी इस बात से सहमत हैं- 'किसी व्यक्ति से मिलने के सात सेकंड के अंदर ही हम उनके बारे में अपनी राय बना लेते हैं. बॉडी पियरसिंग वाले लोगों के लिए हमेशा ही लापरवाह और अविश्वसनीयता की छवि बनाती है.'
अलिखित कोड
विश्व स्तर पर कंपनियों ने अब अपने सारे रुल लिख कर देने शुरु कर दिए हैं. प्रसिद्ध कंपनी स्टारबक्स अपने सभी कर्मचारियों को टैटू को कवर करने और कुछ पियरसिंग को हटाने का आदेश देता है. तो वॉल्ट डिज़नी वर्ल्ड अपने कर्मचारियों को टैटू कवर करने के लिए पट्टियों का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देता, लेकिन वे मेकअप का उपयोग कर सकते हैं. वाल-मार्ट साफ कहता है कि 'जो आक्रामक या अव्यवहारिक टैटू हैं उन्हें कवर किया जाना है.' अगर टैटू छुपे हुए हैं तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर वो साफ दिखता है तो फिर ऑफिस में दिक्कत होती है. गहरे रंग की शर्ट पहनें, पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनें, अपने बालों को खुला छोड़ दें, या अगर ज़रूरत हो, तो इसे छुपाने के लिए मेकअप करें.
आपके प्रोमोशन को क्या चीज हानि पहुंचा सकती है?
आप कैसे दिखते हैं
- उत्तेजक कपड़े: 44%
- बिना आयरन किए कपड़े या ढीला-ढाला बॉडी लैंग्वेज: 43%
- अपरंपरागत पियरसिंग: 32% - बहुत ही कैजुअल कपड़े: 27% - टैटू: 27%
अन्य कारण: बड़े ही कैजुअल ढ़ंग का बाल कटवाना, चेहरे पर बाल, सांस में बदबू, तेज गंध वाली इत्र, बहुत ज्यादा मेकअप
अपने व्यवहार पर ध्यान दें -
- नकारात्मक या निराशावादी दृष्टिकोण: 62%
- रोजाना ऑफिस देर से पहुंचना: 62%
- अशिष्ट भाषा का प्रयोग करना: 51%
- हमेशा काम बीच में ही छोड़ देना: 49%
- बहुत बीमार पड़ना: 49%
अन्य कारण: गप्पें करना, ऑफिस के टाइम में सोशल मीडिया का खुब प्रयोग करना, काम पर निजी कॉल लेना, सिगरेट पीने के लिए ब्रेक पर जाना.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.