बेटी के पैदा होते ही मां-बाप उसकी शादी के लिए पैसे जोड़ना शुरू कर देते हैं. क्योंकि अच्छा लड़का चाहिए तो अच्छा खासा दहेज भी तो देना होगा. लड़की खुद कितनी काबिल है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, सामाजिक बंधनों से बंधे मां-बाप बेटी की शादी ऐसे ही करते आए हैं. दहेज न भी दें फिर भी रीति-रिवाजों के नाम पर लड़की के माता-पिता समाज के दस्तूर निभाने के लिए अच्छी खासी रकम खर्च कर देते हैं.
लेकिन समाज बनाने वाले ही अगर बदलाव लाने की जिद कर लें, तो कुछ भी संभव है. एक परिवार ने लड़की वालों से शादी के लेन-देन की ऐसी बात की, जो आपने कभी नहीं सुनी होगी.
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