हर किसी कि जिंदगी में ऐसे मौके आते हैं, जब उसे अपनी ड्यूटी और परिवार में से किसी एक को चुनना होता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके लिए हमेशा उनकी ड्यूटी पहले आती है और परिवार बाद में. ऐसे लोग अपने काम के लिए कोई भी बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. सेना के जवानों (Indian Army) का हाल तो ऐसा होता ही है, लेकिन ताजा उदाहरण कल यानी 1 फरवरी (1 February) को पेश होने वाले बजट (Budget 2020) से जुड़ा हुआ है. बजट की छपाई में लगे प्रेस के डिप्टी मैनेजर कुलदीप कुमार शर्मा के पिताजी की 26 जनवरी को मौत हो गई, लेकिन उन्होंने तय किया कि वह अपने पिता की मौत पर घर जाने के बजाए बजट की छपाई के काम में ही लगे रहेंगे. उन्होंने अपने निजी नुकसान को पीछे छोड़ते हुए अपनी ड्यूटी को तरजीह दी.
क्यों करना पड़ा इतना बड़ा बलिदान?
बजट की छपाई बेहद गोपनीय प्रक्रिया है. इसमें लगे लोगों को घर तक जाने की इजाजत नहीं होती है. सारे लोग एक तरह से दुनिया से कट जाते हैं और सिर्फ बजट की छपाई का काम करते हैं. ये सब सिर्फ इसलिए किया जाता है ताकि बजट में क्या होने वाला है, ये लीक ना हो. करीब 10 दिनों तक बजट की छपाई के काम के दौरान इसमें लगे किसी भी व्यक्ति को बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है. कुलदीप शर्मा इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि उनकी ड्यूटी कितनी अहम है और अगर वह अपनी ड्यूटी से हटते हैं तो पूरे देश पर इसका असर पड़ सकता है. यही वजह है कि कुलदीप शर्मा ने अपनी ड्यूटी की गोपनीयता को समझते हुए ये फैसला किया कि वह अपने पिता की मौत पर घर नहीं जाएंगे और बजट की गोपनीय प्रक्रिया पर कोई आंच नहीं आने देंगे. इस बात की जानकारी खुद वित्त मंत्रालय ने दी है और अब उनके इस कदम की खूब तारीफ हो रही है.
हर किसी कि जिंदगी में ऐसे मौके आते हैं, जब उसे अपनी ड्यूटी और परिवार में से किसी एक को चुनना होता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके लिए हमेशा उनकी ड्यूटी पहले आती है और परिवार बाद में. ऐसे लोग अपने काम के लिए कोई भी बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. सेना के जवानों (Indian Army) का हाल तो ऐसा होता ही है, लेकिन ताजा उदाहरण कल यानी 1 फरवरी (1 February) को पेश होने वाले बजट (Budget 2020) से जुड़ा हुआ है. बजट की छपाई में लगे प्रेस के डिप्टी मैनेजर कुलदीप कुमार शर्मा के पिताजी की 26 जनवरी को मौत हो गई, लेकिन उन्होंने तय किया कि वह अपने पिता की मौत पर घर जाने के बजाए बजट की छपाई के काम में ही लगे रहेंगे. उन्होंने अपने निजी नुकसान को पीछे छोड़ते हुए अपनी ड्यूटी को तरजीह दी.
क्यों करना पड़ा इतना बड़ा बलिदान?
बजट की छपाई बेहद गोपनीय प्रक्रिया है. इसमें लगे लोगों को घर तक जाने की इजाजत नहीं होती है. सारे लोग एक तरह से दुनिया से कट जाते हैं और सिर्फ बजट की छपाई का काम करते हैं. ये सब सिर्फ इसलिए किया जाता है ताकि बजट में क्या होने वाला है, ये लीक ना हो. करीब 10 दिनों तक बजट की छपाई के काम के दौरान इसमें लगे किसी भी व्यक्ति को बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है. कुलदीप शर्मा इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि उनकी ड्यूटी कितनी अहम है और अगर वह अपनी ड्यूटी से हटते हैं तो पूरे देश पर इसका असर पड़ सकता है. यही वजह है कि कुलदीप शर्मा ने अपनी ड्यूटी की गोपनीयता को समझते हुए ये फैसला किया कि वह अपने पिता की मौत पर घर नहीं जाएंगे और बजट की गोपनीय प्रक्रिया पर कोई आंच नहीं आने देंगे. इस बात की जानकारी खुद वित्त मंत्रालय ने दी है और अब उनके इस कदम की खूब तारीफ हो रही है.
तारीफों के पुल बांध रहे लोग, कर रहे सलाम
कुलदीप शर्मा ने अपनी ड्यूटी को तरजीह देकर ना सिर्फ सरकार, बल्कि देश के बाकी लोगों का भी दिल जीत लिया है. सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थक रहे हैं. कोई उन्हें काम के प्रति ऐसी कर्मठता दिखाने के लिए सलाम कर रहा है, तो कोई अपने मन की बात कह रहा है.
- एक यूजर ने लिखा है कि अपने काम के लिए जैसी निष्ठा कुलदीप शर्मा ने दिखाई है, उसने मेरा दिल जीत लिया. हम सबको कुलदीप शर्मा से सीख लेनी चाहिए.
- ट्वीटर के एक अन्य यूजर ने कहा है कि कुलदीप शर्मा ने जो किया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है. इतने बड़े नुकसान के बावजूद उन्होंने अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ी. कुलदीप शर्मा को मेरा सलाम और दुआ करता हूं कि भगवान उनके परिवार को इस भारी नुकसान से लड़ने की हिम्मत दे.
- एक अन्य यूजर ने लिखा है- भगवान उनके पिताजी की आत्मा को चरणों में स्थान दे.ॐ शांति. और आपकी लगन और निष्ठा पर हमें गर्व है. ऐसे लोगों की मेहनत से ही देश दिन रात तरक्की कर रहा है.
कुलदीप शर्मा के ड्यूटी के लिए किए गए इस बलिदान के बारे में जो भी सुन रहा है, वह उन्हें सलाम किए बिना नहीं रह पा रहा है. वैसे भी, बजट इतना गोपनीय होता है कि इसके काम में लगी टीम को दुनिया से लगभग काट ही दिया जाता है. ना इंटरनेट, ना फोन, ना कहीं आने-जाने की इजाजत. ऐसे में कुलदीप शर्मा ने परिवार और ड्यूटी में से अपनी ड्यूटी को चुनकर ना सिर्फ सरकार की मदद की है, बल्कि देश के इस बार के बजट पर कोई भी आंच नहीं आने दी है. उनके इस कदम की जितनी तारीफ की जाए कम है. जो भी उनके इस बलिदान के बारे में सुन रहा है वह उनकी तारीफों के पुल बांधे बिना नहीं रह पा रहा है.
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