पूरी दुनिया के किसी भी समाज का इतिहास या वर्तमान उठा कर देख लीजिए... लड़की की वर्जिनिटी हमेशा एक मुद्दा रही है. उनके कौमार्य पर धर्म से लेकर पवित्रता तक की दुहाई दी जाती रही है. तभी जर्मनी में कोई कंपनी कौमार्य बेचने लगती है तो दक्षिण अफ्रीका में 'पवित्र' रहने वाली लड़कियों को स्कॉलरशिप का ऑफर दिया जाता है.
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वर्जिन लड़कियों को स्कॉलरशिप!
दक्षिण अफ्रीका के ऊथुकेला जिले की मेयर हैं डुडु माजिबूको, जो अपने एक अजीबोगरीब फैसले के लिए चर्चा में हैं. उन्होंने 16 युवा लड़कियों को कॉलेज स्कॉलरशिप दी है. वो भी इसलिए क्योंकि ये लड़कियां वर्जिन हैं. इससे दूसरी लड़कियों को भी 'पवित्र' और पढ़ाई-लिखाई में ध्यान देने की प्रेरणा मिलेगी. स्कॉलरशिप हासिल करने वालीं इन लड़कियों के साथ शर्त है कि वे वर्जिन रहेंगी और शिक्षा खत्म होने तक अपने कौमार्य की जांच भी कराती रहेंगी.
अब खुद को वर्जिन रखने का फायदा लड़कियों को ही क्यों मिले.. लड़कों को क्यों नहीं? तो इसका भी जवाब है. तर्क ये कि महिलाएं ही सबसे ज्यादा शोषण, कम उम्र में गर्भवती हो जाने और यौन रोगों का दंश झेलती हैं. उन्हें इन मुश्किलों से बचाने के लिए ऐसे कदम उठाए गए हैं.
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2009 की एक घटना याद आ रही है. अमेरिका के कैलिफोर्निया की एक 22 साल की लड़की ने अपनी वर्जिनिटी की निलामी की घोषणा की. इसके बाद उसके पास कई प्रस्ताव आए. एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति ने सबसे ऊंची बोली 38 लाख...
पूरी दुनिया के किसी भी समाज का इतिहास या वर्तमान उठा कर देख लीजिए... लड़की की वर्जिनिटी हमेशा एक मुद्दा रही है. उनके कौमार्य पर धर्म से लेकर पवित्रता तक की दुहाई दी जाती रही है. तभी जर्मनी में कोई कंपनी कौमार्य बेचने लगती है तो दक्षिण अफ्रीका में 'पवित्र' रहने वाली लड़कियों को स्कॉलरशिप का ऑफर दिया जाता है.
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वर्जिन लड़कियों को स्कॉलरशिप!
दक्षिण अफ्रीका के ऊथुकेला जिले की मेयर हैं डुडु माजिबूको, जो अपने एक अजीबोगरीब फैसले के लिए चर्चा में हैं. उन्होंने 16 युवा लड़कियों को कॉलेज स्कॉलरशिप दी है. वो भी इसलिए क्योंकि ये लड़कियां वर्जिन हैं. इससे दूसरी लड़कियों को भी 'पवित्र' और पढ़ाई-लिखाई में ध्यान देने की प्रेरणा मिलेगी. स्कॉलरशिप हासिल करने वालीं इन लड़कियों के साथ शर्त है कि वे वर्जिन रहेंगी और शिक्षा खत्म होने तक अपने कौमार्य की जांच भी कराती रहेंगी.
अब खुद को वर्जिन रखने का फायदा लड़कियों को ही क्यों मिले.. लड़कों को क्यों नहीं? तो इसका भी जवाब है. तर्क ये कि महिलाएं ही सबसे ज्यादा शोषण, कम उम्र में गर्भवती हो जाने और यौन रोगों का दंश झेलती हैं. उन्हें इन मुश्किलों से बचाने के लिए ऐसे कदम उठाए गए हैं.
यह भी पढ़ें- क्या सिर्फ ख्यालों की ही बात है वर्जिनिटी?
2009 की एक घटना याद आ रही है. अमेरिका के कैलिफोर्निया की एक 22 साल की लड़की ने अपनी वर्जिनिटी की निलामी की घोषणा की. इसके बाद उसके पास कई प्रस्ताव आए. एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति ने सबसे ऊंची बोली 38 लाख डॉलर की लगाई. लेकिन सवाल है कि आखिर क्यों? हाल के वर्षों में तो वर्जिनिटी की ऑनलाइन नीलामी की ऐसी कई खबरें आईं. लोगों ने दिल खोलकर बोली भी लगाई. ये उदाहरण केवल इसलिए कि आप गरीबी और भूखमरी से जूझ रहे समाज को देखिए..या संपन्न देशों को. सेक्स और वर्जिनिटी को लेकर सभी की सोच एक जैसी ही है. जिनके पास पैसा है वो कौमार्य की कीमत आंकते है और जो खाली वे धर्म, पवित्रता, नैतिकता को सहारा बनाते हैं. क्योंकि कौमार्य को भंग करने की 'जीत' और 'मर्दानगी' का अहसास सबको करना है.
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