भारतीय जल, थल और वायु सेना अपने अलग नियम और कायदे हैं. जिस तरह हम नई गाड़ी, नए घर की पूजा पाठ करवाते हैं उसी तरह से सेना के भी अपने तरीके हैं नया हेलिकॉप्टर नया टैंक या नई पंडुब्बी की पूजा करने के. हाल ही में भारत में चिनूक हेलिकॉप्टर का आगमन हुआ है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने चिनूक को अपनी टुकड़ी में शामिल किया. अब भारत चिनूक हेलिकॉप्टर इस्तेमाल करने वाला 19वां देश बन गया है. अमेरिका काफी लंबे समय से चिनूक का इस्तेमाल कर रहा है, जिन्हें अमेरिका की ही बोइंग कंपनी ने बनाया है.
इसकी सबके खास बात ये है कि यह सबसे तेज उड़ने वाला मिलिस्ट्री हेलिकॉप्टर है, जो 315 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकता है. चिनूक के आने के बाद से राहत और बचाव कार्य में भी काफी मदद मिल सकती है.
चिनूक के इंडक्शन के दौरान चारों धर्मों के पुरोहित आए और पूजा अर्चना हुई.
इस मामले में कई लोगों को लगा कि ये पहली बार हुआ है और इस तरह वायु सेना कुछ नई प्रथा है तो कुछ को इसमें भी समस्या नजर आ रही है.
खैर, आपको बता दूं कि ये वायुसेना के लिए कुछ नया नहीं है और तेजस फाइटर जेट के इंडक्शन के दौरान भी इसी तरह की पूजा की गई थी. जब हिंदू, सिख, मुस्लिम, इसाई सभी के पुरोहित आकर पूजा करते हैं.
भारतीय वायु सेना का ये रिवाज सभी धर्म सद्भाव का संदेश देने के लिए एयरफोर्स इस तरह का इंडक्शन...
भारतीय जल, थल और वायु सेना अपने अलग नियम और कायदे हैं. जिस तरह हम नई गाड़ी, नए घर की पूजा पाठ करवाते हैं उसी तरह से सेना के भी अपने तरीके हैं नया हेलिकॉप्टर नया टैंक या नई पंडुब्बी की पूजा करने के. हाल ही में भारत में चिनूक हेलिकॉप्टर का आगमन हुआ है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने चिनूक को अपनी टुकड़ी में शामिल किया. अब भारत चिनूक हेलिकॉप्टर इस्तेमाल करने वाला 19वां देश बन गया है. अमेरिका काफी लंबे समय से चिनूक का इस्तेमाल कर रहा है, जिन्हें अमेरिका की ही बोइंग कंपनी ने बनाया है.
इसकी सबके खास बात ये है कि यह सबसे तेज उड़ने वाला मिलिस्ट्री हेलिकॉप्टर है, जो 315 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकता है. चिनूक के आने के बाद से राहत और बचाव कार्य में भी काफी मदद मिल सकती है.
चिनूक के इंडक्शन के दौरान चारों धर्मों के पुरोहित आए और पूजा अर्चना हुई.
इस मामले में कई लोगों को लगा कि ये पहली बार हुआ है और इस तरह वायु सेना कुछ नई प्रथा है तो कुछ को इसमें भी समस्या नजर आ रही है.
खैर, आपको बता दूं कि ये वायुसेना के लिए कुछ नया नहीं है और तेजस फाइटर जेट के इंडक्शन के दौरान भी इसी तरह की पूजा की गई थी. जब हिंदू, सिख, मुस्लिम, इसाई सभी के पुरोहित आकर पूजा करते हैं.
भारतीय वायु सेना का ये रिवाज सभी धर्म सद्भाव का संदेश देने के लिए एयरफोर्स इस तरह का इंडक्शन करती है और उम्मीद यही है कि राफेल का आगमन भी भारतीय वायु सेना में इसी तरह से होगा.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ वायु सेना के अपने नियम हैं. बल्कि नेवी और आर्मी के भी इंडक्शन के अपने-अपने तरीके हैं.
सिर्फ महिलाओं से ही उद्घाटन करवाती है नेवी-
नेवी में ये मान्यता है कि नए जहाज, पंडुब्बी का महिलाओं द्वारा ही इंडक्शन करवाया जाए. इसकी शुरुआत अभी से नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने 17वीं सदी से हुई थी जब एक जहाज का अनावरण इंग्लैंड के हाउस हैनवर (उस समय इंग्लैंड की सत्ता इसी घराने के पास थी.) की एक राजकुमारी ने वाइन की बोतल तोड़कर जहाज का उद्घाटन किया था. कारण ये था कि उसी घराने ने जहाज बनाने के पैसे दिए थे और ये आभार के तौर पर किया गया था.
ये मान्यता तो अंग्रेजों की थी, लेकिन भारतीय नेवी के सभी वेसेल का उद्घाटन महिलाओं द्वारा ही किया जाता है. कई बार नेवी चीफ की पत्नियां भी ये करती हैं. नेवी के लिए ये बहुत जरूरी मान्यता है. इसका एक कारण ऐसा समझ आता है कि नए जहाज का उद्धाटन करते ही ऐसा माना जाता है कि ये नया जनम है. ऐसे में एक महिला का हाथ शुभ माना जाता है. इस रिवाज का असली मतलब तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन यकीनन नेवी का ये रिवाज है बहुत ही अच्छा.
सेना करती है प्रदर्शन-
सेना के पास भी नए टैंक, नया मिसाइल डिफेंस सिस्टम और नया हेलिकॉप्टर बहुत कुछ होता है. पूजा के साथ-साथ सेना में शक्ति प्रदर्शन भी किया जाता है. M777 और K9 बंदूकों का शक्ति प्रदर्शन भी सेना ने कुछ इसी तरह से किया था.
ये हमारी सेना के कुछ ऐसे रिवाज थे जो किसी नए जहाज, हथियार या लड़ाकू के फोर्स से जुड़ने के समय किए जाते हैं. ये ठीक वैसा ही है जैसा हम किसी नई चीज़ के घर आने पर खुश होते हैं. भले ही कोई कुछ भी कहे, लेकिन सेना के इन रिवाजों का आदर करना हमारे लिए जरूरी है. जिस तरह चिनूक के इंडक्शन पर टिप्पणी की जा रही है वो किसी को शोभा नहीं देती.
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