जरा सोचिए आप किसी ऐसे शहर में रह रहे हों जहां 1 घंटे पहले धूप चमक रही हो और 1 घंटे बाद जोरदार बारिश के साथ बर्फीले ओले गिरने लगें. और शाम ढलते-ढलते फिर मौसम ऐसी करवट ले ले कि जैसे बसंत आ गया हो. हिंदुस्तान में चार मौसम होते हैं और शायद ही ऐसा होता कि किसी शहर का मौसम अचानक बदल जाए. कौन से महीने में ठंड पड़ेगी, कौन से में गर्मी, कौन से महीने में बारिश ये सब कुछ हर हिंदुस्तानी जानता है, लेकिन अगर आपसे किसी ऐसे शहर में रहने को कहा जाए जहां 1 ही दिन में चारो सीजन का आनंद मिले?
iChowk.in अपनी ट्रैवल सीरीज 'अजीब शहर: अनोखा जीवन' में ऐसे ही शहरों के बारे में बताएगा जहां लोग एकदम चरम परिस्थितियों में रहते हैं. इसी कड़ी में आज बता रहे हैं दुनिया के एक ऐसे शहर के बारे में जहां मौसम का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. ये शहर है रशिया का सेंट पीटर्सबर्ग. ये ईस्टर्न यूरोपीय शहर अपनी सर्दियों के लिए बदनाम है, लेकिन इस शहर में बाकी मौसम का भी कोई ठिकाना नहीं है. व्लादिमिर पुतिन का होमटाउन सेंट पीटर्सबर्ग उनकी तरह की कभी भी आपको चकित कर सकता है.
शहर का मौसम कई लोगों को काफी कठोर लग सकता है. सर्दियां कट्टर होती हैं और सर्दियों के मौसम में ये सोचना की सूर्य देवता के दर्शन हो जाएंगे ये गलत होगा. यहां भी करीब 40 दिन तक सूरज उगता ही नहीं है. क्योंकि ये 60th latitude (इक्वेटर से 60 डिग्री नॉर्थ वाला सर्कल जहां बेहद ठंड पड़ती है) पर स्थिती है तो यहां दिन छोटा होता है. मतलब अगर सर्दियों में सूरज निकला भी है तो वो अधिकतम 5 घंटे तक रह सकता है. हां, गर्मियों में तीन हफ्ते...
जरा सोचिए आप किसी ऐसे शहर में रह रहे हों जहां 1 घंटे पहले धूप चमक रही हो और 1 घंटे बाद जोरदार बारिश के साथ बर्फीले ओले गिरने लगें. और शाम ढलते-ढलते फिर मौसम ऐसी करवट ले ले कि जैसे बसंत आ गया हो. हिंदुस्तान में चार मौसम होते हैं और शायद ही ऐसा होता कि किसी शहर का मौसम अचानक बदल जाए. कौन से महीने में ठंड पड़ेगी, कौन से में गर्मी, कौन से महीने में बारिश ये सब कुछ हर हिंदुस्तानी जानता है, लेकिन अगर आपसे किसी ऐसे शहर में रहने को कहा जाए जहां 1 ही दिन में चारो सीजन का आनंद मिले?
iChowk.in अपनी ट्रैवल सीरीज 'अजीब शहर: अनोखा जीवन' में ऐसे ही शहरों के बारे में बताएगा जहां लोग एकदम चरम परिस्थितियों में रहते हैं. इसी कड़ी में आज बता रहे हैं दुनिया के एक ऐसे शहर के बारे में जहां मौसम का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. ये शहर है रशिया का सेंट पीटर्सबर्ग. ये ईस्टर्न यूरोपीय शहर अपनी सर्दियों के लिए बदनाम है, लेकिन इस शहर में बाकी मौसम का भी कोई ठिकाना नहीं है. व्लादिमिर पुतिन का होमटाउन सेंट पीटर्सबर्ग उनकी तरह की कभी भी आपको चकित कर सकता है.
शहर का मौसम कई लोगों को काफी कठोर लग सकता है. सर्दियां कट्टर होती हैं और सर्दियों के मौसम में ये सोचना की सूर्य देवता के दर्शन हो जाएंगे ये गलत होगा. यहां भी करीब 40 दिन तक सूरज उगता ही नहीं है. क्योंकि ये 60th latitude (इक्वेटर से 60 डिग्री नॉर्थ वाला सर्कल जहां बेहद ठंड पड़ती है) पर स्थिती है तो यहां दिन छोटा होता है. मतलब अगर सर्दियों में सूरज निकला भी है तो वो अधिकतम 5 घंटे तक रह सकता है. हां, गर्मियों में तीन हफ्ते सूरज डूबता ही नहीं है, पर जरूरी नहीं कि ये व्हाइट नाइट्स (स्थानीय लोग गर्मियों की रातों को व्हाइट नाइट कहते हैं जब सूरज ढलता ही नहीं.) ज्यादा दिनों तक चलें.
गर्मियां छोटी होती हैं, लेकिन फिर भी मजेदार हो सकती हैं. हां, गर्मियों में भी अगर मौसम बदल जाए और जैकेट की जरूरत पड़े तो चिंता मत कीजिएगा क्योंकि ऐसा हो सकता है. गर्मियों का अधिकतम तापमान 20-27 डिग्री के बीच ही रहता है.
हां, समुद्र पास होने के कारण यहां ताजी हवा हर वक्त बहती है. तो मौसम में एक तरह की ताजगी रहती है. पर मौसम कभी भी करवट ले सकता है. ये दुनिया की सबसे ज्यादा अप्रत्याशित मौसम वाले 10 शहरों में से एक है. यूके का बर्मिंघम भी इसी लिस्ट में शामिल है. ये ऐसे शहर हैं जहां 1 ही दिन में चार मौसम दिख जाएंगे.
ये एक वीडियो जो दिखा रहा है कि जुलाई यानी आम तौर पर गर्मी अधिकतर जगहों में गर्मी या बारिश के सीजन में एक दोपहर सेंट पीटर्सबर्ग की सड़कें बर्फ से ढक गईं. सूरज के साथ शुरू हुए दिन का अंत सड़क पर जमी बर्फ से हुआ.
यहां के लोगों को भी इस शहर के मौसम की आदत हो गई है. एक ही दिन में आपको टी-शर्ट वाले मौसम से लेकर तेज़ बारिश और उसके बाद जैकेट वाली ठंड तक सबका एहसास हो जाएगा.
ऐसे मौसम में कैसे रहते हैं लोग?
शहर के कामकाज में मौसम कुछ खास रुकावट नहीं डालता. हां, यहां अगर मौसम एकदम से बेहद कठोर हो जाए तो सड़कों पर ट्रैफिक जरूर लग जाता है. अधिकतर ट्रैफिक सर्दियों में लगता है. या फिर तब जब बिन मौसम ओले गिर जाएं. ये फ्लैट सिटी है यानी ज्यादा उतार चढ़ाव वाली सड़कें नहीं हैं जो साइकलिंग के लिए बेहतर साबित हो सकती है, लेकिन फिर भी यहां साइकल चलाने वाले नहीं दिखेंगे. व्हीलचेयर वाले लोग या स्ट्रोलर लेकर चलते लोगों को परेशानी हो सकती है क्योंकि ट्रैफिक जाम और खराब मौसम ऐसे लोगों के लिए दिक्कत का विषय होता है.
यहां के लोग थोड़ा पुराने ख्यालों वाले हैं इसलिए रंगभेद और LGBTQ समुदाय के लिए थोड़ी दिक्कत हो सकती है. पर फिर भी सेंट पीटर्सबर्ग में लोग मददगार साबित होंगे. रशिया के अधिकतर इलाकों में गैर रशियन के लिए ऐसे हालात नहीं मिलते.
सेंट पीटर्सबर्ग में दुनिया का सबसे गहरा मेट्रो रूट है. इसका अहम कारण है कि यहां का भूगोल ऐसा है कि कम गहराई में बनाया गया मेट्रो सिस्टम मौसम की मार के साथ-साथ कई अन्य समस्याओं का भी शिकार हो सकता है. इसी के साथ, मेट्रो रूट बनाते समय कई बार उसमें नीवा नदी के कारण बाढ़ भी आई है. शहर का सबसे निचला मेट्रो स्टेशन Admiralteyskaya है. जो जमीन के 86 मीटर नीचे है.
शहर का दर्दनाक इतिहास-
सेंट पीटर्सबर्ग सिर्फ मौसम की मार ही नहीं झेलता बल्कि इतिहास में बहुत सारे दर्द झेल चुका है. इस शहर को बसाया था ज़ार पीटर (Tsar Peter- तत्कालीन रूस के राजा) ने. इसे बसाने से पहले ये इलाका ऐसा था जहां दलदल थे और कड़े मौसम की मार झेलता था. इस शहर को सिरे से बसाना था. पीटर ने हर साल 40 हज़ार गुलामों को यहां काम करने के लिए भेजा. उन्हें अपने औजार भी साथ लाने होते थे. कई लोग यहां आते-आते मारे जाते थे जो बचते थे उन्हें मौसम की मार झेलनी होती थी. अकेले इस शहर को बनाने के लिए 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.
इसे शुरुआती नाम दिया गया था लेनिनग्रैड (Leningrad) द्वितीय विश्व युद्ध तक यही नाम प्रचलित था. उस समय जर्मन सैनिकों ने शहर के सारे रास्ते बंद कर दिए थे और हिटलर ने तो ये भी तय कर लिया था कि शहर को कब्जे में लेने के बाद वो क्या करेगा और कहां पार्टी देगा, लेकिन ऐसा हो न सका. करीब 900 दिन यानी 3 सालों तक हिटलर की कोशिशें जारी रहीं, लेकिन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और कम खाने, पानी के बावजूद वो डटे रहे. शहर में लाखों लोगों की मौत हुई इन तीन सालों में.
सेंट पीटर्सबर्ग में कई म्यूजियम, कई इमारतें और मूर्तियां उस दौर की याद में बनाई गई हैं और शहर का इतिहास इनसे झलकता है.
टूरिस्ट के लिए पीटर्सबर्ग-
सेंट पीटर्सबर्ग रशिया के उन शहरों में से एक है जहां पर रशियन के अलावा कोई और भाषा बोलने वाले लोग मिल जाएंगे. अधिकतर रशियन और जर्मन जानते हैं. यहां पर लोगों को मेट्रो स्टेशनों के नाम दो भाषाओं में लिखे मिल जाएंगे जब्कि राजधानी मॉस्को में भी मेट्रो स्टेशन और कई साइन बोर्ड केवल रशियन में लिखे मिलते हैं. हां अगर टूरिस्ट को जाना है तो ये बेहतर होगा कि अपने साथ कोई गाइड या फिर ऐसे इंसान को रखें जो रशियन जानता हो.
आपको अपने साथ एक छाता और एक जैकेट रखना होगा क्योंकि इसका कोई भरोसा नहीं कि कब बारिश शुरू हो जाए या फिर ठंड लगने लगे.
टूरिस्ट को एक समस्या होती है कि वहां खाने-पीने के ज्यादा विकल्प नहीं हैं. साथ ही खाना महंगा भी है. यहां पर कैश ज्यादा चलता है और अगर चिल्लर रूबल नहीं हैं तो स्टोर्स में बड़े नोटों से लेन-देन मुश्किल हो सकता है. वोदका सस्ती है जैसा कि पूरे रशिया में होता है, लेकिन बियर बेहद महंगी.
हां, आपको ये शहर 24*7 खुला मिल जाएगा. कई रेस्त्रां, कैफे, बुक स्टोर आदि रातों को भी खुले रहते हैं.
सेंट पीटर्सबर्ग में इतिहास में रुचि रखने वालों को बेहद अच्छा माहौल मिलेगा. एक सर्वे के अनुसार सेंट पीटर्सबर्ग के ऐतिहासिक फैक्ट्स को देखने और परखने में 25 साल तक लग सकते हैं. यहां करीब 8000 लैंडमार्क है. इसका स्टेट हर्मिटेज म्यूजियम कुछ खास है. यहां पर 3 मिलियन से भी ज्यादा आर्टपीस रखे हैं. साथ ही इस म्यूजियम में 400 से भी अधिक कमरे हैं. अब समझ आया कि क्यों यहां इतिहास में रुचि रखने वालों को कितना कुछ मिलेगा?
इस शहर में वेनिस की तरह कई ब्रिज हैं. करीब 200 ब्रिज वाला ये शहर घूमने के हिसाब से बेहद अच्छा है.
मेट्रो का सफर ही यहां सबसे सुहाना है क्योंकि अगर आप रशियन रोडों में ज्यादा घूमेंगे तो न सिर्फ ट्रैफिक जाम बल्कि रशियन ड्राइवर्स का सामना भी करना पड़ेगा जो यकीन मानिए दिल्ली के ड्राइवरों से भी ज्यादा खराब हैं.
कुल मिलाकर ये एक ऐसा शहर है जहां का एक्सपीरियंस हर जगह से अलग होगा.
ये भी पढ़ें-
दुनिया का सबसे सूखा शहर, जो बसा है दुनिया की सबसे लंबी नदी के किनारे !
एक शहर जहां जमी हुई नदी से बर्फ का किला बना लेते हैं लोग
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.