सऊदी अरब में महिलाओं की दशा के बारे में बात नहीं करेंगे. आज बात करते हैं टेक्नोलॉजी की. सऊदी अरब की सरकार ने एक एप बनाया है. जिसके जरिए वहां के पुरुष अपनी पत्नियों और घर की महिलाओं पर नजर रख सकेंगे कि वो कब कहां जा रही हैं.
इस तरह का एप मार्केट में है ये जानकर बहुत से लोगों की तो बांछे खिल गई होंगी. क्योंकि घर की महिलाएं कहां जा रही हैं, क्या कर रही हैं ये पता होने से ज्यादा सुकून भरा काम क्या हो सकता है किसी के लिए. इस एप के जरिए ये पता चलता है कि महिला कहां जाने का प्लान बना रही हैं.
दरअसल सऊदी की रहने वाली 18 साल की लड़की रहफ मोहम्मद ने साल के शुरुआत में ही सऊदी में होने वाले टॉर्चर से तंग आकर देश छोड़ दिया था. लेकिन उसे बैंकॉक में रोक दिया गया जिसके बाद उसने खुद को एक होटल के कमरे में बंद कर लिया था और वहां से लगातार कई ट्वीट किए. ट्विटर के जरिए ये मामला पूरी दुनिया की नजर में आया. रहफ का कहना था कि वो वापस अपने देश नहीं जाना चाहती क्योंकि अगर वो वापस जाएंगी तो उनके घरवाले उन्हें मार डालेंगे. तब कैनेडा ने रहफ को शरण दी.
अब अगर सऊदी की कोई लड़की इस तरह बागी हो जाए. अपने ही परिवारवालों के खिलाफ जाकर देश से ही भाग जाए तो ऐसे एप काफी मददगार साबित होते हैं. जिसके जरिए परिवार के पुरुष घर की महिलाओं के आने और जाने पर नजर रख सकेंगे और उन्हें रोक भी सकेंगे. क्योंकि सऊदी में ये नियम है कि महिलाएं अकेले कहीं आ जा नहीं सकतीं और देश के बाहर भी बिना घर के पुरुष की इजाजत के नहीं जा सकतीं. इसलिए जैसे ही कोई महिला एयरपोर्ट के जरिए कहीं बाहर जाएगी, घर के पुरुष के फोन में अलर्ट आ जाएगा. और वो उसी वक्त उस एप में दो चार क्लिक करके महिला को वहीं रोक देगा. यानी इसससे...
सऊदी अरब में महिलाओं की दशा के बारे में बात नहीं करेंगे. आज बात करते हैं टेक्नोलॉजी की. सऊदी अरब की सरकार ने एक एप बनाया है. जिसके जरिए वहां के पुरुष अपनी पत्नियों और घर की महिलाओं पर नजर रख सकेंगे कि वो कब कहां जा रही हैं.
इस तरह का एप मार्केट में है ये जानकर बहुत से लोगों की तो बांछे खिल गई होंगी. क्योंकि घर की महिलाएं कहां जा रही हैं, क्या कर रही हैं ये पता होने से ज्यादा सुकून भरा काम क्या हो सकता है किसी के लिए. इस एप के जरिए ये पता चलता है कि महिला कहां जाने का प्लान बना रही हैं.
दरअसल सऊदी की रहने वाली 18 साल की लड़की रहफ मोहम्मद ने साल के शुरुआत में ही सऊदी में होने वाले टॉर्चर से तंग आकर देश छोड़ दिया था. लेकिन उसे बैंकॉक में रोक दिया गया जिसके बाद उसने खुद को एक होटल के कमरे में बंद कर लिया था और वहां से लगातार कई ट्वीट किए. ट्विटर के जरिए ये मामला पूरी दुनिया की नजर में आया. रहफ का कहना था कि वो वापस अपने देश नहीं जाना चाहती क्योंकि अगर वो वापस जाएंगी तो उनके घरवाले उन्हें मार डालेंगे. तब कैनेडा ने रहफ को शरण दी.
अब अगर सऊदी की कोई लड़की इस तरह बागी हो जाए. अपने ही परिवारवालों के खिलाफ जाकर देश से ही भाग जाए तो ऐसे एप काफी मददगार साबित होते हैं. जिसके जरिए परिवार के पुरुष घर की महिलाओं के आने और जाने पर नजर रख सकेंगे और उन्हें रोक भी सकेंगे. क्योंकि सऊदी में ये नियम है कि महिलाएं अकेले कहीं आ जा नहीं सकतीं और देश के बाहर भी बिना घर के पुरुष की इजाजत के नहीं जा सकतीं. इसलिए जैसे ही कोई महिला एयरपोर्ट के जरिए कहीं बाहर जाएगी, घर के पुरुष के फोन में अलर्ट आ जाएगा. और वो उसी वक्त उस एप में दो चार क्लिक करके महिला को वहीं रोक देगा. यानी इसससे वो महिलाओं को पूरी तरह से कंट्रेल कर सकते हैं.
यानी महिलाएं अगर वहां के नियम कायदों से परेशान हों और देश छोड़कर जाना चाहें तो भी सऊदी अरब के बाहर नहीं निकल सकतीं.
ये एप गूगल और एपल दोनों पर उपलब्ध है. और इसीलिए दोनों ही लोगों के निशाने पर आ गए. महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को बढ़ावा देने के आरोप में गूगल और एपल की खूब आलोचनाएं हो रही हैं. जहां दुनिया भर में तकनीक के इस्तेमाल से जीवन आसान हो रहा है, वहीं सऊदी अरब में ये तकनीक महिलाओं की परेशानियां और बढ़ा रही है. महिला अधिकार समूह और अमेरिकी सीनेटर इसकी जमकर आलोचनाएं कर रहे हैं.
समस्या एप नहीं, मानसिकता है
असल में समस्या ये एप है ही नहीं. समस्या तो सऊदी अरब की वो प्रणाली जिसके अंतर्गत पुरुष ही महिलाओं को संरक्षक होते हैं. महिलाओं को हमेशा नाबालिग ही माना जाता है जाहे वो बूढ़ी ही क्यों न हो. सावास्थ लाभ लेना हो या घर किराए पर लेना हो हर चीज के लिए वहां पुरुषों की सहमति जरूरी है. वो अपनी मर्जी से शादी नहीं कर सकतीं, पासपोर्ट के लिए एप्लाई नहीं कर सकतीं. और इस तरह के एप पुरुषों के इन दमनकारी नियमों को और आसान कर देते हैं.
हालांकि इस एप को लेकर अब पूरी दुनिया में सऊदी अरब की पितृसत्तात्मकता एक बार फिर निशाने पर आ गई है. जिसे छवि को सऊदी अरब काफी समय से झुठलाने की कोशिश कर रहा है वो इस एप के जरिए लोगों के सामने है.
एप की हिमायत से तो इस मानसिकता पर मुहर ही लगती है
हालांकि इस एप को लेकर लोग ये भी कह रहे हैं कि ये लोगों के लिए बहुत उपयोगी है. असल में ये एक सरकारी एप है जो 2015 में बना था. जिसमें सिर्फ महिलाओं की ट्रैकिंग ही नहीं होती बल्कि बहुत से काम होते हैं. ट्रैक करना इस एप का एक हिस्सा है. जबकि ये एप कई सेवाएं भी देता है जो लोगों के लिए फायदेमंद हैं. इससे आने जाने के रिकॉर्ड भी चेक किए जा सकते हैं. आलोचना के बाद सऊदी सरकार इसकी खूबियां गिनाने में लग गई है. सरकार कह रही है कि एबशर एप सभी लोगों के लिए निशुल्क उपलब्ध है. यह महिलाओं, बुजुर्गो और जरूरतमंदों की सहायता के लिए है. इसके जरिये पासपोर्ट का नवीनीकरण और वीजा बनवाने जैसे काम किए जाते हैं. विदेश यात्रा से जुड़ी अन्य सेवाएं भी इस पर उपलब्ध होती हैं.
जहां लोग एप हटाए जाने की बात कर रहे हैं वहीं कुछ ये भी डिमांड कर रहे हैं कि एप के इस हिस्से को हटाया जाए जिससे महिलाओं को कंट्रोल किया जाता हो. क्योंकि ये मानव अधिकारों का हनन है. पूरी दुनिया में सऊदी अरब की महिलाओं की दशा पर एक बार फिर चर्चा हो रही है. और बहस अभी भी जारी है कि महिलाओं के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा. महिलाओं पर इस तर की पकड़ बनाकर सऊदी अरब ने तो अपनी मंशा साफ कर दी है. इस पूरी कवायद से एक बात तो साबित होती ही है कि महिलाएं के मामले में सऊदी अरब सुधरने नहीं वाला.
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