बीते दिनों तीन तलाक पर फैसला आया था. मुझे लगा कि शायद अब वो दौर आ गया है जब न सिर्फ मुसलमान बल्कि मेरे देश की तमाम माताएं और बहनें सुरक्षित रहेंगी. इस फैसले से पहले, जब मैंने अपने प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं को माइक पर ये बोलते सुना कि, किसी भी देश का विकास तब संभव है जब हम उसकी महिलाओं की इज्जत करें. उस वक्त मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया. मुझे महसूस हुआ कि शायद इंडिया से न्यू इंडिया की तरफ हम तभी बढ़ सकते हैं, जब हम अपनी महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बात करें और उस दिशा में काम करें.
प्रधानमंत्री के अलावा तमाम नेताओं द्वारा माइक पर कही बातों के बाद, जब मैं महिलाओं की वास्तविक स्थिति देखता हूं. तो मिलता है कि जो हमसे कहा जा रहा है और जो इस देश में हो रहा है उसमें एक बड़ा अंतर है. इस देश की महिलाएं गर्त के अंधेरों में पस्ताहाली की ज़िंदगी जी रही हैं और वो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं.
ये एक कड़वी बात है, जिसे समझने के लिए आपको उत्तर प्रदेश का रुख करना होगा. हां वही उत्तर प्रदेश जहां अगस्त में बच्चे मरते हैं. वही उत्तर प्रदेश जहां अगस्त में रेल हादसे होते हैं. हां वही उत्तर प्रदेश जहां अगस्त में मनचलों द्वारा युवती के हाथ काट दिए जाते हैं.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में सरेआम कुछ ऐसा हुआ है जिसको पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे. आपको महसूस होगा कि जिस योगी सरकार को हमने प्रदेश की हिफाजत के लिए चुना था, वो बेलगाम कानून व्यवस्था पर नियंत्रण के बजाए, हाथ पर हाथ धरे बैठी है और अपनी सारी ऊर्जा लाउडस्पीकर, नमाज, कांवड़ यात्रा, गूलर के पेड़ों, गाय, गौशाला, इत्यादि जैसी बेमतलब की चीजों में लगा रही है. वो सरकार जहां अपराधी बेखौफ होकर आए दिन कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे...
बीते दिनों तीन तलाक पर फैसला आया था. मुझे लगा कि शायद अब वो दौर आ गया है जब न सिर्फ मुसलमान बल्कि मेरे देश की तमाम माताएं और बहनें सुरक्षित रहेंगी. इस फैसले से पहले, जब मैंने अपने प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं को माइक पर ये बोलते सुना कि, किसी भी देश का विकास तब संभव है जब हम उसकी महिलाओं की इज्जत करें. उस वक्त मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया. मुझे महसूस हुआ कि शायद इंडिया से न्यू इंडिया की तरफ हम तभी बढ़ सकते हैं, जब हम अपनी महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बात करें और उस दिशा में काम करें.
प्रधानमंत्री के अलावा तमाम नेताओं द्वारा माइक पर कही बातों के बाद, जब मैं महिलाओं की वास्तविक स्थिति देखता हूं. तो मिलता है कि जो हमसे कहा जा रहा है और जो इस देश में हो रहा है उसमें एक बड़ा अंतर है. इस देश की महिलाएं गर्त के अंधेरों में पस्ताहाली की ज़िंदगी जी रही हैं और वो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं.
ये एक कड़वी बात है, जिसे समझने के लिए आपको उत्तर प्रदेश का रुख करना होगा. हां वही उत्तर प्रदेश जहां अगस्त में बच्चे मरते हैं. वही उत्तर प्रदेश जहां अगस्त में रेल हादसे होते हैं. हां वही उत्तर प्रदेश जहां अगस्त में मनचलों द्वारा युवती के हाथ काट दिए जाते हैं.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में सरेआम कुछ ऐसा हुआ है जिसको पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे. आपको महसूस होगा कि जिस योगी सरकार को हमने प्रदेश की हिफाजत के लिए चुना था, वो बेलगाम कानून व्यवस्था पर नियंत्रण के बजाए, हाथ पर हाथ धरे बैठी है और अपनी सारी ऊर्जा लाउडस्पीकर, नमाज, कांवड़ यात्रा, गूलर के पेड़ों, गाय, गौशाला, इत्यादि जैसी बेमतलब की चीजों में लगा रही है. वो सरकार जहां अपराधी बेखौफ होकर आए दिन कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे प्रदेश की सम्पूर्ण कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग रहा है.
हुआ कुछ यूं है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में प्यार में पागल हुए शोहदे ने लोगों की भीड़ के सामने युवती पर एक के बाद एक कई हमले किए और तलवार से उसका हाथ काटकर उसे धड़ से अलग कर दिया. लड़का एक गरीब लड़की के पीछे कई दिनों से पड़ा हुआ था और जब लड़की ने उसकी बात नहीं मानी तो भरे बाजार उसने उसपर तलवार से एक के बाद एक हमले किये. जब इतने से भी दिल नहीं भरा तो उसने युवती के हाथ का पंजा काट के धड़ से अलग कर दिया. बताया जा रहा है कि युवती का कटा हुआ पंजा कई घण्टों सड़क पर पड़ा रहा और कोई भी उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया. ज्यादा खून बहने के चलते युवती की स्थिति गंभीर है और उसे लखीमपुर से लखनऊ रेफेर किया गया है.
इस घटना से दो बातें साफ हैं, पहली ये कि कानून व्यवस्था के मामले में योगी सरकार विफल है और प्रदेश में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्हें अब किसी चीज का खौफ नहीं रह गया है. दूसरा ये कि ये घटना लोगों की भीड़ के सामने हुई है, वही भीड़ जो गौ हितों की बात करती है और कानून को हाथ में लेते हुए लोगों को मार देती है. क्या इस भीड़ को एक लाचार महिला की मदद नहीं करनी चाहिए थी. कहा जा सकता है कि धर्म के नाम पर एकजुट हुए भीड़ अगर मानवता के लिए भी एकजुट होती तो शायद आज इंसानियत यूं शर्मसार न होती.
बहरहाल, ये घटना इस बात की ओर साफ इशारा कर रही है कि हम नारी को सम्मान और सुरक्षा शायद न्यूज वेबसाइटों के कमेंट बॉक्स में ही दे सकते हैं. असल जिंदगी में हम वो अभागे लोग हैं जिनके कर्मों के चलते आज भारत को कहीं न कहीं दुनिया भर के सामने शर्मसार होना पड़ रहा है.
अंत में घायल हुई उस युवती से हम इतना ही कहेंगे कि 'तुम इस देश को माफ करना. इस देश में तुम्हारा कोई स्थान नहीं है. यदि तुम गाय या और कोई अन्य पशु होतीं तो शायद तुमको सुरक्षा मिल जाती मगर तुम एक इंसान हो, वो इंसान जो इंसानों की भीड़ में बिल्कुल अकेला है. वो इंसान जिसे देखकर इंसानियत शर्मिंदा हुई है.
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