राधिका आप्टे और ईशा गुप्ता ने बॉलीवुड का जो काला सच बताया है उस पर ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्त्री के साथ ऐसा सदियों से होता आया है.
असल में राधिका आप्टे ने कहा है कि बॉलीवुड में उन्हें नाक ठीक कराने और ब्रेस्ट की सलाह दी गई थी. इसके बाद उन्हें जबड़ा, गाल, पैर और बोटोक्स करने को कहा गया. मतलब उन्हें पूरी तरह खुद को बदलने के लिए कहा गया. दुनिया भी तो हीरोइनों को इसी रूप में देखना चाहती है.
वहीं ईशा गुप्ता ने भी अब कहा है कि, उन्हें गोरा होने के लिए इंजेक्शन लगाने की सलाह दी गई, कुछ समय तक उन्होंने ऐसा किया भी था. अगर इन दो अभिनेत्रियों की बात सुनकर आपको हैरान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हीरोईन कैसी दिखती है इसका पैमाना सबके दिमाग में है.
कोई बदसूरत लड़की को हीरोइन के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता तो उसे महिला सुंदरता पर ज्ञान देने की जरूरत है भी नहीं. हालांकि जिस अभिनेत्री को बॉलीवुड ने गोरा दिखाया, उसे हॉलीवुड ने उसके रूप में अपनाया...वह नाम है प्रियंका चोपड़ा, क्योंकि हॉलीवुड में सुंदरता का मतलब गोरा होने से नहीं होता. कोई सुंदर है कि नहीं, यह हम नहीं कह सकते, क्योंकि हमारी नजर में हर महिला खूबसबरत है. हर इंसान के अंदर कोई ना कोई गुण है जो उसे औरों से अलग और खूबसरूत बनाता है. कोई इंसान दिल का इतना अच्छा होता है या उसके गुण इतने अच्छे होते हैं कि उसे गले लगाने का मन करता है. कोई कितना भी गोरा, लंबा क्यों न हो उससे बात करने का भी मन नहीं करता. यही खूबियां किसी को खूबसूरत या बदसूरत बनाती हैं, ना कि बाहरी रूप.
स्त्री महज एक शारीरिक बनावट है
स्त्री को सुंदरता के कैदखाने में बंद कर दिया गया, चाहें वह आम लड़की हो या अभिनेत्री...स्त्री महज एक शारीरिक बनावट है. वह बनावट जिसे कभी कवि ने अपनी कल्पना में गढ़ी तो कभी किसी चित्रकार ने अपनी पेंटिंग में. कवि की कल्पना में हमेशा स्त्री की कमर नदी की लहर जैसी है, उसकी आंखें गहरी...
राधिका आप्टे और ईशा गुप्ता ने बॉलीवुड का जो काला सच बताया है उस पर ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्त्री के साथ ऐसा सदियों से होता आया है.
असल में राधिका आप्टे ने कहा है कि बॉलीवुड में उन्हें नाक ठीक कराने और ब्रेस्ट की सलाह दी गई थी. इसके बाद उन्हें जबड़ा, गाल, पैर और बोटोक्स करने को कहा गया. मतलब उन्हें पूरी तरह खुद को बदलने के लिए कहा गया. दुनिया भी तो हीरोइनों को इसी रूप में देखना चाहती है.
वहीं ईशा गुप्ता ने भी अब कहा है कि, उन्हें गोरा होने के लिए इंजेक्शन लगाने की सलाह दी गई, कुछ समय तक उन्होंने ऐसा किया भी था. अगर इन दो अभिनेत्रियों की बात सुनकर आपको हैरान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हीरोईन कैसी दिखती है इसका पैमाना सबके दिमाग में है.
कोई बदसूरत लड़की को हीरोइन के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता तो उसे महिला सुंदरता पर ज्ञान देने की जरूरत है भी नहीं. हालांकि जिस अभिनेत्री को बॉलीवुड ने गोरा दिखाया, उसे हॉलीवुड ने उसके रूप में अपनाया...वह नाम है प्रियंका चोपड़ा, क्योंकि हॉलीवुड में सुंदरता का मतलब गोरा होने से नहीं होता. कोई सुंदर है कि नहीं, यह हम नहीं कह सकते, क्योंकि हमारी नजर में हर महिला खूबसबरत है. हर इंसान के अंदर कोई ना कोई गुण है जो उसे औरों से अलग और खूबसरूत बनाता है. कोई इंसान दिल का इतना अच्छा होता है या उसके गुण इतने अच्छे होते हैं कि उसे गले लगाने का मन करता है. कोई कितना भी गोरा, लंबा क्यों न हो उससे बात करने का भी मन नहीं करता. यही खूबियां किसी को खूबसूरत या बदसूरत बनाती हैं, ना कि बाहरी रूप.
स्त्री महज एक शारीरिक बनावट है
स्त्री को सुंदरता के कैदखाने में बंद कर दिया गया, चाहें वह आम लड़की हो या अभिनेत्री...स्त्री महज एक शारीरिक बनावट है. वह बनावट जिसे कभी कवि ने अपनी कल्पना में गढ़ी तो कभी किसी चित्रकार ने अपनी पेंटिंग में. कवि की कल्पना में हमेशा स्त्री की कमर नदी की लहर जैसी है, उसकी आंखें गहरी नीली संमुद्र जैसी जिसमें हिरणी सी चंचलता रही. उसके बाल काले बादल जैले रहे.
वहीं चित्रकार को एक कलाकार बनने के लिए एक महबूबा होनी जरूरी थी. जो उसकी पेंटिंग की प्रेरणा होती है. चित्रकार की कल्पना में वह हमेशा पहली बारिश के फुहारों जैसी ताजगी से भरी होती है. वह हमेशा सूरज की पहली किरण की तरह जवान रही. उपन्यासों में लेखकों ने प्रेमिका के वर्णन हमेशा सुंदरता से जोड़कर किया.
जिसके वक्ष उभरे हुए हों. जिसके चेहरे का रंग चांद सा सफेद हो. मानों किसी ने सफेद मलाई में एक चुटकी केसर का रंग मिला दिया हो. भारती सिनेमा में हमने कभी किसी काली या सांवली हीरोइन को नहीं देखा. किसी धारावाहिक में भी राक्षसी को काला और अप्सरा को गोरा ही दिखाया गया. इन सभी लोगों ने हमारे दिमाग में बिठाया कि किस तरह की महिला खूबसूरत होती है. किसी खूबसूरत महिला का चेहरा कैसा होता है? उसकी काया किस आकार की होगी कि वह खूबसूरती के तय पैमाने पर फिट बैठेगी.
इन सभी लोगों ने कभी किसी काली, मोटी, बड़ी नाक वाली महिला को खूबसूरत नहीं कहा. सुंदर होने का मतलब है एक ऐसी महिला जो दूध सी सफेद हो, जो पतली हो, जो लंबी हो, जिसके वक्षस्थल सुडौल हों, जिसकी कमर पतली हो, जिसके नैन-नैक्श तीखे हों, जिसके बाल स्टाइलिश हों...अब जब हमारे दिमाग में पहले से ही सुंदरता के मायने फिट हैं तो साधारण लड़की को ये बातें तो चुभेगी ही.
अभिनेत्रियों को वह दिखना है जो वे सच में नहीं हैं
जिस तरह दुल्हन को लेकर हमारे मन में यह विचार है कि उसे शादी वाले दिन कैसा दिखना चाहिए. उसे कैसे गहनें पहनने चाहिए. उसे कैसा तैयार होना चाहिए. कोई कहता है कि अच्छा मेकअप करना फोटो अच्छी आ जाएगी. कोई कहता है कि बहुत लोग रहेंगे सुंदर तो लगनी चाहिए. वहीं फोटोग्राफर की अलग डिमांड रहती है कि डार्क मेकअप करना फोटो तभी अच्छी आएगी. उसे इतना पोता जाता है कि मेकअप के बाद वह एकदम बदल जाती है और कोई और लगने लगती है. कभी बार उसका चेहरा सफेद दिखता और बाकी शरीर काला.
उसे गहनों से लादकर सुंदरता की जंजीर पहना दी जाती है. वैसे दुल्हन के लिए तो यह सिर्फ एक दिन की बात होती है लेकिन अभिनेत्रियों को हर रोज एक दुल्हन की तरह मेकअप किया जाता है. उसके बाल, चेहरे की हर कमी को मेकअप से छिपाया जाता है. उसकी क्लीवेज को दिखाने के लिए पुशअप ब्रा पहनाई जाती है. बट पर पैडेड पैंटी पहनाई जाती है. उसके बालों में हेयर एक्सटेंशन लगाए जाते हैं. चेहरे पर कम से कम 10 लेयर की मेकअप थोपा जाता है. इसके बाद उससे अभिनय करवाया जाता है.
इतना करने के बाद भी जब बात नहीं बनती तो उन्हें सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है. जिससे स्तन बड़े दिख सकें. होठ स्ट्राबेरी जैसे दिखें और नाक पतली हो सके. जॉ लाइन शार्प हो सके. गाल उभर सकें, गालों में नकली डिंपल आ सके. ब्यूटी बोन हाइलाइट हो सके. शरीर के फैट को कम किया जा सके और चेहरे की रंगत को गोरा किया जा सका. वरना गोरे-गोरे मुखड़े पर काला-काला चश्मा कैसे जचेगा, किस पर तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त बजेगा...वैसे महिला कोई चीज नहीं है...
हर लड़की को मानना होगा कि वह अनन्या पांडे नहीं हो सकती
भारत में कितनी लड़कियां हैं जो अनन्या पांडे की तरह दिखती हैं, शायद 80 प्रतिशत भी नहीं. फिर लड़कियां अनन्या की तरह बनने की कोशिश करती रहती हैं. हो सकता है कि, आप अनन्या नहीं आलिया की तरह दिखना चाहती हैं. इसलिए खुद के बॉडी को टॉर्चर कर रही हैं लेकिन इसके चक्कर में खुद को अंदर से खोखला कर रही हैं. भलाई इसी में है कि जैसे हो उसमें खुश रहे.
काजोल का ही उदाहरण ले लीजिए
काजोल जब सांवली थीं तो उन्हें ब्लैक ब्यूटी कहा गया है. लोग उनकी फिल्मों को तो पसंद करते थे लेकिन उन्हें सांवली-सलोनी तक सीमित कर दिया जाता था. उन्हें कभी सुंदरता के पैमाने पर खरा नहीं पाया गया. अब जब वे गोरी हो गईं हैं. उन्होंने अपनी भौहों को शार्प कर लिया है. अब लोग कहते हैं कि काजोल उम्र के साथ खूबसूरत हो गई हैं. अब लोग उन्हें पहले से अधिक पसंद करते हैं.
शिल्पा शेट्टी भी अब लोगों को खूबसरूत लगती हैं-
लोग कहते हैं कि शिल्पा शेट्टी ने अपनी उम्र को रोक रखा है. वह योग करती हैं, दुनिया अब उनकी दीवानी हुई जब वे गोरी हुईं. जब उन्होंने अपने नाक की सर्जरी करवाई. अब लोगों का लगता है कि शिल्पा सुंदर है, यह लोग पहले उन्हें साइड हीरोइन कहते थे.
सांवली हीरोइनो के झोली में ग्लैमरस रोल कम-
सांवली अभिनेत्रियों में शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, नंदिता दास और काजोल का नाम याद आता है. जिसमें से काजोल तो अब गोरी हो चुकी हैं. बाकी पुराने जमाने की हीरोइनो ने अपने आफ को साबित करने के लिए काफी मेहनत ही. फिर भी उन्हें वो ग्लैमरस रोल नहीं मिला जो उस जमाने की बाकी गोरी हीरोइनों को मिला. कई सांवली अभिनेत्रियां आज भी सिर्फ साइड रोल तक की सीमित रह जाती हैं. बड़े बैनर की फिल्मों में तो नौकरानी भी गोरी होती है.
सांवले अभिनेता हैं सुपरहिट-
हालांकि इसके उलट, अभिनेतओं ने खुद को हर रूप में हिट करार दिया. उन्होंने अपने सांवले रंग को हीरो का रंग बनवा दिया. उनके लिए खूबसूरत होने का मतलब है गबरू जवान. हीरो कैसा भी हो लेकिन उसे हीरोइन सुंदर ही चाहिए. अब नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी कितनी भी मेहनत कर लें, वे एक बेहतरीन कलाकार तक ही सीमित हो सकते हैं, वे कभी सुपरस्टार नहीं बन सकते, क्योंकि सुपरस्टार का मतलब सलमान खान ही है. उन्होंने एक बार कहा था कि मैंने 47 सालों तक इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है. मुझे कई रोल इसलिए नहीं मिले, क्योंकि मेरा कद छोटा था. इस फिल्म इंडस्ट्री के हिसाब से नहीं दिखता था. वैसे ही सांवली लड़की को कभी हीरोइन के रूप में नहीं लिया जाता है. वे खुद सांवले हैं इसलिए शायद वे चाहते हों कि उनकी हीरोइन सांवली हो लेकिन बॉलीवुड में ऐसा होना संभव होता नहीं दिखता...
जब टाइम्स ने मिशेल ओबामा को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्टाइलिश महिला चुना-
जब संडे टाइम्स ने साल 2013 में मिशेल ओबामा को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्टाइलिश महिला चुना तो लोगों का रिएक्शन देखने लायक था. हालांकि मिशेल ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ तथा मशहूर मॉडल-गायिका विक्टोरिया बेकहम को पछाड़कर यह खिताब हासिल किया था. लोगों को लगा कि मिशेल सांवली हैं और ना ही सुंदरता के तय पैमाने के हिसाब से फिट बैठती हैं.
हालांकि टाइम्स ने उनकी खूबियों, उनके स्टाइल और बुद्धिमानी को समझा था. इसलिए पहले खूबसूरती के तय पैमाने को अपने दिमाग से निकालिए फिर दूसरों को ब्लेम कीजिए. वरना सुंदरता के नए पैमाने बढ़ते जाएंगे और महिलाएं इस देल में कैद होकर घुटती रहेंगी, मरती रहेंगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.